निर्माण सामग्री तीस से सौ प्रतिशत तक महंगी, अटके कई सरकारी और निजी प्रोजेक्ट

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Lalit Upmanyu
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निर्माण सामग्री तीस से सौ प्रतिशत तक महंगी, अटके कई सरकारी और निजी प्रोजेक्ट

ललित उपमन्यु, indore.तीन-चार महीनों में लोहा, सरिया, सीमेंट सहित तमाम कच्चे माल की बढ़ती कीमतों ने इंदौर सहित प्रदेश के हजारों सरकारी और निजी  निर्माण कार्यों पर लगभग ब्रेक लगा दिया है । हालत यह हो गई कि निर्माण से जुड़े  



हजारों लोग या तो हाथ पर हाथ धरे बैठै हैं या राहत के लिए सरकारी दफ्तरों में भटक रहे हैं।



इंदौर में ही जिला कोर्ट की नई बिल्डिंग (करीब 320 करोड़) से लेकर नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, इंदौर विकास प्राधिकरण, पीआईयू के भवनों, सड़कों और ब्रिज के काम चल रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास भी बनाए जा  रहे हैं। ये सभी काम जब शुरू हुए थे 



तब निर्माण में लगने वाले माल की कीमत के हिसाब से टेंडर हो गए थे लेकिन बीते तीन-चार महीनों में निर्माण सामग्री की कीमतों में तीस प्रतिशत से सौ प्रतिशत की तेजी होने से एजेंसियों को काम करना मुश्किल हो रहा है। नतीजा यह है कि कई लोगों ने काम



की गति या तो धीमी कर दी है या रोक ही दी है।





सरकार से राहत मिले





जो निर्माण एजेंसियां सरकार से जुड़े काम कर रही हैं वे राहत पाने के लिए अफसरों के चक्कर लगा रही हैं। इन एजेंसियों का कहना है कि जिस दर में टेंडर लिया था, उसके बाद तीन महीने में सभी सामग्री के भाव काफी बढ़ गए हैं, इसलिए पुराने और नए 



भाव के बीच का जो अंतर है उसकी भऱपाई कर सरकार हमें राहत दे। 





80 साल में इतनी तेजी नहीं आई





म.प्र.  बिल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण जैन का कहना है कि छोटी-मोटी तेजी तो हर प्रोजेक्ट में हमेशा ही आती रहती है। यहां तक कि खुद का भवन बनाने वाले भी प्रोजेक्ट पूरा होते-होते कई कीमतों में वृद्धि सहन करते हैं लेकिन मटीरियल



में सौ-सौ प्रतिशत तक की तेजी तो बीते 80 सालों में कभी नहीं आई। न केवल मटीरियल बल्कि भाड़ा और मजदूर भी महंगे हो गए हैं। काम कैसे करें। सरकारी प्रोजेक्ट के काम समय पर काम पूरे करने के लिए सरकारी दबाव आता है। नोटिस मिलते हैं



लेकिन भाव बढ़ने से जो घाटा हम उठा रहे हैं उस पर कोई बात नहीं कर रहा। लोक नि्र्माण विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई से एसोसिएशन ने भोपाल में मुलाकात की तो वे भाव वृद्धि की बात से सहमत तो हुए लेकिन यह आश्वासन नहीं दिया



कि हमारे नुकसान की भऱपाई करेंगे । उनका कहना था कि टेंडर की शर्तों में जो लिखा था उसे कैसे बदला जा सकता है।





सरकार चाहे तो कर सकती है





सरकार चाहे तो केबिनेट में फैसला कर बढ़े भाव के अंतर की भरपाई कर सकती है। इससे काम भी नहीं रुकेंगे और एजेंसियों के नुकसान की भऱपाई भी हो जाएगी । यह समस्या देशव्यापी है। गुजरात सरकार ने तो इस मामले में नोटिफिकेशन



जारी कर एक निश्तिच सीमा तय कर नुकसान की भरपाई का फैसला कर भी लिया है । 





तीन-चार महीनें में कितनी वृद्धि





-सीमेंट  225 रुपए से 375 रुपए बोरी हो गई ।



-पीवीसी पाइप 130 प्रतिशत महंगा हुआ ।  



-सरिया 40 रुपए से 80 रुपए हो गया ।



-कॉपर अस्सी प्रतिशत महंगा हुआ । 



-एल्युमीनियम 210 से बढ़कर 325 रुपए किलो हुआ



इनके अलावा डीजल महंगा होने से माल भाड़ा तथा खाद्य सामग्री के भाव बढ़ने से मजदूरों ने भी दर बढ़ा दी।



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