BHOPAL: पूरे देश भर के साथ-साथ मध्य प्रदेश में इस वक़्त H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस की चर्चा है। यह इन्फेक्शन युवा और बुजुर्ग लोगों के साथ-साथ खासकर बच्चों को निशाना बना रहीं हैं। गुरुवार को ही भोपाल के बैरागढ़ से एक 25-वर्षीय युवक में H3N2 इन्फ्लूएंजा का पहला केस मिला है। तो वहीँ ग्वालियर और ग्वालियर चंबल अंचल के जयारोग्य अस्पताल में भी H3N2 वायरस से मिलते-जुलते मरीजों की संख्या लगभग 4 गुनी पहुंच गई है। ग्वालियर में H3N2 वायरस से मिलते-जुलते लक्षण वाले हर दूसरे बच्चे को आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है। साथ ही जबलपुर के अस्पतालों की ओपीडी में भी करीब आधा सैकड़ा केस फ्लू के ही रिपोर्ट हो रहें हैं। बता दें कि इन्फ्लूएंजा वायरस 4 प्रकार के होते हैं - A, B, C और DI और H3N2 इन्फ्लुएंजा A वायरस का एक सब-टाइप हैI भोपाल के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने द सूत्र से बातचीत में बताया कि बैरागढ़ निवासी मरीज की हालत अभी स्थिर है, इसलिए उसे हॉस्पिटलाइज नहीं किया गया हैI
जबलपुर में 50% फ्लू के मरीज़ बच्चे, ग्वालियर में पीडियाट्रिक ICU फुल
ग्वालियर चम्बल अंचल के जयारोग्य अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि इस समय अस्पताल में सबसे अधिक मरीजों की संख्या उन लोगों की है जिनको सर्दी जुकाम खांसी और बुखार है। मरीजों की संख्या अचानक बढ़ने से पलंग कम पड़ रहें हैं। कमलाराजा चिकित्सालय के आईसीयू में ऐसे लक्षण वाले लगभग 40 बच्चे भर्ती है, जिनमें से अधिकतर बच्चे एक वर्ष से कम उम्र के हैं। चिकित्सालय के शिशु रोग विभाग प्रमुख डॉ अजय गौड़ ने बताया है कि खांसी-सर्दी-जुकाम बुखार होने के साथ-साथ इन बच्चों में पसलियां चलने लगती है। ऐसे बच्चों को तेजी के साथ सांस लेना, उल्टी और लगातार लम्बी चलने वाली खांसी होने के साथ-साथ तेजी से बुखार आ रहा है। डॉ गौड़ बताते है कि यह वायरल एक साल से छोटे बच्चे को ज्यादा परेशान कर रहा है, उन्हें भर्ती करना पड़ रहा है। यही हाल जबलपुर का भी है जहाँ अस्पतालों की ओपीडी में करीब आधा सैकड़ा केस फ्लू के हैं। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अव्यक्त अग्रवाल का कहना है कि ओपीडी में करीब 30 से 50 प्रतिशत बच्चे फ्लू से पीड़ित होकर आ रहे हैं। हालांकि, जबलपुर में पीड़ित बच्चों को भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ रही है।
जनवरी-मार्च और पोस्ट-मानसून में H3N2 इन्फ्लूएंजा से सतर्क रहने की जरुरत
भोपाल CMHO डॉ. प्रभाकर तिवारी के अनुसार H3N2 इन्फ्लूएंजा या कोई भी इन्फ़्लुएन्ज़ा वायरस जनवरी से मार्च के महीने और पोस्ट-मानसून सीजन में ज्यादा एक्टिव रहता है I इसलिए मार्च के अंत तक इसके केसेस समाप्त हो सकते हैं I फिर भी सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के मरीज़ों के केसेस पर सरकारी अस्पतालों द्वारा नज़र रखी जा रही हैI
H3N2 वायरल इन्फेक्शन के साथ COVID-19 इन्फेक्शन की भी सम्भावना
डॉक्टर तिवारी ने द सूत्र से बात में ये भी बताया कि क्योंकि H3N2 वायरस और COVID-19 के फैलने का तरीका एक ही है -छीकों की ड्रॉप्लेट्स के जरिये - इसलिए कई बार H3N2 वायरल इन्फेक्शन के साथ COVID-19 इन्फेक्शन की सम्भावना भी बढ़ जाती है I
पर H3N2 वायरल इन्फेक्शन में मृत्यु दर कोविड से कम
ग्वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज के पीएसएम विभाग के एचओडी और जयारोग्य कोविड में आरटीपीसीआर पॉजिटिव आ जाता है इसमें पॉजिटिव नहीं आएगा। इसमें मृत्यु दर इतनी नहीं है। चिकित्सा समूह के अधीक्षक रहे डॉ अशोक मिश्रा कहते हैं कि इसमें कोविड के लक्षण है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। कोविड में आरटीपीसीआर पॉजिटिव आ जाता है इसमें पॉजिटिव नहीं आएगा। इसमें मृत्यु दर इतनी नहीं है लेकिन लक्षण आने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
15 -20 दिन में ठीक होता है पेशेंट
भोपाल के चिकित्स्कों का कहना है कि इस इन्फेक्शन में रिकवरी मरीज़ की उम्र, सेहत, ऑर्गन इन्वॉल्वमेंट और इन्फेक्शन की गंभीरता पर निर्भर करती है। तो ग्वालियर जयारोग्य अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि इसमें मरीज ठीक होने में लगभग 15 से 20 दिन तक ले रहे हैं।
और केसेस के सम्भावना पर कुछ कहना मुश्किल
मध्य प्रदेश में ऐसे और भी केसेस होने की संभावना पर CMHO डॉक्टर प्रभाकर तिवारी का कहना है कि क्योंकि जब भी किसी सैंपल के टेस्टिंग होती है तो वह एक्सक्लूसिवली H3N2 के लिए नहीं की जाती है, बल्कि सभी संभावित बीमारियों जैसे H1N1 वायरल इन्फेक्शन, COVID-19 इन्फेक्शन , डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के लिए कम्प्रेहैन्सिव टेस्टिंग के जाती है, इसलिए ये नहीं बताया जा सकता कि H3N2 वायरल इन्फेक्शन के कितने केसेस संभावित है I
H3N2 के लक्षण
- नाक से पानी आना
रोकथाम
हालाँकि, डॉ. प्रभाकर तिवारी ने साथ में ये भी कहा कि फिर भी H3N2 वायरस से डरने की जरुरत नहीं हैI अगर लोगों को वायरस से बचना है तो उन्हें इन्फ़्लुएन्ज़ा वायरस के लिए जारी गाइडलाइन के तहत प्रोटोकॉल को फॉलो करना चाहिए, जैसे - भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग मेन्टेन करनाI परन्तु सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के मरीज़ों को और कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीज़ जैसे जो लोग इम्यूनो-सप्रेसेंट दवाइयों का सेवन करते हो या इम्यूनो-थेरेपी/कीमोथेरेपी ले रहे हो जैसे कैंसर की मरीज़, पोस्ट ऑर्गन ट्रांसप्लांट वाले मरीज़, क्रोनिक रीनल फैल्यर वाले मरीज़, को-मोर्बिडिटी वाले मरीज़, वरिष्ठ नागरिक और छोटे बच्चों को सतर्क रहने की जरुरत हैI भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा पहले ही 10 मार्च, 2023 को नई दिल्ली में बैठक कर और दो दिन पहले मध्य प्रदेश में राज्य स्तरीय बैठक कर H3N2 वायरस के सिलसिले गाइडलाइंस जारी कर दी गईं हैंI
उपचार: मरीज़ों के लिए टैमीफ्लू दवा
अगर किसी को भी खांसी, जुकाम और बुखार की शिकायत होती है तो मरीज़ सरकारी अस्पतालों और क्लीनिक में स्वास्थ्य सलाह की सुविधा हैI H3N2 इन्फेक्शन की स्वाब सैंपल कलेक्शन, जांच और ट्रीटमेंट बिलकुल फ्री है I इसकी दवाई Tamiflu भी मुफ्त उपलब्ध है। ग्वालियर के चिकित्सा समूह के अधीक्षक रहे डॉ अशोक मिश्रा का ये कहना है कि इसमें बगैर डॉक्टर की सलाह के बगैर मर्जी से एंटी बायोटिक नहीं लेनी चाहिए। डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा ही लें।
स्वास्थ्य विभाग तैयार: बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों की पर्याप्त व्यवस्था
भोपाल CMHO तिवारी के अनुसार सिर्फ H3N2 वायरल इन्फेक्शन के लिए डेडिकेटेड बेड्स की व्यवस्था तो नहीं है, परन्तु जरुरत पड़ने पर प्रदेश के सभी सरकारी जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों की पर्याप्त व्यवस्था है। वहीँ ग्वालियर जिले के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ मनीष शर्मा का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग ने इन्फ्लूएंजा H3N2 वायरस के मरीजों के लिए अलग से ओपीडी लगाने के निर्देश जिला अस्पताल और जयारोग्य अस्पताल में भी दिए हैं। साथ ही बच्चे और बुजुर्गों को दूर रहने के लिए कहा गया है क्योंकि यह वायरस संपर्क में आने वालों को फैल रहा है इसलिए वैक्सीन और कोरोना टेस्ट पर भी लगातार मीटिंग की जा रही है।
भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में होगी जांच
भोपाल CMHO डॉ प्रभाकर तिवारी ने यह भी बताया कि H3N2 और H1N1 के संदिग्ध मरीजों के स्वाब का सैंपल कलेक्शन कई सरकारी अस्पतालों में किया जाता हैI पर संदिग्ध मरीजों के सैंपल की जांच की सुविधा भोपाल के एम्स की लैब और गांधी मेडिकल कॉलेज की स्टेट वायरोलॉजी लैब में मौजूद हैI जबकि ग्वालियर में डीआरडीई और जबलपुर में आईसीएम की आरएमआरसीटी में H3N2 के नमूनों की जांच होगी। स्वास्थ्य संचालनालय के अफसरों के अनुसार प्रदेश से H3N2 के संदिग्ध मरीजों के नमूने जांच के लिए इन्हीं चार लैब में जांच के लिए भेजे जाएंगे।
(इनपुट्स: ग्वालियर: देव श्रीमाली/ जबलपुर: ओ पी नेमा)