SIDHI. वन्य जीव आपस में रिश्ते, नातेदारी निभाते हैं…अनाथ शावकों के देख रेख की जिम्मेदारी भी वहन करते हैं…यह सब किस्से -कहानी की तरह लगेगा पर यह सच है वन्यजीव भी रिश्तों को बखूबी निभाते हैं l बात संजय टाइगर रिजर्व की है जहां ट्रेन की चपेट में आने से बाघिन टी-18 की मौत हो गई थी। उसके चार शावक अनाथ हो गए। इनमें से एक शावक को बाघ ने मार डाला था। ऐसे में तीनों शावक और भी असुरक्षित महसूस करने लगे। तब उसकी मौसी ने उनकी मदद की। वह अपने तीन शावकों के साथ अनाथ हुए शावकों को भी मां का दुलार दे रही और देखभाल भी कर रही है। अब तीनों शावक न केवल सुरक्षित हैं बल्कि वयस्क होने की राह पर हैं।
यूँ बढ़ रहा है कमली का कुनबा
वन्यजीव विशेषज्ञ जयराज सिंह परिहार बताते हैं कि कमली बाघिन ने संजय टाइगर रिजर्व में पहली बार तीन शावकों को जन्म दिया था। इसमें से एक मेल है तो T-17, T-18 मादा हैं। इसके बाद कमली ने टी-28, टी 20 को जन्म दिया। टी-17 के खुद के तीन शावकों की उम्र करीब सात माह होगी। वहीं मां विहीन टी-15 के शावक अब 11 महीने के हो गए हैं। ये सभी शावक आपस में खेलते और शिकार का अभ्यास करते नजर आ रहे हैं। इन तीनों शावकों को कुछ दिनों पहले उनकी मौसी टी-17 के साथ देखा गया है। ट्रैकिंग टीम उनकी निगरानी कर रही है।कुल मिलाकर अनाथ हुए बच्चों के देखभाल की जिम्मेदारी जैसे मानव समाज निभाने की प्रथा चली आ रही ठीक वैसे ही खूंखार वन्यजीवों में भी रिश्ते निभाये जाते हैं l
विभाग भी कर रहा बाघ शावकों की निगरानी
संजय टाइगर रिजर्व ने बाघ शावकों की निगरानी के लिए कई ट्रैकिंग टीमें बनाई हैं। चार हाथियों वाले महावत रोजाना सुबह ट्रेकिंग कर रहे हैं। रिजर्व टीम का स्टाफ भी सर्विलांस में लगा हुआ है। टी-17 से शावकों के पैरों के निशान देखे गए हैं। वाघिन टी-17 सभी छह शावकों के साथ डेवा जंगल के अलावा चीतल वाडा, कंजरा झील, मंडोला नाला क्षेत्र में शिकार कर सकते हैं।शावकों के शिकार के लिए रिजर्व कर्मचारी रोजाना तीन से पांच जगह चिन्हित जगहों पर वन्यजीव बांध रहे हैं, ताकि शावक आसानी से शिकार कर सकें l