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देव श्रीमाली,GWALIOR. एक तरफ मुख्यमंत्री से लेकर अफसर तक सब दावा कर रहे हैं कि एमपी में रवि फसल के लिए उनके पास खाद का पर्याप्त स्टॉक है और यह सब किसानों को आसानी से उपलब्ध हो रहा है लेकिन ग्वालियर-चम्बल अंचल में जमीनी हकीकत इससे ठीक उलट है । पूरे अंचल में खाद की भारी किल्लत है जिसके चलते खाद माफिया मनमानी कीमत पर खाद बेच रहा है और यूपी से नकली खाद की आपूर्ति भी हो रही है । दतिया में तो प्रशासन को दुकानों पर रेट लिस्ट टंगवाना पड़ी वहीं भिण्ड में बीजेपी के किसान मोर्चा को ही इसके खिलाफ मुखर होना पड़ रहा है। जानें क्या है जमीनी हकीकत-
मनोज भार्गव - शिवपुरी
शिवपुरी जिले में करैरा के बाद अब शिवपुरी में भी खाद की किल्लत दिखाई दे रही है। इस समय रबी सीजन के दौरान किसानों को खाद की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इन दिनों गेहूं की फसल की बुआई तेजी से हो रही है। ऐसे में किसानों के सामने खाद का संकट पैदा हो गया है। खाद वितरण केंद्रों पर डीएपी खाद के लिए मारामारी मची हुई है। किसानों को एक बोरी खाद के लिए लाइन में लगकर धक्का-मुक्की करनी पड़ रही है। बावजूद इसके डीएपी नहीं मिल पा रही। वहीं शिवपुरी के तहसीदार का कहना है कि खाद की कोई किल्लत नहीं है। जिले में इस समय गेहूं की बुआई बड़े पैमाने पर की जा रही इसलिए किसानों को डीएपी खाद की आवश्यकता है। जैसे ही केंद्रों पर डीएपी आने की सूचना मिलती है किसान लाइन में लग जाते हैं। बता रहे हैं की सर्वर डाउन है। खाद की कालाबाजारी कर रहे हैं। दिनभर में केवल आठ दस कट्टे खाद देते हैं।
इस सिलसिले में अधिकारियों का कहना है कि खाद की कोई कमी नहीं है। खाद की जितनी ज़रूरत है,उतनी मिल गई है लेकिन केंद्रों पर भीड़ है,यह सही है।
दतिया
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के क्षेत्र में अफसर तो आंकड़ों के जरिये यह दावा कर रहे हैं कि जिले के पास खाद का पर्याप्त भंडार हैं कोई कमी नही है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास के उपसंचालक डॉ. डीएसडी सिद्वार्थ ने बताया कि जिले में रवी फसलों हेतु सहकारी संस्थाओं एमपी एग्रो एवं निजी उर्वरक की दुकानों से किसानों को उर्वरक वितरण किया गया है। उन्होंने बताया कि 1 अक्टूबर से अभी तक यूरिया 7 हजार 855 मैट्रिक टन प्राप्त हुआ था, जिसमें से 5 हजार 287 मैट्रिक टन यूरिया का वितरण किया जा चुका है। जबकि जिले में 2 हजार 567 मैट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है। इसी प्रकार डीएपी 10 हजार 707 मैट्रिक टन जिले को प्राप्त हुआ था, जिसमें 7 हजार 126 मैट्रिक टन किसानों को वितरित किया जा चुका है, जबकि 3 हजार 580 मैट्रिक टन उपलब्ध है लेकिन इसी के साथ वहां की जमीनी हकीकत की गवाही भी उनके द्वारा की गई कार्रवाई बताती है। क्षेत्र में खाद की कमी का फायदा खाद डीलर जमकर उठा रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि प्रशासन को दुकान-दर-दुकान पहली बार खाद की कीमत के रेट बोर्ड लगवाना पड़ रहे हैं।
10 दुकानदारों को नोटिस
स्वयं प्रशासन का कहना है कि कलेक्टर संजय कुमार के निर्देश पर दुकानों की चेकिंग की जा रही है। उपसंचालक कृषि एवं अनुज्ञापित अधिकारी दतिया डीएसडी सिद्वार्थ ने बताया कि दतिया शहर के 10 उर्वरक विक्रेताओं की जांच कर उर्वरक की स्थिति की जानकारी ली। सात उर्वरक विक्रेताओं के यहां कमी पाए जाने पर नोटिस जारी कर तीन दिन में जबाव मांगा गया है। उन्होंने बताया कि जिन उर्वरक विक्रेताओं केा नोटिस दिए गए हैं। उनमें मुख्य रूप से मैसर्स हिन्द इंटरप्राइजेज दतिया, मैसर्स रामराजा ट्रेडर्स दतिया, मै. सरोज नरवरिया, मैसर्स पीताम्बरा पॉलीपैक दतिया, मैसर्स ज्योति ट्रेडर्स दतिया, कृषक सेवा केन्द्र सेवढ़ा चुंगी और मैसर्स अनिल एग्रीकल्चर दतिया को नोटिस जारी कर तीन दिन में जबाव देने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा भांडेर और सेंवढ़ा में भी ऐसी ही कार्रवाई करनी पड़ी और खाद की दुकानों पर रेट लिस्ट टांगनी पड़ी । स्थिति स्पष्ट है कि अगर सबको आसानी और सही रेट पर खाद मिल रहा होता तो यह सब कार्रवाई क्यों करना पड़ती।
मनोज जैन ,भिण्ड
चम्बल अंचल के भिण्ड जिले में भी रबी की फसल के लिए किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पा रहा है । इसका फायदा मुनाफाखोर और जमाखोर व्यापारी मनमानी कीमत वसूलकर खूब उठा रहे हैं । यहां तक कि किसानों को अपनी बुआई के लिए सीमावर्ती राज्य यूपी के जालौन जिले से खाद खरीदनी पड़ रही है जिसकी मनमानी कीमत भी देनी पड़ रही है और उसकी गुणवत्ता भी संदिग्ध है। इस बात का आरोप कोई और नहीं आरएसएस के ही किसान संघ के नेता लगा रहे हैं। संघ के प्रान्त मंत्री कुलदीप भदौरिया का आरोप है कि आज शासन प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद भिण्ड जिले में किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पा रहा है। हालत ये कि जिले में आजकल किसान कामधंधा छोड़कर सुबह से खाद की लाइन में लग जाता है और शाम तक भी उसे खाद नहीं मिल पाता है। उसका फायदा नकली उर्वरकों का व्यापार करने वाले असामाजिक तत्व उठा रहे हैं। इस कारण से किसानों को मजबूरी में यूपी से नकली खाद लाकर बुआई करनी रही है।