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ग्वालियर-चंबल अंचल में ओलों और बारिश से 50% फसल खराब, अफसर लाड़ली बहना में लगे, इसलिए किसानों को नहीं मिल पा रही मदद

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Pratibha Rana
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ग्वालियर-चंबल अंचल में ओलों और बारिश से 50% फसल खराब, अफसर लाड़ली बहना में लगे, इसलिए किसानों को नहीं मिल पा रही मदद

देव श्रीमाली, GWALIOR. मध्यप्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में अन्नदाता पिछले 5 सालों से प्रकृति की मार झेल रहा है और इस बार भी किसानों के लिए बेमौसम बारिश और ओले कहर बनकर आए हैं। अंचल में कई बार मौसम खराब होने के कारण बारिश ओले किसानों के खेत में खड़ी फसल को पूरी तरह बर्बाद कर रहे है। अंचल के ग्वालियर, मुरैना, भिंड, दतिया, शिवपुरी और गुना में बारिश के साथ ओले गिरे और उसके बाद किसानों की खेतों में खड़ी गेहूं सरसों चना की फसल बर्बाद हो गई है। किसानों ने सरकार से मांग की है ओलावृष्टि के कारण हुई बर्बाद फसलों का सर्वे कराकर जल्द से जल्द मुआवजा दिया जाए। लेकिन पूरे प्रशासनिक अमले के लाडली बहना योजना के पंजीयन काम मे फंसे होने के कारण किसानों को अब तक कोई राहत नहीं मिल सकी है।





अभी सिर्फ नेताओ से किसानों को वादे मिले राहत नहीं





ग्वालियर चंबल अंचल में पिछले 5 सालों से किसान पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। अंचल का किसान जब अपने खेत में कड़ी मेहनत और पसीने से अपनी फसल को उगाता है, उससे पहले की प्रकृति उनपर कहर बनकर टूटती है। यही हाल अबकी बार देखने को मिला है। अंचल में मौसम खराब होने के कारण बारिश और ओलावृष्टि होने के कारण किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। अंचल में हुई बारिश और ओलावृष्टि के बाद सरकार ने तत्काल जिले के कलेक्टर को निर्देश दिए कि वह मौके पर जाकर बर्बाद हुई फसल का सर्वे करें और उसके बाद किसानों को मुआवजा दिया जाए। सरकार के निर्देश के बाद जिले के कलेक्टर सहित सभी प्रशासनिक अधिकारियों ने सर्वे का काम शुरू कर दिया है। किसानों के आंसू पौंछने केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र तोमर, केंद्रीय नागर विमानन मंत्री क्योतिरादित्य सिंन्धिया, सांसद विवेक शेजवलकर अनेक मंत्री तो उनके पास पहुंचकर तत्काल राहत पहुंचाने के वादे कर चुके हैं,  लेकिन अभी तक किसी को कोई राहत नहीं मिल सकी है। 





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ओलों ने बर्वाद कर दी 50 फीसदी से ज्यादा फसल





ग्वालियर- चंबल अंचल के सभी जिलों में लगभग बारिश के साथ ओले गिरे हैं। इस समय किसानों के खेतों में सरसों गेहूं चना की फसल खड़ी हुई है। यह सभी फसलें अभी कटने की स्थिति में है, लेकिन इससे ही पहले प्रकृति ने किसानों को बुरी तरह तोड़ दिया है। अंचल में हुई बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों की लगभग 40 से 50% तक फसल चौपट हो गई है। कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां पर बड़े-बड़े ओले गिरने से फसल में 80% नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि प्रकृति की मार्कशीट को पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। पिछले 4 से 5 सालों में हर बार बाढ़ के कारण उनकी फसल बर्बाद हो रही है। वहीं बेमौसम बारिश होने के कारण फसल उनकी चौपट होती आ रही है। उनका कहना है कि सरकार सर्वे कराने के बाद मुआवजे का दावा करती हो लेकिन पिछले 5 सालों में सरकार ने जो आधे अधूरे सर्वे किए हैं, उनसे किसानों को राहत नहीं मिल रही है। कुछ किसान तो ऐसे हैं, जिन्हें अभी तक बर्बाद फसल का मुआवजा तक नहीं मिल पाया है।



 



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