BHOPAL. होली हो गई, रंगपंचमी हो गई, पर मौसम में ठंडक घुली हुई है। ठंड प्रेमियों की बांछें (शरीर में जहां कहीं भी होती हों) खिली हुई हैं, तपिश जितनी देर से आए, उतना अच्छा। हां, सियासी गलियारों में पारा चढ़ा हुआ है। इस साल कई राज्यों में विधानसभा तो अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री को एक जांच एजेंसी ने जेल भिजवाया दिया, इतने से भी बात नहीं बनी तो दूसरी एजेंसी ने भी गिरफ्तार कर लिया। लालू परिवार पर भी जांच एजेंसियां 'डोरे' डाल रही हैं। गुजरात के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर सीरीज का चौथा टेस्ट चल रहा है। मैच की शुरुआत में पीएम नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानीज मौजूद रहे। मोदी के स्टेडियम में मोदी का मोदी की तस्वीर देकर सम्मान किया गया। विपक्ष को निशाना साधने का मौका मिलना था, सो मिल भी गया। इधर, मध्य प्रदेश में नई आबकारी नीति से खुश होकर उमा ने 'शिव' का सम्मान किया, मुख्यमंत्री पर टोकनीभर फूल बरसाए। राजनीति में कब क्या हो जाए, किसी को कुछ पता नहीं होता। वैसे तो देग पर कई खबरें पकीं, कुछ की खुशबू उड़ी, आप तो सीधे अंदरखाने उतर आइए...
अपने ही लगा रहे दाग
मामा जी कितने भी सख्त हो जाएं, लेकिन उन पर से अफसरशाही होने का दाग है कि हट ही नहीं रहा। चौथे कार्यकाल में कुर्सी संभालते ही मामा ने अफसरों की बैंड बजाना शुरु कर दी थी, जिससे इस दाग से छुटकारा तो मिले। लेकिन अब उनके अपने ही बंद कमरों में अफसरशाही हावी होने का आरोप लगा दिए। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश के आगे प्रभारी मंत्रियों ने अपनी कमी का ठीकरा कलेक्टरों पर फोड़कर अपनी गर्दन तो बचा ली, लेकिन मामा की ढाई साल की मेहनत पर पानी फिर गया। अंदर की खबरें बाहर आई तो एक बार फिर सरकार में अफसरशाही हावी होने की चर्चा सरेआम हो गई। अब हालात ये है कि मामा के समर्थक धीरे से दबी आवाज में मुस्कराते हुए कहने लगे हैं कि ये दाग अच्छे हैं।
हम क्या मुंह काला करवाने आए हैं
चंदा मामा की काले रंग की होली से बिफरे नेता। सीएम हाउस में हो रही होली में चंदा मामा काले रंग की बाल्टी लेकर पहुंचे। उन्होंने एक के बाद एक नेता को काला करना शुरु कर दिया। इसी बीच एक नेता ने नाराजगी भरे अंदाज में कहा ये क्या है भाई हम यहां अपना मुंह काला करवाने थोड़ी आए हैं। थोड़ी देर के लिए चंदा मामा के चेहरे रंग उड़ गया, वहां मौजूद लोगों के हंसी मजाक के बाद मामला रफा-दफा हो गया। इसके पहले चंदा मामा अपने काले रंग पर भाईसाहब के बंगले पर भी डांट खा चुके थे। सीएम हाउस की घटना के बाद चंदा मामा के समर्थकों ने सलाह दी कि भाईसाहब अगली होली से अपन केवल भगवा रंग ही लगाएंगे।
बैरंग लौटे पीसी
कहते हैं होली दिलों की दूरियां मिटाता है, होली पर दुश्मन भी गले लगकर गिले शिकवे मिटाते हैं। लेकिन कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा के साथ उल्टा हो गया। वे अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से होली पर गले लगकर दूरी मिटाना चाहते थे, लेकिन सुरक्षाकर्मियों की सख्ती के बाद मन में दूरियां लेकर बैरंग लौट आए। दरअसल जब पीसी सीएम हाउस पहुंचे तब शिवराज होली के फाग गा रहे थे, वे उनसे मिलने जैसे ही आगे बढ़े तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें ये कहते हुए रोक दिया कि आप अकेले ही मिल सकते हैं। इस पर पीसी भड़क गए बोले मेरे समर्थक नहीं जाएंगे तो मैं भी नहीं जाउंगा। इसके बाद वे सीएम से मिला बिने ही लौट आए।
अय्याश पूर्व मंत्री पर सियासत
प्रदेश में एक सप्ताह से सोशल मीडिया पर एक अज्ञात पूर्व मंत्री की अय्याशी पर चटखारे लिए जा रहे है। बताया जा रहा है कि गोआ में कॉलगर्ल ने पूर्व मंत्री की पीटाई की थी, जिसमें उनके सिर पर चोट भी आई। इसके बाद से अब अफसर, नेता और पत्रकार हर पूर्व मंत्री के चेहरे को गौर से देख रहे हैं कि उनके चेहरे पर कोई चोट के निशान तो नहीं है। इसके अलावा चरित्रहीन पूर्व मंत्रियों को भी शक के दायरे में लाकर सोशल मीडिया पर इशारों में कहा जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि पूर्व मंत्री बीजेपी का है तो बीजेपी का कहना है कि पूर्व मंत्री कांग्रेस का। मामला जैसे तैसे शांत हो ही रहा था कि बीजेपी नेताओं ने इस मामले में कांग्रेस के टवीट को आधार बनाकर क्राईम ब्रांच पहुंचकर इस मामले को तूल दे दिया।
आईएएस एसोसिएशन होगा दो फाड़
डायरेक्ट आईएएस अफसरों के सौतेले व्यवहार से परेशान अब प्रमोटी आईएएस अफसर अपना अलग एसोसिएशन बनाना चाहते हैं। प्रमोटी आईएएस अफसरों के वाटसएप ग्रुप में इसे लेकर बहस छिड़ी हुई है। कुछ आईएएस अफसर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का हवाला देते हुए कह रहे हैं कि वहां प्रमोटी आईएएस अफसरों का एसोसिशन अलग होने के बाद सरकार में उनकी सुनवाई होने लगी है। अभी पूरे सिस्टम पर डायरेक्ट आईएएस का कब्जा रहता है, सीएम भी उन्हीं की सुनते हैं। ग्रुप में ये भी कहा जा रहा है कि डायरेक्ट आईएएस खुद काला पीला करने में मास्टर हैं, लेकिन सीएम के सामने प्रमोटी को अक्षम और भ्रष्ट बताकर उन्हें कमजोर करते हैं।
एसपी आदित्य और चंदेल ने बनाया रिकॉर्ड
पीएचक्यू और मंत्रालय के बीच बिगड़े कॉर्डिनेशन का फायदा जिलों में लंबे समय में जमे एसपी को मिल रहा है। इसकेे चलते धार एसपी आदित्य प्रताप सिंह और शिवपुरी एसपी राजेश सिंह चंदेल 3 साल 10 महीने पूरे करके रिकॉर्ड बना चुके हैं, अमुमन 3 साल में मैदानी अफसरों को या तो सरकार हटा देती है या फिर चुनाव आयोग। दोनों अफसरों की किस्मत को बुलंद ही कहा जा सकता है कि मैदानी पोस्टिंग की मारामारी के बीच लंबे समय से टीके हैं। इनके अलावा हरदा एसपी मनीष कुमार भी तीन साल क्रॉस कर चुके हैं। ये सब सरकार के निर्णय न लेने के कारण हो रहा है। छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर जिले को प्रभारी एसपी चला रहे हैं, इसी तरह चंबल जोन भी प्रभारी आईजी के भरोसे चल रहा है।