JABALPUR. हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय में 1255 पदों पर भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका निरस्त कर दी। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि प्राथमिक नहीं बल्कि अंतिम चयन सूची के स्तर पर ही मैरिट का निर्धारण होगा। इसी दौरान अन्य पिछड़ा वर्ग के मैरिटोरियस आवेदकों को अनारक्षित वर्ग में स्थानांतरित करने की मांग पर विचार संभव होगा।
मैरिटोरियस आवेदकों को मिले हक
मामले की सुनवाई के दौरान ओबीसी, महिला व दिव्यांग वर्ग के 22 याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय में असिस्टेंट ग्रेड व शीघ्र लेखकों आदि के 1255 पद विज्ञापित किए हैं। याचिकाकर्ताओं ने इसके लिए आवेदन किया। प्रारंभिक स्तर पर अधिक अंक प्राप्त होने के बावजूद उन्हें अनारक्षित वर्ग में स्थानांतरित करके मैरिट का निर्धारण नहीं किया गया है। इसीलिए हाई कोर्ट की शरण ली गई है। ऐसा इसलिए भी किया गया क्योंकि याचिका में उठाई गई मांग पूरी न करने से इस चयन प्रक्रिया में ओबीसी वर्ग के 81 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले आवेदकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, जबकि अनारक्षित यानि सामान्य वर्ग के महज 77 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले आवेदक चयनित होने की प्रक्रिया में शामिल हो गए हैं। इस अन्यायपूर्व रवैये से आरक्षित वर्ग के पांच हजार आवेदकों में से 800 से अधिक मैरिटोरियस आवेदकों का हक मारा जा रहा है।
अंतिम चयन सूची जायज
हाईकोर्ट ने सभी तर्क सुनने के बाद इस मामले में पूर्व में तीन अगस्त को अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को यह आदेश सुनाते हुए साफ किया गया कि 1255 पदों पर भर्ती के लिए हाई कोर्ट द्वारा निकाले गए विज्ञापन की व्यवस्था के अनुरूप याचिकाकर्ताओं की मांग प्रारंभिक नहीं बल्कि अंतिम चयन सूची के स्तर पर जायज होगी। लिहाजा, याचिकाएं निरस्त की जाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दायर करेंगे अपील
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने हाई कोर्ट के आदेश से असंतुष्ट होकर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका के जरिये चुनौती देने का निर्णय लिया है। इस सिलसिले में याचिकाकर्ताओं से चर्चा के बाद प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी। उनका कहना है कि हाई कोर्ट की युगलपीठ ने अन्य युगलपीठ द्वारा पूर्व में पारित निर्णय सहित अन्य चीजों को दरकिनार कर अपना आदेश सुनाया है। इसलिए यह चुनौती के योग्य है।