Jabalpur. करीब-करीब 15 दिनों से चल रही मेडिकल लैब टेक्नीशिनों की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। गनीमत है कि पैथोलॉजी की सेवाएं आउटसोर्स पर चल रही हैं। वरना स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा बुरा असर पड़ता। लेकिन ब्लड बैंक में ब्लड ग्रुपिंग से लेकर कंपोनेंट बनाने की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हुई है। जिससे थेलसेमिया समेत अन्य गंभीर बीमारियों के रोगियों को बिना जांच कराए ही बैरंग लौटना पड़ रहा है।
4 लोगों का स्टाफ ही दे रहा सेवा
बता दें कि जिला अस्पताल विक्टोरिया में 2 डॉक्टरों के साथ 4 लोगों का स्टाफ ब्लड बैंक में अलग-अलग शिफ्ट में ड्यूटी पर है, वहीं शेष टेक्नीशियंस हड़ताल के चलते नहीं आ रहे। पैथोलॉजी लैब में भी 10 लोगों के स्टाफ में से फिलहाल एक ही टेक्नीशियन उपलब्ध है। वहीं ब्लड बैंक में महज 4 टेक्नीशियंस उपलब्ध हैं। जिनमें से किसी एक को रक्तदान शिविरों में भेज दिया जाता है।
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नहीं हो पा रही ब्लड ग्रुपिंग
इन हालातों के चलते अस्पताल में ब्लड ग्रुपिंग बिल्कुल भी नहीं हो पा रही है। रोजाना अस्पताल में 150 से 250 जांचें होनी रहती हैं लेकिन अभी बमुश्किल 75 जांचें ही हो पा रही हैं। ऐसे में सिकलसेल और थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों को बड़ी परेशानी हो रही है।
ब्लड बैंक प्रभारी अमिता जैन ने बताया कि स्टाफ न होने के चलते ब्लड की मैचिंग, ग्रुपिंग और कंपोनेंट बनाने में समय लग रहा है। एफएफपी और पीआरपी जरूरत के मुताबिक तैयार नहीं हो पा रही हैं। अस्पताल के मरीजों की इमरजेंसी जांचों के कारण ओपीडी में आने वाले मरीजों के ब्लड ग्रुप की जांच नहीं कर पा रहे हैं, न ही ब्लड की क्रॉस मैचिंग हो पा रही है। उधर सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा का कहना है कि लैब टेक्नीशियंस की हड़ताल से आंशिक प्रभाव पड़ा है। जिसकी भरपाई आउटसोर्स कर्मचारियों से कराई जा रही है।