RAIPUR. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के 3 आईएएस अफसरों और बड़े कोयला कारोबारियों के खिलाफ ईडी यानी एन्फोर्समेंट डायरेक्ट्रेट ( प्रवर्तन निदेशालय ) के छापों से ये केंद्रीय जांच एजेंसी एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। देश में बड़े घपले-घोटालों के मामलों में अब सीबीआई नहीं ईडी के छापे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे हैं। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले 3 सालों में ईडी की सक्रियता बहुत बढ़ गई है। इस अवधि में ईडी ने पीएमएलए ( प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट ) के तहत 2 हजार 723 मामले दर्ज किए हैं जबकि पिछले 14 सालों में कुल 2 हजार 699 मामले दर्ज किए गए थे। आइए आपको बताते हैं कि देश में 2005 तक एक सुस्त जांच एजेंसी समझी जाने वाली ईडी कैसे इतनी शक्तिशाली बन गई कि बड़े-बड़े नेता और अफसर भी इसके नाम से घबराने लगे हैं।
कांग्रेस ने ईडी को ताकतवर बनाया अब वो ही उसके फंदे में
आपको बता दें कि साल 2005 में धन शोधन निरोधक अधिनियम यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट ( पीएमएलए ) - 2002 लागू होने से पहले तक ईडी एक छोटी और सुस्त जांच एजेंसी हुआ करती थी। केंद्र में यूपीए-1 की मनमोहन सिंह सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने पीएमएलए एक्ट के माध्यम से ईडी को एक शक्तिशाली जांच एजेंसी बनाया। अब वो ही ईडी कथित आईएनएक्स मीडिया घोटाले में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ भी जांच कर रही है। इतना ही नहीं नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे और सांसद राहुल गांधी से भी लंबी पूछताछ कर चुका है।
पिछले तीन सालों में तेजी से बढ़ी ईडी की कार्रवाई
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट में ईडी की कार्रवाई के आंकड़ों पर नजर डालें तो फाइनेंशियल ईयर 2020-21 से पीएमएलए एक्ट में दर्ज किए जाने वाले मामलों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने 2020-21 की अपनी एनुअल रिपोर्ट में भी कहा है कि बीते सालों में क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों ही तरह से ईडी का काम बहुत बढ़ा है। पिछले तीन वित्तीय वर्ष में ईडी ने देश में पीएमएलए के तहत 2 हजार 723 मामले दर्ज किए हैं। जबकि इससे पहले 14 सालों ( 2005 से 2019 ) में कुल 2 हजार 699 मामले ही दर्ज किए गए थे। 2020-21 से तीन सालों में ईडी ने 11 हजार 420 मामलों में जांच शुरू की है जो कि पिछले 5 सालों की तुलना में 710 ज्यादा है।
इन कड़े प्रावधानों के कारण सीबीआई से भी ताकतवर हुई ईडी
अब आपको बताते हैं कि पीएमएलए-2002 में आखिर ऐसे क्या कानूनी प्रावधान हैं जिनके चलते ईडी अब सीबीआई और आईटी ( इन्कम टैक्स ) से भी ज्यादा ताकतवर जांच एजेंसी समझी जाने लगी है।
1. सीबीआई किसी अपराध की जांच तब शुरू करती है, जब किसी ने अपराध के आरोप लगाए हों। शिकायत दर्ज कराई हो या फिर एफआईआर दर्ज कराई हो। आयकर विभाग तब केस हाथ में लेता है जब बात टैक्स की चोरी की हो। जबकि ईडी का मुख्य काम ये है कि वो पैसे को गैरकानूनी गतिविधियों में इस्तेमाल होने से रोके। चाहे उस पैसे पर टैक्स दिया गया हो या ना दिया गया हो।
2. ईडी देखता है कि कहीं आर्थिक अपराध तो नहीं हो रहा। इसका पता लगाने के लिए वो शक्तिशाली PMLA कानून के तहत किसी भी व्यक्ति या संस्था से भी वित्तीय लेन-देन के बारे में स्पष्टीकरण मांग सकता है।
3. पीएमएलए कानून अभियुक्त पर जिम्मेदारी डालता है कि वो खुद को निर्दोष साबित करे। ईडी किसी भी आरोपी को बगैर वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है।
4. ईडी को लगता है कि यदि कोई संपत्ति बेनामी है तो उसे अटैच भी कर सकता है। ईडी ने कह दिया कि ये संपत्ति आपकी है, तो मतलब आपकी है फिर चाहे असलियत में वो किसी और की ही क्यों न हो।
5. PMLA की वजह से आरोपी को जमानत मिलना भी मुश्किल होता है, भले ही वह बाद में निर्दोष साबित हो जाए। पीएमएलए मौजूदा समय में देश का इकलौता कानून है जिसमें जांच अधिकारी के सामने दिया गया बयान कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है।
एफआईआर की कॉपी मिल सकती है लेकिन ईसीआईआर की नहीं
पीएमएलए के तहत लागू किए गए कुछ कानूनी प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी जा चुकी है। कुछ विपक्षी पार्टियों की ओर से ईडी की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली करीब 240 याचिकाएं दायर की गई थीं। इनकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईसीआईआर यानी इन्फोर्समेंट केस इंफार्मेशन रिपोर्ट और एफआईआर यानी फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट समान नहीं हैं। जहां किसी अपराध के आरोपी को एफआईआर की कॉपी पाने का हक है वहीं ईसीआईआर के मामले में यह नियम लागू नहीं होता। ईसीआईआर को ईडी का इंटरनल डॉक्यूमेंट माना जाता है।
विपक्ष के इन नेताओं पर ईडी का फंदा
आपको बता दें कि ED ने कुछ महीनों पहले मुंबई में शिवसेना नेता संजय राउत को पात्रा चाल घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया है। इससे पहले ये जांच एजेंसी ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार में मंत्री रहे पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को भी गिरफ्तार कर चुकी है। दोनों के खिलाफ शिक्षक भर्ती घोटाले में जांच चल रही है। ED की कार्रवाई के चलते ही महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पूर्व सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अनिल देशमुख और नवाब मलिक को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली में केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 30 मई को गिरफ्तार किया था।
विपक्षी पार्टियों के नेता और केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आलोचक ईडी को राजनीतिक बदला लेने वाली एजेंसी बताते हैं। आरोप ये भी लगते हैं कि यदि ईडी एक निष्पक्ष जांच एजेंसी है तो वो बीजेपी से जुड़े नेताओं की जांच क्यों नहीं करती। बहरहाल जिस कांग्रेस सरकार ने ईडी को इतना शक्तिशाली बनाया अब वो ही अब उसके लिए मुसीबत बन गई है।
छत्तीसगढ़ में ED की कार्रवाई
छत्तीसगढ़ में ED ने 11 अक्टूबर को तड़के रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू, उनके पति आईएएस जेपी मौर्या, IAS समीर बिश्नोई, मुख्यमंत्री बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया, कोल व्यवसायी सुनील अग्रवाल, महासमुंद में कांग्रेस के नेता अग्नि चंद्राकर और चर्चित व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी के निवास पर दबिश दी थी। ऐसा पहली बार हुआ जब ईडी किसी कलेक्टर के सरकारी बंगले पर पहुंची। छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई जारी है।