योगेश राठौर, INDORE. इंदौर बायपास पर पांच जनवरी 2018 को हुए दुखद और भीषण हादसे में डीपीएस स्कूल के चार बच्चों सहित पांच लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट इंदौर बेंच में लगी जनहित याचिका पर 16 मार्च, गुरुवार को सुनवाई पूरी हुई।
90 किमी की रफ्तार से दौड़ रही थी बस
इंदौर बेंच में जनहित याचिका प्रमोद द्विवेदी की ओर से अधिवक्ता मनीष यादव के माध्यम से दायर याचिका और अन्य 6 याचिकाओं में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। यादव की ओर से तर्क रखे गए कि आरटीओ के नियम अनुसार बस 2012 से बाद की होना थी, लेकिन दुर्घनाग्रस्त बस 2003 मॉडल थी। साथ ही यह 3rd ऑनर थी। इसमें लगे स्पीड गवर्नर के अनुसार बस लगातार 90 की स्पीड से चलती थी। बस दुर्घटना के समय भी 90 से अधिक की गति से दौड़ रही थी। हादसे के दौरान चार छोटे बच्चों की जान चली गई थी।
ये खबर भी पढ़ें...
जनहित याचिका में रखी गई हैं ये मांगें
यादव ने बताया कि इसमें संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए गैर इरादतन हत्या की धारा 304 के तहत केस की मांग की गई है। साथ ही स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की गई है। इसके साथ ही स्कूल बसों को लेकर कठोर गाइडलाइन बनाने की मांग रखी गई हैं। इसके अनुसार स्कूल बसें 5 वर्ष से पुरानी न हो, फीस पर नियंत्रण हो, बसों की स्पीड निर्धारित हो, 40 किमी से अधिक न हो, प्रत्येक बस में 2 महिला 2 पुरुष अटेंडर और सीट बेल्ट हो। केबिन में किसी बच्चे को न बिठाया जाए आदि।
ऐसे हुआ था हादसा
पांच जनवरी 2018 को स्कूल की छुट्टी होने के बाद बायपास से बच्चों को लेकर बस तेज रफ्तार से जा रही थी। बस डिवाइडर से टकराकर दूसरी ओर चली गई। यहां बस की भिड़ंत ट्रक से हो गई। हादसे की मजिस्ट्रियल जांच भी हुई और इस स्कूल प्रबंधन की लापरवाही भी पाई गई थी। मामल में पुलिस ने स्कूल के परिवहन अधिकारी चैतन्य कुमावत, स्थानीय फर्म सुविधा आटो गैस संचालक नीरज अग्निहोत्री और जलज मेश्राम को गिरफ्तार भी किया था।