ग्वालियर. 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जयंती के अवसर पर ग्वालियर (Gwalior) में हिंदू महासभा की गोष्ठी हुई। इस गोष्ठी का विषय गांधी, नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) और नारायण आप्टे के व्यक्तित्व पर विचार प्रकट करना था। शहर के दोलतगंज स्थित हिन्दू महासभा भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में गोडसे और आप्टे को बलिदानी की तरह पेश किया गया। कार्यक्रम में महासभा ने मांग करते हुए कहा कि नाथूराम गोडसे, नारायण आप्टे समेत देश की आजादी में शामिल 7 लाख 32 हजार क्रांतिकारियों के बलिदान के इतिहास को सिलेबस में पढ़ाया जाना चाहिए। इससे युवा गोडसे समेत इन बलिदानियों के व्यक्तित्व व चरित्र से परिचित हो सकेंगे।
गोडसे की मूर्तियां लगाई जाए
कार्यक्रम में बताया गया कि हिंदू महासभा नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे की देश में जगह-जगह प्रतिमा लगाएगी। गोष्ठी में यह भी आरोप लगाया गया है कि गांधी ने कांग्रेस (Congress) को हिंदू विरोधी बनाया है। महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. जयवीर भारद्वाज ने कहा कि भारत विभाजन कांग्रेस के मोहन दास करमचन्द्र गांधी एवं मोहम्मद अली जिन्ना ने कराकर दस लाख से अधिक हिन्दू माता बहनों, बच्चों सहित विश्व का सबसे बड़ा नरसंहारक कृत्य किया। पचास लाख से अधिक हिन्दू विस्थापित हुए थे ।जिसका प्रतिकार करने का साहस नाथूराम गोडसे एवं नारायण आप्टे ने किया था।
ग्वालियर से गोडसे का कनेक्शन
गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या के लिए उपयोग होने वाली पिस्तौल ग्वालियर से 500 रुपए में खरीदी थी। हत्या से पहले 3 दिन नाथूराम गोडसे, नारायण आप्टे ग्वालियर के हिंदू महासभा के भवन में ही रुके थे। अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज ने बताया कि यह पिस्तौल को चलाने के लिए नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे ने तीन दिन ग्वालियर में ही रुककर पूरी प्रैक्टिस की थी। इसके बाद गोडसे ने बापू की हत्या को 30 जनवरी 1948 को अंजाम दिया था।