Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर मनाए जा रहे प्रतिवाद दिवस के जरिए की जा रही वकीलों की हड़ताल को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करार दिया है। अदालत ने समस्त वकीलों से काम पर लौटने निर्देशित किया है। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के हरीश उप्पल मामले का हवाला देते हुए कहा है कि वकीलों का सामूहिक रूप से न्यायालयीन कार्य से विरत रहना विधिसंगत नहीं है। अदालत ने स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन के उस पत्र का भी हवाला दिया है जिसमें वकीलों के हड़ताल न करने का आश्वासन दिया गया था।
धर्मो रक्षति रक्षितः का भी किया उल्लेख
अदालत ने अपने आदेश के एक पैरा में संस्कृत के श्लोक धर्मो रक्षति रक्षितः का भी उल्लेख किया और तमाम अधिवक्ताओं को काम पर लौटने का निर्देश दिया है। अदालत ने साफ किया कि जो अधिवक्ता कार्य से विरत रहेंगे वे अदालत की अवमानना के दोषी होंगे। वहीं अदालत ने यह भी कहा कि यदि कोई वकील या उनका समूह किसी अधिवक्ता को अदालत में पैरवी करने से रोकता पाया गया तो उस पर विधिसंगत कार्रवाई की जाएगी।
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बता दें कि 25 पुराने प्रकरणों को 3 माह की समयावधि में निराकृत करने हाईकोर्ट ने तमाम जिला अदालतों को निर्देश दिए थे। जिसके बाद स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर प्रदेश के 92 हजार वकील काम से विरत हैं। वहीं जबलपुर की बात की जाए तो पिछले 11 दिनों से जिला अदालत का काम ठप पड़ा हुआ है।