देव श्रीमाली,GWALIOR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नर्सिंग परीक्षाओं पर लगी रोक हटाने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि मामला गंभीर है, नर्सिंग परीक्षा में राहत नही दी जा सकती है। जबाकि शासन और नर्सिंग कॉलेजों ने छात्रों के भविष्य का हवाला देकर नर्सिंग परीक्षाओं से रोक हटाने की मांग की थी। अब इस मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी।
पिछले माह लगाई थी परीक्षा पर रोक
हाईकोर्ट ने प्रदेश में 28 फरवरी से शुरू होने वाली नर्सिंग की परीक्षा पर रोक लगा दी थी। यह फैसला कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया था। याचिका में नर्सिंग कॉलेजों को गलत तरीके से मान्यता देने का आरोप लगाया गया था। जिसके बाद कोर्ट ने Bsc नर्सिंग, Bsc पोस्ट बेसिक, Msc नर्सिंग की परीक्षा पर रोक लगा दी थी।
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यह कहा था याचिका में
इस मामले में हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में दायर एक जनहित याचिका में जबलपुर स्थित नर्सिंग मेडिकल कॉलेज द्वारा प्रदेश के अनेक नर्सिंग कॉलेजेज को पूर्व वर्षों की भी मान्यता देते हुए उनके विद्यार्थियों को एग्जाम में बैठने की अनुमति दे दी थी । याचिका कर्ता का कहना था कि किसी भी संस्थान को भूतलक्षी प्रभाव से मान्यता नहीं दी जा सकती। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि नर्सिंग कॉलेजों में पुराने शिक्षण सत्र की मान्यता गलत तरीके से दी गई है। कॉलेजों ने साल 2019 से 2021 की संबद्धता जुलाई 2022 में ली थी, जो गलत है। साथ ही 2023 के नोटिफिकेशन पर पुराने सत्र के छात्रों को अनुमति नही दी जा सकती है। याचिकाकर्ता के वकील दिलीप शर्मा ने बताया कि शासन में कोर्ट में एक आवदेन देकर परीक्षाओं पर लगी रोक हटाने की अपील की थी लेकिन इस आवेदन को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले को काफी गंभीर बताया । अब सुनवाई के लिए अगली तारीख अगले सप्ताह होने की संभावना है।
एक अन्य याचिका में जांच सीबीआई को सौंप चुका है हाईकोर्ट
फर्जी नर्सिंग कॉलेज मामले में एक अन्य याचिका पर हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए बड़ा फैसला सुना चुकी है। कोर्ट ने ग्वालियर चम्बल अंचल के 35 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है।
याचिका पर सुनवाई के बाद दिया फैसला
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में बीते माह ग्वालियर-संभाग के नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े को लेकर एडवोकेट उमेश बोहरे द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर सुनवाई हुई थी। इस दौरान कोर्ट ने नर्सिंग काउसिंल को जमकर लताड़ लगाई थी तो वहीं ग्वालियर-चंबल में मौजूद 35 नर्सिंग कॉलेजों की सीबीआई को जांच करने के आदेश दिए थे।
जनहित याचिका पर चल रही है सुनवाई
अभिभाषक उमेश बोहरे ने बताया कि भिंड के हरिओम ने 2021 में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने याचिका में तर्क दिया था कि अंचल में नर्सिंग कालेजों को नियम विरुद्ध मान्यता दी गई है। उनके पास न अस्पताल हैं, न बेड की व्यवस्था है। कालेज सिर्फ कागजों में ही संचालित हो रहे हैं, ऐसे में इनकी मान्यता निरस्त की जाए। इस पर नर्सिंग काउंसिल की ओर से तर्क दिया गया कि पिछले व वर्तमान सत्र में 271 कालेजों को मान्यता दी गई है। मान्यता देने से पहले पूरे नियमों को परखा गया था।
अदालत जबाव से नहीं हुई सहमत
एडवोकेट बोहरे ने बताया कि हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार को लताड़ लगाई और उनके जबाव पर असंतोष जताते हुए ग्वालियर चम्बल अंचल के 35 नर्सिंग कॉलेज की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए और यह भी कहा कि यह जांच रिपोर्ट सीबीआई को अदालत के समक्ष पेश करना होगी।