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देव श्रीमाली, GWALIOR. लंबे समय से अपनी बसाहट की बाट जोह रहे विशेष क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) के दिन अब फिरने की संभावनाएं बनने लगीं हैं। ग्वालियर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) में सशस्त्र सीमा बल के ट्रेनिंग सेंटर के निर्माण का कार्य शीघ्र प्रारंभ होगा। 42 करोड़ रूपए की लागत से ट्रेनिंग सेंटर बनेगा। ट्रेनिंग सेंटर के साथ ही 100 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के आवास, सैनिकों के लिए बैरक, मैस आदि का निर्माण किया जाएगा। संभागीय आयुक्त दीपक सिंह ने गुरूवार 1 दिसंबर को संभागीय आयुक्त कार्यालय में सशस्त्र सीमा बल के अधिकारियों और साडा के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में यह जानकारी दी।
बीएसएफ अफसरों के साथ हुई बैठक
संभागीय आयुक्त दीपक सिंह ने सशस्त्र सीमा बल के सैकेण्ड कमाण्ड ऑफीसर डी राजेश पॉल से विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग सेंटर के लिए 42 करोड़ रूपए की कार्य योजना वित्त विभाग से मंजूर हो गई है। इसकी स्वीकृति के लिए केन्द्रीय कैबिनेट में प्रस्ताव भेजा गया है, जिसकी स्वीकृति भी शीघ्र प्राप्त होगी। कैबिनेट से स्वीकृति मिलते ही ट्रेनिंग सेंटर के निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।
बीएसएफ अधोसंरचना का भी करेगा विकास
संभाग आयुक्त ने सशस्त्र सीमा बल के अधिकारियों से कहा है कि ट्रेनिंग सेंटर के निर्माण का लेआउट की स्वीकृति ऑनलाइन नगर एवं ग्राम निवेश विभाग से प्राप्त कर लें ताकि निर्माण प्रारंभ करने में किसी भी प्रकार का विलंब न हो। इसके साथ ही जिला प्रशासन एवं नगर निगम से भी जो सहयोग अपेक्षित होगा उसे प्रदान किया जाएगा।
जमीन पहले ही खरीद चुका है बीएसएफ
साडा के अधिकारियों ने बैठक में बताया कि सशस्त्र सीमा बल को पूर्व में ही 12 करोड़ रूपए की राशि जमा कर 37 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी, जिसका पजेशन भी प्रदान कर दिया गया है। बैठक में संयुक्त संचालक टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग बी के शर्मा, संपदा अधिकारी साडा एवं एकाउण्ट ऑफीसर साडा भी उपस्थित थे।
इन्होंने की चर्चा
नगर निगम आयुक्त एवं विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के सीईओ किशोर कान्याल ने बाल भवन में पुलिस ट्रेनिंग केन्द्र तिघरा के पुलिस अधीक्षक, सशस्त्र सीमा बल के अधिकारियों और साडा के अधिकारियों के साथ चर्चा की। ट्रेनिंग सेंटर के निर्माण हेतु साडा द्वारा आवंटित की गई भूमि एवं पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के लिए उपलब्ध कराई गई भूमि के संबंध में चर्चा की गई। बैठक में तय किया गया कि संयुक्त रूप से उपलब्ध भूमि का निरीक्षण कर दोनों ही संस्थाओं को उपलब्ध कराई गई भूमि का सीमांकन कर उन्हें जानकारी दी जाए।