भोपाल की आकृति सोसायटी में GST कैंसिल, फिर भी मेंटेनेंस के नाम पर 29 महीने से वसूला जा रहा टैक्स, 87 लाख रुपए की गड़बड़ी!

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Rahul Sharma
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भोपाल की आकृति सोसायटी में GST कैंसिल, फिर भी मेंटेनेंस के नाम पर 29 महीने से वसूला जा रहा टैक्स, 87 लाख रुपए की गड़बड़ी!

BHOPAL. आकृति बिल्डर का अब एक नया मामला सामने आया है। इस बार मामला जीएसटी की गड़बड़ी से जुड़ा हुआ है। आकृति की सोसायटी में मेंटेनेंस करने वाली फर्म जीएसटी कैंसिल होने के बाद भी 29 महीने से रहवासियों से टैक्स की वसूली कर रही है और यह रकम थोड़ी बहुत नहीं बल्कि 87 लाख रुपए से अधिक है। जानकारों की माने तो यह एक तरह की टैक्स की चोरी और धोखाधड़ी ही है। 



आकृति बिल्डर ने ही बनाई मेंटेनेंस के लिए अलग से फर्म 



आकृति बिल्डर ने ही आकृति की सोसायटी में मेंटेनेंस करने के लिए एक फर्म बनाई जिसको आर्म्स (ARMS) यानी आकृति रियलस्टेट मेटेनेंस सर्विस नाम दिया गया। आर्म्स ही आकृति की अलग—अलग रहवासी सोसायटी में मेंटेनेंस का काम देखती है। हालांकि जैसे—जैसे आकृति बिल्डर विवादों में आने लगा, आर्म्स का सर्विस देने का दायरा भी सिमटा। अब यह फर्म सिर्फ आकृति इकोसिटी और उसके आसपास की रहवासी सोसायटी में ही सर्विस प्रोवाइड कराती है। इस फर्म के कर्ताधर्ता संतोष सोनी है, जो आकृति बिल्डर हेमंत सोनी के ममेरे भाई है। 



31 दिसंबर 2020 से जीएसटी रजिस्ट्रेशन है कैंसिल 




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जीएसटी पोर्टल पर आर्म्स फर्म का रजिस्ट्रेशन बताया जा रहा है कैंसिल




आर्म्स ने सोसायटी में सर्विस देने के लिए नियमानुसार 1 जुलाई 2017 को जीएसटी रजिस्ट्रेशन 23ABAFA1155F1Z6 लिया, लेकिन किन्ही कारणों से 31 दिसंबर 2020 को जीएसटी रजिस्ट्रेशन 23ABAFA1155F1Z6 को केंसिल कर दिया गया। बावजूद इसके आर्म्स हर महीने मेंटेनेंस का नाम पर रहवासियों से 18% जीएसटी चार्ज वसूल रही है। जिसमें SGST 9% और CGST 9% वसूला जा रहा है जो 196 रूपए से लेकर 230 रूपए तक है। 



रजिस्ट्रेशन कैंसिल होने के बाद करीब 87 लाख की जीएसटी की वसूली 




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आकृति हाईराइज सोसायटी का मई 2023 का बिल जिसमें जीएसटी चार्ज वसूला गया है





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आकृति ग्रीन्स सोसायटी का अक्टूबर 2022 का बिल जिसमें जीएसटी चार्ज वसूला गया है




आर्म्स रहवासियों को हर महीने जो बिल दे रही है उसमें बकायदा जीएसटी रजिस्ट्रेशन 23ABAFA1155F1Z6 लिखा हुआ है, जबकि इसे कैंसिल हुए 29 महीने हो चुके हैं और यह अब भी कैंसिल ही है। आर्म्स ने हाल ही में फरवरी 2023 और मार्च 2023 को 3—3 लाख रूपए के चालान इनकम टैक्स को जमा किए हैं, यदि इसे ही टैक्स की राशि मान ली जाए तो इसका मतलब यह हुआ कि इन 29 महीनों में ही आकृति में रह रहे रहवासियों से जीएसटी के नाम पर 87 लाख की वसूली हो चुकी है।



रहवासी इस उलझन में दे रहे जीएसटी



आकृति इकोसिटी के अंतर्गत आने वाली फ्लेमिंगो सोसायटी में रहने वाले अतुल समाधिया ने बताया कि जीएसटी कैंसिल होने के बाद भी 18% जीएसटी चार्ज वसूली का मामला कई बार रहवासियों के बीच उठा, लेकिन बाद में यह तय हुआ कि आर्म्स यदि किसी टैक्स की चोरी कर रहा है तो संबंधित एजेंसी उस पर एक्शन ले, रहवासी अपनी ओर से मेंटेनेंस का पूरा पैसा जमा करे। अतुल समाधिया ने यह भी बताया कि बिजली पर कोई भी जीएसटी नहीं लगता है, लेकिन मेंटेनेंस के नाम पर आर्म्स स्ट्रीट लाइट और सोसायटी की अन्य कॉमन लाइट का जो बिजली बिल रहवासियों से वसूलती है, उस पर भी जीएसटी चार्ज लगा देती है जो गलत है। 



हाल ही में जमा किए 3—3 लाख के दो चालान



द सूत्र जब इस पूरे मामले की पड़ताल कर रहा था तो आर्म्स द्वारा फरवरी 2023 और मार्च 2023 के तीन—तीन लाख रूपए के दो चालान सामने आए। सवाल यह उठ रहा था कि यदि आर्म्स का जीएसटी रजिस्ट्रेशन 31 दिसंबर 2020 को कैंसिल हो चुका है तो फरवरी और मार्च में ये तीन—तीन लाख रूपए जीएसटी विभाग को क्यों और किसलिए जमा किए गए। इसके बाद जीएसटी अधिकारियों से संपर्क किया और उन्हें डाक्यूमेंट उपलब्ध कराए गए।  



अधिकारी ने कहा— जीएसटी चार्ज वसूलना गलत



जीएसटी में भोपाल—2, सर्कल—2 के अधिकारी अनिल लोभरे ने स्पष्ट बताया कि जीएसटी कैंसिल होने के बाद अब तक बहाल नहीं होने का अर्थ है कि आर्म्स को कोई अधिकार नहीं बनता कि वह रहवासियों से कोई जीएसटी चार्ज वसूले। वहीं चालान के रूप में पैसा जमा किए जाने के मामले में उन्होंने बताया कि यह पैसा एक अलग मद में जमा हो रहा है। आर्म्स पर 31 दिसंबर 2020 की ही लाखों की रिकवरी है, जिसके कारण जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैंसिल हुआ। जब इस राशि को क्लेम किया जाएगा तो उसे उस पुराने एमाउंट में एडजस्ट किया जाएगा। इसलिए इसका वर्तमान टैक्स से जब कोई लेनादेना नहीं है तो फिर जाहिर सी बात है इसे वसूलना भी गलत है।



आकृति बिल्डर ने सोसायटी की धरोहर राशि के लाखों डकारे



आकृति से संबंधित रहवासी सोसायटियों में मेटेनेंस को लेकर भी कई दिक्कतें आने लगी है। आकृति बिल्डर के दीवालिया होने के बाद आर्म्स के संचालन में भी परेशानी खड़ी होने लगी है। रहवासियों ने जो खुद अपनी सोसायटी बना ली है उनका मेंटेनेंस करना भी आसान नहीं है, क्योंकि आकृति बिल्डर इन सोसायटी की लाखों की धरोहर राशि डकारकर बैठा हुआ है। जानकारी के अनुसार आकृति ग्रीन के 65 लाख, फ्लेमिंगों के 1 करोड़, ब्लू स्काई के 28 लाख सहित अन्य रहवासी सोसायटी की धरोहर राशि फस गई है। 



धरोहर राशि नहीं होने से सोसायटी के सामने यह आ रही दिक्कतें



किसी भी सोसायटी के संचालन में धरोहर राशि का एक बड़ा महत्व होता है। सोसायटी में मेटेनेंस की राशि की वसूली कभी भी 100 प्रतिशत नहीं होती, ऐसे में धरोहर राशि से मिलने वाले ब्याज से यह एमाउंट एडजस्ट होता है। इसके अलावा ​कभी सोसायटी में रिपेयरिंग से जुड़ा कोई बड़ा काम निकल आता है, जिसका खर्चा लाखों में होना है, उस स्थिति में धरोहर राशि से यह काम कराए जाते हैं। आकृति में रहने वाले रहवासियों ने फिलहाल जो सोसायटी बनाई है, उनके पास ये धरोहर राशि है ही नहीं।



रहवासियों पर पड़ी दोहरी मार




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आकृति ग्रीन्स सोसायटी की ओर से जारी किया गया लेटर




घर और फ्लैट खरीदते समय रहवासियों ने आकृति बिल्डर को 3 साल के मेंटेनेंस के साथ ही धरोहर राशि भी जमा की थी, जो प्रोजेक्ट कम्प्लीट होने के बाद बिल्डर को लौटाना थी, लेकिन बिल्डर वह राशि भी डकार गया, इससे रहवासियों पर दोहरी मार पड़ गई है। आकृति ग्रीन में फ्लैट लेते समय रहवासियों ने 30 हजार रूपए बिल्डर को दिए थे, इनमें 18 हजार रूपए तीन साल का मेटेनेंस और 12 हजार रूपए धरोहर राशि के रूप में जमा की थी। आकृति ग्रीन्स में 540 फ्लैट हैं, इस हिसाब से यह राशि 65 लाख के आसपास बनती है। आकृति बिल्डर से यह राशि नहीं मिलने पर अब आकृति ग्रीन्स रहवासी रखरखाव सहकारी संस्था मर्यादित (रहवासी द्वारा बनाई गई सोसायटी) प्रत्येक रहवासी से 4 हजार रूपए अतिरिक्त जमा करवा रही है। आकृति ग्रीन्स में रहने वाले रवि तिवारी का कहना है कि ये तो होमबायर्स पर दोहरी मार है। पहले हमने बिल्डर को पैसे दिए और अब अतिरिक्त पैसे देने पड़ रहे हैं। रेरा को चाहिए कि वह इस मामले में भी संज्ञान ले, ताकि सोसायटी को बिल्डर से उनका हक का पैसा मिल सके। 



आर्म्स के आफिस शिफ्ट करने को लेकर भी विवाद 



आकृति रियलस्टेट मेटेनेंस सर्विस (ARMS) यानी आर्म्स का पहले आफिस आकृति बिजनेस सेंटर में था। लेकिन इसे 4—5 महीने पहले ही आकृति बिजनेस सेंटर के ठीक सामने बने रही आकृति बिजनेस आर्केड की निर्माणाधीन बिल्डिंग के एक कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। आकृति बिल्डर के दीवालिया होने के बाद बिल्डर के पूरे पॉवर आईआरपी अनिल गोयल के पास चले गए हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट और एनसीएलएटी दिल्ली में विचाराधीन है, ऐसे में आर्म्स के इस तरह से आफिस शिफ्टिंग को लेकर भी विवाद खड़े हो रहे हैं। द सूत्र भी आर्म्स के आफिस पक्ष जानने के लिए पहुंचा, लेकिन यहां कर्मचारियों ने पक्ष देने से मना करते हुए आर्म्स के कर्ताधर्ता संतोष सोनी का मोबाइल नंबर 9009186628 पर कॉल किया तो जवाब देने वाले ने द सूत्र का नाम सुनते ही रॉन्ग नंबर बोलते हुए कॉल काट दिया। वहीं संतोष सोनी के एक अन्य नंबर 7000955299 पर कॉल किया तो मोबाइल स्विच आफ मिला।    


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