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देव श्रीमाली, GWALIOR. मध्यप्रदेश चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण अग्रवाल का मानना है कि देश के वर्तमान बजट से भले ही आयकर में थोड़ी बहुत राहत मिले, लेकिन मंहगाई से राहत मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही क्योंकि डीजल और पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमतों को कम करने को लेकर बजट में कोई योजना शामिल नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि बजट में कैशलेस को बढ़ावा देने के संकेत हैं लेकिन इससे व्यापारियों के साथ होने वाले फ्रॉड रोकने और नुकसान की भरपाई करने का कोई ठोस उपाय नहीं दिखा। इसी तरह युवाओं में उद्योग और व्यापार से हो रहे माइग्रेशन को रोकने और 10 फीसदीऑनलाइन व्यापारियों के सामने नहीं टिक पा रहे नब्बे फीसदी व्यापारियों की चिंता दूर करने का भी कोई बन्दोबस्त बजट में नहीं दिखा।
पेट्रोल-डीजल और कुकिंग गैस को लेकर कोई ऐलान नहीं
डॉ अग्रवाल ने कहा कि हालांकि अभी मेरी प्रतिक्रिया शुरुआती है क्योंकि पूरा अध्ययन बाकी है लेकिन जो आयकर की सीमा 5 से बढ़ाकर 7 लाख की गई है वो स्वागतयोग्य है। स्टार्टअप की समय सीमा बढ़ाना और एमएसएमई के कोष में वृद्धि करना भी स्वागतयोग्य कदम है। चेंबर अध्यक्ष ने कहा कि आमजन के हिसाब से बजट में कुछ खास नहीं दिखा क्योंकि पेट्रोल और रसोई गैस की कीमतों ने लोगों को परेशान कर रखा है लोगों को इनकी कीमतों के नियंत्रण की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बजट से मंहगाई में कोई कमी होने का संकेत नहीं मिला।
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कैशलेस में सायबर क्राइम से व्यापारी को कैसे बचाएगी सरकार?
डॉ अग्रवाल ने कहा कि इस बजट के जरिये सरकार कैशलेस की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए नजर आई है लेकिन सायबर क्राइम को रोकने के लिए कोई ठोस और इससे व्यापारियों और आमजन को होने वाली आर्थिक क्षति की रिकवरी की कोई ठोस व्यवस्था भी बजट में परिलक्षित नहीं हुई है। डॉ अग्रवाल ने कहा कि न केवल एमपी बल्कि पूरे हिंदुस्तान का व्यापारी व्यापार के आगे टिक नहीं पा रहा है क्योंकि ऑनलाईन व्यापार में बड़े पिलर हैं। उनको सरकार से भी बड़ी सुविधाएं मिल रहीं है और उत्पादकों से भी सोचना पड़ेगा कि उसे 10 परसेंट व्यापारियों चिंता करना है या 90 व्यापारियों की ? ये करोड़ों लोग स्वरोजगार को अपनाकर लाखों लोगों को रोजगार दे रहे हैं। अगर सरकार ने समय रहते चिंता नहीं की तो एक जैसी स्थिति बनेगी। उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी हमारे व्यापार और उद्योग में नहीं आ रही है उसके कारणों पर भी जाना होगा। इसकी वजह उनके मन में बैठी असुरक्षा की भावना है। जिस प्रकार हर व्यक्ति के सामने आपदा विपदा आने पर सरकार सुरक्षा देती है ऐसे ही व्यापारियों के लिए एक आपदा फंड बनाना होगा जो ऐसे हालात होने पर उद्योगपति और व्यापारी को ब्याजमुक्त ऋण प्रदान करे और आसान किश्तों में इसकी वापसी हो। इससे सरकार का खजाना यथावत रहेगा और उद्योगपति और व्यापारी भी पुनर्जीवित हो सकेगा। जो हमारी पीढ़ी उद्योग व्यापार से छिटक रही है, इसमें जो यूथ माइग्रेशन हो रहा है उसे इससे रोका जा सकेगा।