Bhopal: 57% बुजुर्ग होते हैं अपमानित, 37% बुजुर्ग उपेक्षा का शिकार- सर्वे

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Bhopal: 57% बुजुर्ग होते हैं अपमानित, 37% बुजुर्ग उपेक्षा का शिकार- सर्वे



Bhopal. देश में बुजुर्गों के सा​थ लगातार दुर्व्यवहार बढ़ रहा है। यह खुलासा हाल ही में हेल्प एज इंडिया के सर्वे में हुआ है। 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस पर यह रिपोर्ट जारी की गई है। इस सर्वे में देशभर के 21 शहरों को शामिल किया गया था, जिनमें मध्य प्रदेश का भोपाल भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार 59% बुजुर्गों को लगता है कि दुर्व्यवहार हो रहा है। इनमें से 57% अपमानित हो रहे हैं और 37% उपेक्षा का शिकार है। 30% के साथ शारीरिक शोषण यानी मारपीट हो रही है। मौखिक दुर्व्यवहार 38% और आर्थिक शोषण 24% है।





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35% बेटा और 21% बहू दोषी





सर्वे में सामने आया कि बुजुर्गों के साथ जो बुरा बर्ताव किया जा रहा है, उसके लिए 35% बेटा और 21% बहू दोषी है। वहीं, 36% अन्य रिश्तेदार दोषी है। हालत यह है कि 47% बुजुर्गों ने अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार के बारे में परिवार में बात करना ही बंद कर दिया है। जो उनकी मायूसी और अकेलापन बताने के लिए काफी है।





59% बुजुर्ग चाहते हैं कि परिवार उनके साथ समय बिताए





सर्वे में शामिल 82 फीसदी बुजुर्ग अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। इनमें से करीब 79% का मानना है कि उनका परिवार उनके साथ समय नहीं बिताता। 59% बुजुर्ग चाहते हैं कि परिवार के सदस्य उनके साथ पर्याप्त समय बिताए। 71% बुजुर्ग फिलहाल कोई काम नहीं कर रहे, लेकिन इस अकेलेपन को खत्म करने 31 फीसदी बुजुर्ग चाहते हैं कि वह घरों से बाहर निकले और स्वयंसेवा से जुड़े कार्यों में भागीदारी करे।





 वृद्धाश्रम में बढ़ रही बुजुर्गों की संख्या





राजधानी भोपाल में वृद्धाश्रम अपना घर का संचालन कर रही माधुरी मिश्रा का कहना है कि बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं बढ़ रही है और इसलिए वृद्धाश्रम में बुजुर्गों की संख्या भी बढ़ रही है और नए वृद्धाश्रम भी खुल रहे हैं, जबकि हमारी संस्कृति में वृद्धाश्रम को मान्यता ही नहीं है।आज बच्चे घरों में कुत्तों को पाल सकते हैं पर माता-पिता को अपने साथ रखना पसंद नहीं करते। घर में कोई आता है तो पर्दे लगा देते हैं, ताकि घर के अंदर कोई बुजुर्ग ना दिख जाए। कुछ हद तक बुजुर्ग भी इसके लिए जिम्मेदार है। कई मामलों में उन्हें भी अपनी जिद छोड़कर बच्चों को समझना चाहिए। दो पीढ़ी जब आपसी सामंजस्य से आगे बढ़ेगी, तभी इस सबसे निकला जा सकता है।





एक घटना ऐसी भी...





भूखा प्यासा मरने को छोड़ा, फिर भी बेटे की गलती नहीं बता रही मां





मां तो मां होती है। एक बेटे ने अपनी मां को भूखा-प्यासा मरने के लिए छोड़ दिया फिर भी वह अपने बेटे की गलती को छुपाने की कोशिश कर रहीं है। कारण....क्योंकि वह एक मां है। अपना घर भोपाल में 12 सालों से रह रही कलावती इंदौर के कॉलेज में प्रोफेसर थीं। पति बिजनेस करते थे। जिनका काफी पहले निधन हो गया। कलावती ने बताया कि उनके 4 बच्चे थे। दो बेटियां शादी के बाद दुबई और रायपुर में शिफ्ट हो गई। एक बेटे का निधन हो गया। दूसरे बेटा बाहर था, जो अभी अभी इंदौर शिफ्ट हुआ है, चूंकि वह अभी पूरी तरह से सैटल नहीं हुआ, इसलिए वह वृद्धाश्रम में रह रहीं है। यह तो वह कहानी हुई जो कलावती ने सुनाई। अब जरा सच्चाई भी जानिए। अपना घर की संचालिका माधुरी मिश्रा ने बताया कि बेटा 12 साल पहले बंधक बनाकर भाग गया। सूचना मिलने पर जब हम रात 11 बजे कमरे के अंदर गए तो ये हमें भूखी प्यासी एक अंधेरे कमरे में मिली। जहां पंखा तक नहीं लगा है। बेटे की करनी का फल इन्होंने भोगा है, पर ये बताएंगी नहीं।    



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