Damoh. दमोह में एक निजी स्कूल का फोटो वायरल होने के बाद हंगामा मचा हुआ है। दरअसल स्कूल द्वारा जारी टॉपर्स की फोटो में हिंदू लड़कियों को भी हिजाब पहने दिखाया गया है। जिसके बाद बीजेपी ने इस पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग कर डाली। मामला राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो तक पहुंच गया है। उन्होंने भी दमोह के कलेक्टर-एसपी को जांच के निर्देश दिए, वहीं प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी मामले की जांच करने एसपी को निर्देशित किया है। उधर जिला कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने बताया है कि उक्त गंगा जमना स्कूल की ड्रेस साल 2012 से ऐसी ही है। वहीं किसी भी छात्रा से जबरदस्ती हिजाब पहनने को बाध्य करने की कोई शिकायत भी प्राप्त नहीं हुई है।
कर्नाटक में जमकर मचा था बवाल
दरअसल कर्नाटक में हिजाब को लेकर सालभर पहले जमकर विवाद मचा था। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी हिजाब को अनिवार्य करार देने से मना कर दिया था, लेकिन ताज्जुब इस बात का है प्रदेश में दमोह के एक स्कूल में हिंदू लड़कियों को भी हिजाब पहनाया जाता रहा और इस पर किसी का ध्यान नहीं गया।
यह पूरा मामला दमोह के गंगा जमना स्कूल का है। यहां एमपी बोर्ड में अव्वल आने वाली हिंदू लड़कियों की जो फोटो जारी की गई है उसमें वे हिजाब पहने हुए हैं। हिंदू लड़कियों के हिजाब पहनी फोटो देखकर सोशल मीडिया में जमकर हल्ला मचा। जिसके बाद बीजेपी की ओर से प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेंद्र शर्मा ने इस पर आपत्ति जताते हुए ट्वीट किया और गृहमंत्री से जांच की मांग कर डाली। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी बिना देर किए मामले की जांच के आदेश एसपी को दे दिए। वहीं कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी के मार्फत जांच बैठा दी है।
उधर, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी इस मामले को संज्ञान लिया और दमोह कलेक्टर और एसपी को जांच के निर्देश दे डाले हैं। उधर बीजेपी नेता सुरेंद्र शर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा कि क्या यही गंगा जमना तहजीब है। इस विद्यालय की मान्यता रद्द होनी चाहिए। जो द केरला स्टोरी में देखा था वह यहां साक्षात हो रहा है। मेरा गृहमंत्री से आग्रह है कि धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए इस स्कूल के संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
कलेक्टर ने दे दी क्लीन चिट
इधर, इस पूरे मामले में कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने स्कूल को क्लीन चिट दे दी है। उन्होंने कहा कि शुरूआती जांच में ऐसा आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। किसी भी बच्ची से जबरदस्ती की बात सामने नहीं आई है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है। यह साल 2012 से चल रहा है, स्कूल की यूनिफॉर्म ऐसी ही है। हालांकि उन्होंने मामले की विस्तृत जांच के भी आदेश दिए हैं।