इंदौर में सेटेलाइट हिल में चंपू और उनकी पत्नी के साथ गर्ग, चुग और गुलाटी सभी ने पीड़ितों को उलझाया, 21 पीड़ितों ने की शिकायतें

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Rahul Garhwal
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इंदौर में सेटेलाइट हिल में चंपू और उनकी पत्नी के साथ गर्ग, चुग और गुलाटी सभी ने पीड़ितों को उलझाया, 21 पीड़ितों ने की शिकायतें

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में हाईकोर्ट के आदेश से गठित हाईकोर्ट रिटायर जज की कमेटी के सामने अब तीसरी कॉलोनी सेटेलाइट हिल की शिकायतों पर सुनवाई शुरू हो गई है। सोमवार को कमेटी के पास 21 फरियादी अपनी शिकायतें लेकर पहुंचे। वहीं इसमें चंदाप्रभु होम्स के योगेश जैन की ओर से भी आपत्ति पहुंची कि इसमें मेरी जमीन है तो इस पर कब्जा नहीं दिया जा सकता है। कमेटी ने उन्हें विधिवित विस्तृत फार्मेट में अपना आवदेन देना बोला है। वहीं कमेटी ने तय किया है कि कालिंदी और फिनिक्स की तरह सेटेलाइट में भी कॉलोनी लॉन्च करने से लेकर अभी तक जितने भी डायरेक्टर, डेवलपर्स इसमें जुड़े हुए हैं। इन सभी को एक दिन बुलाकर आमने-सामने कराया जाएगा। इसमें भूमाफिया चंपू अजमेरा और उनकी पत्नी योगिता के साथ ही कैलाश गर्ग, विकास गुलाटी, मोहन चुग की भी भूमिका शामिल है। कमेटी इन सभी को बुलाकर आमने-सामने कराएगी।





चंपू, गर्ग, गुलाटी, चुग इनकी ये है भूमिका





सेटेलाइट कॉलोनी से नारायण अंबिका इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रालि कंपनी के डायरेक्टर चंपू अजमेरा, योगिता अजमेरा, भगवानदास होतवानी, रश्मि पिता कैलाशचंद गर्ग, एवलॉन्च रियलिटी प्रालि, नितेश चुग पिता मोहनलाल चुग, महेश वाधवानी पिता टेकचंद वाधवानी और कैलाशचंद्र गर्ग पिता बाबूलाल गर्ग सभी जुड़े रहे हैं। इस कॉलोनी के विवाद सुलझाने के लिए प्रशासन की कमेटी ने चंपू, मोहन चुग, कैलाश गर्ग, विकास गुलाटी को फरवरी 2023 में नोटिस भी जारी किए थे और निराकरण के लिए कहा था, लेकिन किसी ने भी इस मामले में कमेटी को सहयोग नहीं दिया था। ये बात हाईकोर्ट में पेश हुई रिपोर्ट में लिखा गया है। साथ ही कमेटी ने इस उलझे मामले को लेकर विस्तृत जांच की बात कही थी।





कंपनी में बार-बार बदलते गए डायरेक्टर





सेटेलाइट कॉलोनी साल 2008 में लॉन्च हुई जो एवलांच कंपनी ने लॉन्च की थी, इसमें नितेश चुग और उनके पिता मोहन चुग थे। बाद में दोनों हटे और कंपनी में कैलाश गर्ग और सुरेश गर्ग, फिर प्रेमलता गर्ग और भगवानदास होतवानी भी आ गए। गर्ग ने बैंक में जमीन का कुछ हिस्सा गिरवी रखकर 110 करोड़ का लोन ले लिया। कंपनी ने 10 अप्रैल 2008 को प्रस्ताव पास कर चंपू को डेवलपर्स बना दिया और सौदे करने के लिए पॉवर दे दी। वहीं नारायण एंड अंबिका सॉल्वेक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी बनी जिसमें चंपू और उनकी पत्नी योगिता को साल 2005 में डायरेक्टर बने और साल 2009-10 तक रहे। अब सभी पक्षकार एक-दूसरे पर जिम्मेदार डाल रहे हैं और पीड़ित परेशान हैं।







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प्रशासन की रिपोर्ट में सेटेलाइट विवाद में इन सभी के नाम आए थे सामने







जमीन के स्वामित्व का विवाद, नक्शा ही गलत पास





चंदाप्रभु के साथ ही कुछ किसानों की भी आपत्ति है कि जमीन का सौदा हुआ ही नहीं और हमारी जमीन को कॉलोनी में दिखाकर नक्शा गलत पास कराया गया। ऐसे पूरा टीएंडसीपी से नक्शा ही गलत पास हुआ है। किसानों ने हाईकोर्ट में भी ये बात रखी हुई है।





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कुल 71 शिकायतों में से 27 ही निपटी थी





जब प्रशासन की कमेटी ने सुनवाई की थी तब 71 कुल शिकायतें आई थी जिसमें 49 रजिस्ट्री धारक और 22 रसीद पर सौदे करने वाले थे। इसमें से केवल रजिस्ट्रीधारक वाले 27 निपटे थे, लेकिन इसमें भी कब्जा मिलने के बाद भी वहां स्वामित्व को लेकर विवाद उठ रहा है, क्योंकि प्लॉट धारकों को किसान भगा देते हैं, क्योंकि चंपू, योगिता सहित कंपनी के अन्य ने इसमें मूल सौदा पूरा ही नहीं किया।



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