BHOPAL. मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। परवान चढ़ रहे इस चुनावी माहौल में एक और गिनती शुरू हुई है। ये गिनती है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणाओं की। शिवराज सिंह चौहान की मुख्यमंत्री के रूप में चौथी पारी घोषणाओं की पारी ही रही है। 2018 में सरकार गंवाई और फिर 15 महीने बाद जैसे-तैसे सरकार बनाई। जाहिर है इस दौरान सरकार को संभालने के साथ ही शिवराज के सामने जनता को समझाने और संभालने की भी चुनौती थी। लिहाजा फिर शुरू हो गया घोषणाओं का सिलिसला। सीएम 1 दिन में 2 घोषणाएं करने लगे जबकि पूरा करने का औसत रोजाना आधी घोषणा का रहा। अब चुनाव आ गए हैं तो फिर शुरू हो गई है सीएम की घोषणाओं की गिनती।
3 साल ढाई हजार घोषणाएं, पूरी आधी भी नहीं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणाओं को लेकर हमेशा किरकिरी होती रही है। बीजेपी के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने उन्हें घोषणावीर मुख्यमंत्री तक की संज्ञा दे डाली थी। हालांकि सीएम और संगठन की आपत्ति के बाद उन्होंने बयान को बदलकर कह दिया था कि जो वीर है वही घोषणाएं करता है, लेकिन सीएम पर लगे इस टैग ने आज तक उनका साथ नहीं छोड़ा है। चौथी बार शिवराज सिंह चौहान ने सीएम की कुर्सी संभाली और शुरू हो गया घोषणाओं का सिलिसला। सूत्रों की मानें तो शिवराज सिंह चौहान ने चौथी पारी के 3 साल में अब तक करीब 2400 घोषणाएं की हैं। यानी एक दिन में सीएम औसतन 2 घोषणाएं कर रहे हैं। जबकि उनमें से आधी घोषणाएं ही पूरी हुई हैं। यानी सीएम की गई करीब 1200 घोषणाएं ही अब तक पूरी हो पाई हैं। तो क्या ये समझा जाए कि आधी हकीकत और आधा फसाना है। चुनावी साल में सीएम की घोषणाओं की रफतार और तेज हो गई है। हाल ही में की गईं सीएम की 3 बड़ी घोषणाएं चर्चा में हैं, हालांकि इनमें से कितनी पूरी होंगी ये अलग बात है क्योंकि इनमें से कुछ घोषणाएं अव्यवहारिक ही नजर आती हैं।
3 घोषणाएं
- लाड़ली बहना
इन विभागों की इतनी घोषणाएं लंबित
- नगरीय प्रशासन - 215
जिलों में ही गुम हो जाती हैं अधिकांश घोषणाएं
सीएम अलग-अलग जगह जाकर वहां की आवश्यकता के अनुसार जनिहत की घोषणां करते हैं, इस पर उनको तालियां भी बहुत मिलती हैं। लेकिन सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अधिकांश घोषणाएं जिलों में ही गुम हो जाती हैं। कलेक्टर जिन योजनाओं पर अमल के लिए संबंधित विभागों को भेजते हैं वही सूचीबद्ध हो पाती हैं। सीएम इनकी समीक्षा भी करते हैं। समीक्षा में ही ये बात सामने आई है कि करीब 1200 घोषणाओं पर तो अमल के लिए कोई कदम ही नहीं उठाया गया। विभागों के पीएस और एसीएस को ये निर्देश दिए गए हैं कि इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। जहां वित्त से संबंधित मामला है उनको चिन्हित कर वित्त विभाग को भेजा जाए। जहां दूसरे विभागों से संबंधित घोषणाएं हैं उनको संबंधित विभाग को भेजा जाए।
2018 से पहले 5 हजार घोषणाएं
सीएम ने अपने तीसरे कार्यकाल यानी 2013 से 2018 तक करीब 5 हजार घोषणाएं की थीं। ये घोषणाएं मंच से, बैठकों में, सम्मेलनों में, प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात और अन्य समारोहों में की थीं। इनमें से महज 3 हजार घोषणाओं पर ही अमल नहीं हो पाया। सूत्रों के मुताबिक सीएम शिवराज ने अपने डेढ़ दशक के कार्यकाल में जितनी घोषणाएं की हैं उनमें से 20 हजार से ज्यादा तो लापता हो गई हैं।
कई घोषणाओं पर विभागों की आपत्ति
- लाड़ली बहना योजना में 5 साल में 60 हजार करोड़ का खर्च आएगा। प्रदेश की खस्ता हालत को देखते हुए ये सवाल उठ रहे हैं कि ये कब तक चलेगी।
कांग्रेस ने सीएम को बताया घोषणा मशीन
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को घोषणा मशीन बताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कहते हैं कि सीएम तो चुनाव जीतने के लिए कोरी घोषणाएं करते रहते हैं ताकि जनता भ्रम में रहे। वे तो जेब में नारियल लेकर चलते हैं और जहां मौका मिलता है फोड़ देते हैं। ये घोषणाएं सिर्फ घोषणाएं बनकर रह जाती हैं।