Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद सड़क किनारे और सार्वजनिक स्थलों पर तान दिए गए अवैध धर्मस्थलों को न हटाए जाने के रवैए को अदालत ने आड़े हाथों लिया है। जिसको लेकर दायर की गई अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच के सामने याचिकाकर्ता अधिवक्ता सतीश वर्मा ने अपना पक्ष रखा।
यह है मामला
अधिवक्ता सतीश वर्मा ने साल 2014 में अवमानना याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट ने भी साल 2018 में स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में किए जाने की व्यवस्था दी थी। इसके अलावा एक अन्य जनहित याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कार्यालय परिसर के बाहर सड़क पर मंदिर बनाए जाने को चुनौती दी गई थी।
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राजनैतिक दबाव में कार्रवाई न होने का आरोप
याचिकाओं पर पूर्व में संयुक्त सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को अवगत कराया गया कि सार्वजनिक स्थलों व सड़क किनारे बने अवैध धार्मिक स्थल हटाने के आदेश का पूर्णतः पालन नहीं किया गया है। कैंटोनमेंट और रेलवे समेत आर्मी एरिया में अवैध धर्म स्थल कलेक्टर की उदासीनता के चलते नहीं हटाए जा सके।
हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व में हटाए गए 11 अवैध धार्मिक स्थलों को पुनः निर्माण किया जा रहा है। कैंट बोर्ड की तरफ हाईकोर्ट को अवगत कराया गया कि कैंट में बचे हुए धर्मस्थल हटाने के लिए कलेक्टर को बार-बार पत्र लिखे गए लेकिन समय पर मजिस्ट्रेट और पुलिस बल उपलब्ध नहीं कराया जा सका।
बीती सुनवाई में जबलपुर प्रशासन की ओर से एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करते हुए बताया गया था कि अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने की कार्रवाई शीघ्र प्रारंभ की जाएगी। राज्य सरकार की ओर से बताया गया था कि अवैध धार्मिक स्थलों का सर्वे किया जा रहा है। जिसे गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने अगली सुनवाई के दौरान संबंधित अधिकारियों पर अवमानना संबंधित चार्ज पर सुनवाई निर्धारित की है।