ग्वालियर में राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा बोले- देश में 5 करोड़ केस हैं पेंडिंग, कम से कम 300 दिन चले कोर्ट

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Shivasheesh Tiwari
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ग्वालियर में राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा बोले- देश में 5 करोड़ केस हैं पेंडिंग, कम से कम 300 दिन चले कोर्ट

देव श्रीमाली, GWALIOR. सुप्रीम कोर्ट के वकील और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने कहा है कि न्यायिक सिस्टम में एक बड़े रिफॉर्म की जरूरत है। सबसे पहले कोर्ट की छुट्टियां खत्म की जाएं। उन्होंने कहा कि व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि जज और वकील अपनी छुट्टियां जब चाहे मनाएं लेकिन इससे कोर्ट बंद नहीं होना चाहिए। इससे लोगों को शीघ्र न्याय मिलेगा और उनका न्यायपालिका को लेकर भरोसा बढ़ेगा। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन होगा और अदालतों में लगे मुकदमों का अंबार भी कम होगा। उन्होंने कहा कि मैंने यह बात सदन के माध्यम से सरकार के ध्यान में लाई।



कोर्ट वेकेशन पर नहीं जा सकता



ग्वालियर पहुंचे विवेक तन्खा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कानून मंत्री के साथ डिस्कशन हुआ है। वे अपेक्षा कर रहे थे कि मैं भी कुछ कहूंगा इसलिए मैंने भी इसमें पूरक जानकारी रखी। विवेक तनखा ने कहा कि जिस तरफ पुलिस या सरकार एक सॉवरेन फंक्शन करती है, वैसे ही कोर्ट भी करता है। इसलिए कोर्ट वेकेशन में नहीं जा सकता है। कोर्ट बन्द नहीं हो सकता। सिर्फ हॉलीडेज में बंद हो सकता है।



अंग्रेजों का कांसेप्ट है कोर्ट वेकेशन



विवेक तन्खा ने कहा कि उन्होंने कानून मंत्री को बताया कि कोर्ट में वैकेशन का कांसेप्ट अंग्रेजों का है।  ब्रिटिश काल में जब ब्रिटिशर्स जज अपने घर जाते थे तो उन्हें दो महीनों के लिए छुट्टी चाहिए होती थी। लेकिन अब इसकी कोई जरूरत नहीं है। 



कोर्ट में लंबित हैं पांच करोड़ केस



सांसद तन्खा ने कहा कि इस समय देश में पांच करोड़ केस लंबित है। यह बात जब मैंने उठाई तो प्रधानमंत्री भी बैठे थे। मैंने कहा कि आप इस चीज को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ टेक अप करिए। स्टैंडिंग कमेटी के जरिए हम भी इसको उठाएंगे। उन्होंने कहा कि आप जजेज को अवकाश दीजिए साल में बीस दिन-पच्चीस दिन और वे इसे जब चाहें तब ले लें लेकिन सब छुट्टी पर जाते हैं और कोर्ट बंद रहता है। यह सब बंद होना चाहिए क्योंकि अभी आप 200 दिन कोर्ट चलाते हो, फिर कम से कम तीन सौ दिन कोर्ट चलेगा तो एक तिहाई मुकदमों का और निराकरण होगा। हमने यह बात रिफॉर्म के रूप में उठाई है। पहले एक कदम उठाएं तो बाकी रिफॉर्म की तरफ बढ़ेंगे क्योंकि कोर्ट के डॉकेट में हम पांच केस नहीं रख सकते। इससे हमारी बदनामी भी हो रही है और हमारे ज्यूडिशियरी सिस्टम के फेल्यर की तरफ भी इशारा होता है।

 


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