संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में रामनवमीं के दिन श्री बेलेशवर महादेव झूलेलाल मंदिर की बावड़ी हादसे में गई 36 लोगों की जान को लेकर लगी एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने सभी जिम्मेदारों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। ये नोटिस मुख्य सचिव, कलेक्टर, निगमायुक्त, अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर के साथ ही मंदिर ट्रस्ट को भी जारी हुआ है। पूर्व पार्षद दिलीप कौशल द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. मनोहर दलाल के द्वारा लगाई गई इस याचिका में सिस्टम और जिम्मेदारों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने मजिस्ट्रियल जांच भी निष्पक्ष नहीं होने के आरोप लगाए हैं।
सबूत मिटाने के लिए जानबूझकर घटना स्थल बावड़ी को तोड़ा
डॉ. दलाल ने हाईकोर्ट की डबल बेंच में यही कहा कि मुझे मुआवजे, सीबीआई जांच या अन्य ऐसे किसी बिंदु को लेकर कुछ नहीं कहना है, मुद्दे की बात है कि इंदौर में घटना हुई और इसमें 36 लोगों की जान गई, इसकी जिम्मेदारी कैसे तय होगी? जिम्मेदारों को कैसे क्या सजा मिलेगी? उन्होंने कहा कि बावड़ी को जानबूझकर बाद में तोड़ा गया, क्योंकि बावड़ी मूल रूप से सूखी थी, लेकिन वहां निगम ने सीवेरज, अन्य पाइप लाइन डाली थी, जो अंदर ही अंदर डली हुई थी। इसके चलते वहां 30 फीट गंदा पानी, जो गैस के कारण जहरीला और केमिकलयुक्त हो गया था। वो गाद थी। लोगों की जान इसी कारण गई। इसलिए घटना के बाद सभी ने एकजुट होकर इस घटनास्थल को तोड़ दिया ताकि कोई सबूत हाथ में नहीं लगे।
निष्पक्ष मजिस्ट्रियल जांच संभव ही नहीं
याचिकाकर्ता ने साफ कहा कि निष्पक्ष मजिस्ट्रियल जांच संभव ही नहीं है, क्योंकि अपर कलेक्टर से लेकर अन्य राजस्व अधिकारियों के यहां नगर निगम के 47 ड्राइवर, कर्मचारी निशुल्क काम कर रहे हैं। जांच अधिकारी के पास ही निगम से 3 कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनके साथ ही बाकी राजस्व अधिकारियों के यहां भी निगम से सभी सेवाएं ले रहे हैं, तो ऐसे में ये निगम और निगमायुक्त के खिलाफ निष्पक्ष जांच कैसे हो सकती है? याचिका में तो जांच अधिकारी के यहां काम करने वाले निगम के 3 सेवादारों के नाम भी लिखे हुए हैं।
निगम के रिकॉर्ड में बावड़ी नहीं, वहीं नोटिस में बावड़ी बता रहे मंदिर
याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि निगम के रिकॉर्ड में 629 कुएं और बावड़ी हैं, लेकिन इसमें मंदिर की बावड़ी है ही नहीं, जबकि खुद मंदिर ट्रस्ट द्वारा 25 अप्रैल 2022 को निगम के नोटिस के जवाब में बावड़ी के बारे में लिखा गया है। इसमें ट्रस्ट अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी द्वारा जो जवाब दिया इसमें लिखा है कि बावड़ी जर्जर है, इसे ठीक करना है, ताकि स्वच्छ पानी मिल सके। इस काम में निगम से मदद चाहिए। इसके बाद भी निगम के पास इसका रिकॉर्ड नहीं।
जानबूझकर मंदिर को दिए नोटिस दबाए गए
मंदिर को 23 अप्रैल को नोटिस दिया गया, 25 अप्रैल को मंदिर ट्रस्ट ने जवाब दिया। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। फिर 11 मई 2022 को खुद स्नेह मंडल विकास समिति के मंच के तहत रहवासियों ने निगमायुक्त प्रतिभा पाल से मुलाकात कर अवैध निर्माण की बात कही, लेकिन इसके बाद भी कुछ नहीं किया। 30 जनवरी को भी अंतिम आदेश जारी किया, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई।
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बगीचे की जमीन पर बनवा दिया पार्षद कार्यालय
याचिका में कहा गया कि आईडीए की स्कीम 31 में ये बगीचा करीब 1.60 लाख वर्ग फीट पर है, लेकिन यहां पर निगम ने पार्षद कार्यालय तक खुलवा दिया जो सर्वेंट क्वार्टर के नाम पर बना है। यहां मंदिर भी बना है, टंकी भी लगी है। जो बगीचे की जमीन पर नहीं बन सकते हैं, वे सब यहां बने हुए हैं, सिर्फ इसलिए ताकि कुछ लोगों की दुकान और अवैध कमाई चलती रहे।
रेस्क्यू की ऐसी हालत, ना सर्च लाइट और ना रस्सियां
हादसे के बाद चला रेस्क्यू ऑपरेशन भी विफलता की कहानी है। याचिकाकर्ता ने कहा कि ना रस्सियां मजबूत थी ना सर्च लाइट थी। टार्च और कमजोर रस्सियों के सहारे ये अभियान चलाया गया और सही आपदा टीम, आर्मी बुलाने में काफी देर की गई।