BHOPAL. सूचना का अधिकार (आरटीआई) जब से (2005) लागू हुआ है तब से अब तक 16 सालों में देशभर के लोक सूचना अधिकारियों (पीआईओ) में एक गलत प्रथा बन गई है कि आरटीआई में सवाल के रूप में मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी नहीं है। जबकि ये सही नहीं है। 2012 में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल (सीबीएसई) से जुड़ी एक जानकारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट भी ये स्पष्ट कर चुका है। लेकिन इसके बाद भी ये प्रथा स्थापित हो गई कि आरटीआई के तहत सवाल के रूप में जानकारी नहीं मांगी जा सकती।
इसका बेहतर उपाय ये है कि आरटीआई से चाही गई जानकारी हासिल करने के लिए सवाल मत पूछिए। इसकी बजाय मुद्दे या विषय से जुड़ी फाइल और आदेश-निर्देशों की सूची मांगिए। आरटीआई विशेषज्ञों ये जानकारी ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नेलिज्म नेटवर्क (जीआईजेएन) द्वारा इन्वेस्टीगेटिव रिपोरेटिंग में सूचना के अधिकार का उपयोग विषय पर आयोजित एक वेबिनार में दी। खोजी पत्रकारों के लिए आयोजित इस वेबिनार में आरटीआई विशेषज्ञ एवं सीएचआरआई के डायरेक्टर वेंकटेश नायक, वरिष्ठ पत्रकार एवं आरटीआई विशेषज्ञ विष्णु राजगड़िया और इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टर पूनम अग्रवाल ने आरटीआई के माध्यम से जानकारी हासिल करने के टिप्स दिए। वेबिनार का संचालन भारत में जीआईजेएन के संपादक दीपक तिवारी ने किया।
जानिए कहां और कैसे लगाएं आरटीआई
विष्णु राजगड़िया ने बताया कि जानकारी हासिल करने के लिए आरटीआई का आवेदन राज्य और केंद्र सरकार के स्थानीय कार्यालयों से लेकर मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय में भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा उन निजी संस्थाओं से भी जानकारी हासिल की जा सकती है जिन्हें सरकार से कोई भी ग्रांट या अन्य मदद मिल रही हो। आरटीआई के आवेदन के साथ 10 रुपए की फीस पोस्टल आर्डर या कैश में जमा करानी पड़ती है। आवेदन हर ऑफिस में आरटीआई के लिए तैनात लोक सूचना अधिकारी यानी पीआईओ के पास जमा कराना पड़ता है। ये रजिस्टर्ड पोस्ट से भी जमा कराया जा सकता है। केंद्र सरकार और कई राज्यों में आरटीआई का आवेदन आनलाइन करने की भी सुविधा है।
आरटीआई का आवेदन कैसे लिखें
आरटीआई के आवेदन में चाही गई जानकारी का ब्योरा छोटा और अलग-अलग बिंदुओं में लिखना चाहिए। आपको ज्यादा जानकारी चाहिए तो इसका ब्योरा एक ही आवेदन में लिखने के बजाय इनके लिए अलग-अलग आवेदन करने चाहिए। यदि आप एक की आवेदन में लंबा-चौड़ा ब्योरा लिखेंगे तो आपको जानकारी हासिल करने में उतनी ही मुश्किल होगी।
रसीद जरूर संभालकर रखें
किसी भी ऑफिस में आरटीआई का आवेदन लगाने पर उसकी रसीद जरूर संभालकर रखनी चाहिए। यदि आपको आवेदन करने के बाद चाही गई सूचना निर्धारित 30 दिन में नहीं मिल पाती है तो आपको इसकी फर्स्ट अपील करने के लिए रसीद की जरूरत पड़ेगी। फर्स्ट अपील के बाद सेकंड अपील करने के लिए भी आवेदन के साथ रसीद की कॉपी अटैच करनी पड़ती है।
सूचना के लिए सवाल मत पूछिए उससे संबंधित लिस्ट मांगे
आरटीआई विशेषज्ञ एवं सीएचआरआई के डायरेक्टर वेंकटेश नायक ने उदाहरण के साथ समझाया कि आरटीआई में चाही गई जानकारी सवाल के रूप में पूछने से बचना चाहिए।
उदाहरण 1 - यदि आप पुलिस मुख्यालय से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के पालन में पुलिस थानों में लगाए गए सीसीटीवी की संख्या की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आरटीआई में ये न लिखें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक थानों में अब तक कितने सीसीटीवी लगाए गए हैं ? ऐसा लिखने के बजाय इस तरह लिखें- कृपया हमें उन पुलिस थानों की सूची उपलब्ध कराएं जिनमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सीसीटीवी लगाए गए हैं।
उदाहरण 2 - यदि आपको किसी नगर पालिका में कार्यरत सफाई कर्मचारियों की जानकारी चाहिए तो आरटीआई में ये मत लिखिए कि आपकी नगर पालिका में कितने सफाईकर्मी काम कर रहे हैं ? इसकी बजाय ये लिखिए कि कृपया वर्तमान समय में आपकी नगर पालिका की सूची के मुताबित कार्यरत सफाईकर्मियों की संख्या और उनके नाम उपलब्ध कराएं।
पहले फाइल या लिस्ट का निरीक्षण उसके बाद कॉपी मांगे
वेंकटेश नायक सलाह के मुताबिक आरटीआई आवेदन में सबसे पहले संबंधित मुद्दे या विषय से जुड़ी फाइल या आदेश-निर्देशों का निरीक्षण कराने की बात लिखनी चाहिए। इसके बाद संबंधित फाइल, लिस्ट या आदेश की कॉपी या सर्टिफाइड कॉपी मांगना चाहिए। वे स्पष्ट करते हैं कि दस्तावेजों के निरीक्षण या अवलोकन के लिए पहला घंटा निशुल्क होता है। इसके बाद हर अतिरिक्त घंटे के लिए 5 रुपये की फीस लगती है। राज्यों में ये अलग-अलग भी हो सकती है।
आवेदन पर एक नहीं, दो-चार लोगों के साइन कराना चाहिए
आरटीआई के आवेदन पर सिर्फ एक नहीं बल्कि दो-चार लोगों के दस्तखत कराने चाहिए। इनमें एक-दो विषय या मुद्दे के जानकार लोगों के साइन कराए तो बेहतर रहेगा। इससे वे दस्तावेजों के निरीक्षण में आपकी मदद कर पाएंगे। आप आवेदन में ही लिख दें कि दस्तावेजों के निरीक्षण के समय आपके साथ ये भी मौजूद रहेंगे। निरीक्षण के लिए तारीख और समय लोक सूचना अधिकारी से बात करके ही तय करें। अपनी सुविधा से दिन, तारीख और समय तय करें न कि विभाग के पीआईओ की सुविधा या मर्जी से।
पहले प्रयास में जानकारी न मिले तो अपील जरूर करें
विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि यदि कोई ऑफिस चाही गई जानकारी देने से इनकार करे या 30 दिन बाद भी जानकारी न मिले तो हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। इसके बाद अपील जरूर करनी चाहिए। यदि पहली अपील के बाद भी जानकारी न मिले तो सूचना आयोग में दूसरी अपील हर हाल में करनी चाहिए। इसमें किसी आरटीआई एक्टिविस्ट या विशेषज्ञ की मदद भी ली जा सकती है। यदि इस बारे में लगातार फॉलो करेंगे तो संबंधित ऑफिस या विभाग पर दबाव पड़ेगा और वे जानकारी देने को विवश होंगे।
टालमटोल से बचने के लिए आवेदन के साथ इस सेक्शन की जानकारी भी लिखें
कई बार दफ्तरों में गोपनीयता का हवाला देकर जानकारी देने इनकार कर दिया जाता है जबकि ज्यादातर मामलों में चाही गई जानकारी इसके दायरे में नहीं आती। इसके लिए आपको आरटीआई के सेक्शन 41b की जानकारी भी हासिल कर लेनी चाहिए। सूचना के अधिकार कानून में सेक्शन 41b में 16 प्रकार की जानकारियां देना अनिवार्य किया गया है। आप अपने आरटीआई के आवेदन में पहले ही इस सेक्शन का हवाला देकर बता सकते हैं कि चाही गई जानकारी उपलब्ध कराना आवश्यक है। इससे संबंधित ऑफिस के लोक सूचना अधिकारी आपको गोपनीयता के नाम पर गुमराह नहीं कर पाएंगे।