जबलपुर में हाईकोर्ट बार ने 30 मिनट प्रोसीडिंग बढ़ाने पर जताई असहमति, हफ्ते में 1 दिन नो एडजर्नमेंट भी नामंजूर

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर में हाईकोर्ट बार ने 30 मिनट प्रोसीडिंग बढ़ाने पर जताई असहमति, हफ्ते में 1 दिन नो एडजर्नमेंट भी नामंजूर

Jabalpur. जबलपुर में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में 30 मिनट प्रोसीडिंग बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर असहमति जताई है। साथ ही सप्ताह में 1 दिन नो-एडजर्नमेंट को भी नामंजूर कर दिया है। इस विषय में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल रामकुमार चौबे को चीफ जस्टिस रवि मलिमठ के नाम असहमति पत्र सौंपा गया है। 



हाईकोर्ट बार अध्यक्ष संजय वर्मा और सचिव पारितोष त्रिवेदी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि हाईकोर्ट की रूल मेकिंग कमेटी की बैठक बीते दिनों संपन्न हुई। जिसमें हाईकोर्ट की कार्यावधि में इजाफा करने के साथ नो एडजर्नमेंट को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। जबलपुर के अधिवक्ताओं को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं है। जिसके चलते वे विरोध कर रहे हैं। 



इस कारण कर रहे विरोध



बार के पदाधिकारियों ने बताया कि पहले हाईकोर्ट में दैनिक कार्य की अवधि सुबह साढ़े 10 बजे से 1.30 बजे और लंच के बाद 2.30 बजे से 4.30 बजे तक थी। लेकिन नए प्रस्ताव के तहत हाईकोर्ट का काम सुबह 15 मिनट पहले सवा 10 बजे शुरू हो जाएगा। लंच के समय में भी कटौती करके उसे 15 मिनट कर दिया गया है। साथ ही लंच के बाद अदालतें सवा 2 बजे बैठ जाऐंगी। जिससे अधिवक्ताओं को परेशानी होगी। 



परेशानी के अनेक कारण



हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष और सचिव ने बताया कि कई वकील 40 से 50 किलोमीटर दूर से हाईकोर्ट आते हैं। उन्हें दिनचर्या और पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन के अलावा सुबह-शाम ऑफिस में भी बैठना पड़ता है। ठंड के मौसम में यह काम और भी दुष्कर होगा। पूर्व की तरह वकील की गैरहाजिरी में जज केस को पास ओवर भी नहीं करते। इससे पक्षकार और वकील दोनों का नुकसान होता है। जिन मामलों में एडजर्नमेंट लगा होता है, उनकी सुनवाई भी 6 से 8 सप्ताह के लिए बढ़ाई जा रही है। जो कि उचित नहीं है। 


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