देव श्रीमाली, GWALIOR. एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नर्सिंग परीक्षाओं पर प्रदेश भर में लगी रोक हटाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि हम एमपी एनआरसी पर भरोसा नहीं करते। उनका रिकॉर्ड बहुत खराब है। अगर पहले इतनी ईमानदारी से काम हुआ होता तो ये स्थिति ही नहीं बनती।
मान्यता प्रक्रिया की पेनड्राइव सौंपी
परीक्षा पर लगी रोक हटवाने के लिए एमपी सरकार,एमपी नर्सेस रजिस्ट्रेशन कौंसिल और मेडिकल साइंस विवि ने रोक हटाने को लेकर दलीलें दी, लेकिन उन्हें जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सत्येंद्र कुमार की डिवीजन बैंच ने खारिज कर दिया। महाधिवक्ता ने डीबी में उपस्थित होकर बताया कि एमपी नर्सेस रजिस्ट्रेशन कॉन्सिल ने सत्र 2022-2023 के लिए सभी 485 कॉलेजो का निरीक्षण किया है। इसके बाद ही मान्यता देने की प्रक्रिया की गई, जिसकी रिपोर्ट पेन ड्राइव में प्रस्तुत कर दी है।
कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणियां
लेकिन कोर्ट ने महाधिवक्ता की दलीलों को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हम इस कॉन्सिल पर भरोसा नहीं करते। हमारी कुछ सीमाएं हैं, जिन्हें हम नहीं लांघना चाहते जबकि तथ्य ये है कि अनेक ऐसे कॉलेज हैं, जिनको राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। इसी के बूते वे छद्म कॉलेज संचालित कर रहे हैं और समाज मे जहर घोल रहे हैं। मुझे हैरानी है कि जिन लोगों को नर्सिंग का एन भी नहीं पता, उन्हें एग्जाम में बैठने की अनुमति दे दी गई।
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महाधिवक्ता ने यह भी कहा
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में अभी 485 नर्सिंग कॉलेज है, जिनमें लगभग 20 हजार स्टूडेंट पढ़ते हैं। इनमें 440 कॉलेज पुराने है। केवल 45 ही ऐसे हैं, जिन्हें पहली बार मान्यता प्रदान की गई है। 130 कॉलेज ऐसे है जो सीबीआई जांच के दायरे से बाहर हैं। शेष कॉलेज के रिकॉर्ड की जांच हो रही है।
कोर्ट ने कहा हम ये पब्लिसिटी नहीं आम जन के लिए कर रहे हैं
डीबी द्वारा इस मामले में चल रही सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि पिछली दो सुनवाई में कोर्ट की मंशा को ध्यान में रखकर मैंने खुद अधिकारियों को बुलाकर एक-एक दस्तावेज का निरीक्षण, परीक्षण किया है। इस पर कोर्ट ने कहा - आप इस केस से अभी नए जुड़े हो। इन लोगों ने बीते दो-तीन सालों में इस मामले में क्या तमाशे किए हैं,यह आपको नहीं बताया गया। देखिए हमारी चिंता दूसरी है कि जिस प्रदेश में एक बार धांधली हो चुकी है ,वहां हम फिर उन्हीं लोगों से कहे कि परीक्षा ले लो ? तो यह बात तो सीधे से निगली नहीं जा सकती। यह ध्यान रहे हम सब ये पब्लिसिटी के लिए नहीं बल्कि आम जन के हित के लिए कर रहे हैं।