ग्वालियर में हाईकोर्ट ने 5 पुलिस अधिकारियों और 8 आरक्षकों को थमाया नोटिस, युवक और उसके भाइयों को थाने में बंद करके पीटा था

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Rahul Garhwal
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ग्वालियर में हाईकोर्ट ने 5 पुलिस अधिकारियों और 8 आरक्षकों को थमाया नोटिस, युवक और उसके भाइयों को थाने में बंद करके पीटा था

देव श्रीमाली, GWALIOR. ग्वालियर में हाईकोर्ट ने क्राइम ब्रांच के 5 अधिकारियों और 8 आरक्षकों को नोटिस थमाया है। ये नोटिस युवक और उसके भाइयों को थाने में बंद करके पीटने के मामले में दिया गया है। पुलिसकर्मियों ने एक युवक और उसके भाइयों के साथ मारपीट की थी और उन्हें अलग-अलग बिना अपराध के कई थानों में बंद रखा था। हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है।



4 हफ्ते के अंदर मांगा जवाब



हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाते हुए तत्कालीन 5 थाना प्रभारी समेत 14 पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी किए हैं। 4 हफ्ते के अंदर उनसे जवाब मांगा है। मामला 2018 का है, लेकिन कोर्ट ने अब इस मामले में कठोर रुख अपनाया है जिससे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।



पुलिसकर्मियों पर आरोप



बिरला नगर में रहने वाले परिवादी यतेंद्र सिंह चौधरी ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर करके दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर सीआरपीसी की धारा-156 के तहत कार्रवाई करने का निवेदन किया है। ऐसे में परिवादी यतेंद्र सिंह द्वारा जिन लोगों पर आरोप लगाया गया है, उनमें पांच पुलिस अधिकारी, थाना प्रभारी आलोक परिहार, जितेंद्र मावई, राजेंद्र बर्मन, सुदेश तिवारी, संजू कामले के अलावा एक एएसआई और 8 आरक्षक शामिल हैं। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सभी संबंधित पुलिसकर्मियों से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। एडवोकेट जितेन्द्र सिंह राठौर के माध्यम से दायर याचिका में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच कराने का निवेदन किया गया है। न्यायालय ने प्रतिवादी घनश्याम जाट, अनिल राजावत, संतोष भदौरिया, जितेन्द्र सिंह तोमर, लोकेन्द्र राजावत, रामसहाय यादव, अंजनी चंदेल, राहुल यादव सभी आरक्षक, सत्यवीर जाटव एएसआई, टीआई जीतेंद्र मावई, राजेन्द्र बर्मन, संजू कामले, सुदेश तिवारी, आलोक परिहार सभी थाना प्रभारी हैं, जिन्हें नोटिस जारी किए गए हैं।



क्या है पूरा मामला



जानकारी के मुताबिक यतेन्द्र सिंह 4 सितंबर 2018 को रात 10 बजकर 21 मिनट पर अपने घर पर खाना खा रहा था। तभी उसके घर में 8-10 लोग सिविल ड्रेस में जबरन घुसकर परिवादी और उसके भाइयों को मारने-पीटने लगे। परिवादी और उसके पिता गजेन्द्र सिंह और परिवादी की पत्नी ने उन्हें रोकने और बीच बचाव करने की कोशिश की। इस पर टीआई सुदेश तिवारी ने उस पर रिवॉल्वर तान दी थी। घनश्याम जाट ने सिर पर रिवॉल्वर लगा दी। एक व्यक्ति ने परिवादी के पिता गजेन्द्र सिंह को धक्का दे दिया। परिवादी की पत्नी के साथ भी आरोपियों ने धक्का-मुक्की की। आरोपी उसके भाइयों को घर से बाहर लाकर मारते हुए ले जाने लगे। तभी पड़ोसी विनय परमार को इन लोगों ने पकड़ लिया। एक आरोपी ने परिवादी का पर्स भी छीन लिया। आरोपी उनके मोबाइल और जेबों में रखे पैसे भी ले गए। वहीं आरोपी उनकी कार को भी क्राइम ब्रांच थाने में ले गए। वहां परिवादी और उनके भाई से मारपीट की गई। इसके बाद परिवादी को यूनिवर्सिटी थाने ले जाकर बंद कर दिया गया। यहां पुष्पेन्द्र और विनय के साथ मारपीट की गई। यतेंद्र और कपिल को 6 सितंबर 2018 को गोला का मंदिर थाने ले जाकर बंद कर दिया गया। जब उनके पिता ने न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन पेश किया तो पुलिस ने कपिल को छोड़ दिया। जबकि परिवादी और उसके भाई की गिरफ्तारी से पुलिस ने इनकार कर दिया था।



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हाईकोर्ट जाने पर आबकारी एक्ट में किया बंद



ये मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो पुलिस ने परिवादी को धारा-151 में और 8 सितंबर 2018 को पुष्पेन्द्र और विनय परमार को आबकारी एक्ट में बंद करना बताते हुए न्यायालय में पेश किया गया। परिवादी ने आरोपियों पर कार्रवाई के लिए उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की, जिस पर न्यायालय ने एसपी को आवेदन देने और एसपी को 30 दिन में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तब अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई। न्यायालय ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में जाने की स्वतंत्रता के साथ अवमानना याचिका खारिज कर दी थी।


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