पति-पत्नी वो और वो, ​विधायक को टिकट बचाना है तो कलेक्टर से बनाकर चलना होगा, पोखरण-2 की आशंका

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Harish Divekar
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पति-पत्नी वो और वो, ​विधायक को टिकट बचाना है तो कलेक्टर से बनाकर चलना होगा, पोखरण-2 की आशंका

हरीश दिवेकर, BHOPAL. पठान फिल्म के भगवा बिकनी के सीन का विरोध शाहरुख के लिए कितना शुभ रहा कि मात्र ​तीन दिन में 300 करोड़ की कमाई हो गई। इतना ही नहीं पठान ने सुल्तान और बाहुबली-2 का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। भारत-न्यूजीलैंड के बीच दूसरा टी-20 मैच आज शाम 7.30 बजे लखनऊ में होगा। नेपाल से आने वाली शालिग्राम शिलाओं से श्रीराम और माता सीता की मूर्ति बनाई जाएंगी। ये शिलाएं करीब 6 करोड़ साल पुरानी बताई जा रही हैं। इधर, उमा ने एक बार फिर शराब बंदी राग छेड़ दिया है। भोपाल के अयोध्या नगर के हनुमान और दुर्गा मंदिर में उमा ने डेरा डाल दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की नई शराब नीति जारी होने तक वे यहीं रहेंगी। देश-प्रदेश में खबरें तो और भी हैं आप तो बस सीधे नीचे उतर आईए और मावठे के सीजन राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की गरमा-गरम खबरों का आनंद लिजिए।



पोखरण-2 की आशंका



मामा-भाईसाहब का भरत मिलाप सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। मामा की सहजता भाईसाहब के समर्थकों के गले नहीं उतर रही है। उन्हें डर है कि कहीं पोखरण-2 न हो जाए। नहीं समझे, हम आपको बताते हैं कि इससे पहले भी मामा ने कुछ सालों पहले अध्यक्ष पद पर रह चुके ग्वालियर वाले भाईसाहब को ऐसे ही गले से लगाया था, एक दिन पहले रात को अपने घर बुलाकर स्नेह से खाना भी खिलाया था, लेकिन सुबह उन्हें पद से हटा दिया गया। इसके बाद उन भाईसाहब ने मीडिया में बयान दिया था कि मेरे साथ पोखरण हो गया। अटल बिहारी बाजपेयी ने पीएम रहते हुए पोखरण विस्फोट किया था किसी को कानों कान खबर तक नहीं लगी थी, तब से जब भी कोई काम बहुत ही गोपनीय तरीके से किया जाता है उसे पोखरण का नाम दिया जाता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मामा-भाईसाहब के गले मिलने को भी लोग इसे सहज क्यों नहीं ले रहे।



पति-पत्नी वो और वो



मंत्रालय और पीएचक्यू में पति-पत्नी और वो की चर्चा जोरों पर है। दरअसल, इस चर्चा को हवा देने में उन दिलजले अफसरों का हाथ है। जो ब्यूटी विथ ब्रेन को इम्प्रेस करने में सफल नहीं हो पाए, कहते हैं ना अंगूर न मिले तो खट्टे ही लगते हैं। अब दिलजले अफसर मैडम के पर्सनल मामलों को हवा देने में लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि मैडम जब जिले में कप्तान थीं तो उन्हें पड़ोसी जिले के अफसर की पूरन पोली वाली पसंद थी, तबादला होने के बाद दोस्त से दूरी हुई थी उन्होंने यहां बिरयानी वाले अफसर से दोस्ती बना ली है।  वैसे मैडम की पहली पसंद ​तो इडली डोसा ही थी, लेकिन कहते हैं न समय के साथ स्वाद और पसंद बदलती रहती है तो मैडम की भी बदल गई। आप तो स्वाद लिजिए मैडम जी, जलने वालों का क्या है उन्हें जलने दीजिए।  



बड़े साहब मेहरबान तो ठेकेदार पहलवान



कहावत है ना खुदा मेहरबान तो...भी पहलवान। ऐसी ही कुछ कहावत बड़े साहब के नजदीकी ठेकेदार पर साबित हो रही है। ठेकेदार ने बीडीए की कॉलोनी में अपने घर के सामने आधी सड़क को बैरिकेड से बंद कर अपनी लग्जरी कारों की पार्किंग बना दिया है। पड़ोसी शिकायत कर कर के थक गए, लेकिन मजाल है कि कोई पुलिस का सिपैया भी उधर झांका भी हो। सब जानते हैं कि बड़े साहब किसी की सुनते या मानते हैं तो शर्मा ठेकेदार की। वैसे तो बड़े साहब के बारे में मशहूर है, कि कम बोलते हैं किसी से नहीं मिलते। लेकिन शर्मा ठेकेदार का मामला आता है तो साहब अपने सारे मिथक तोड़ देते हैं। मजबूरी भी है भाई जमीनों में करोड़ों का बेनामी निवेश भी तो शर्मा और उसकी पत्नी के नाम जो कर रखा है।



डीजीपी बनने शॉर्ट कर्ट मारने की तैयारी



एडीजी जी अखेतो सेमा डीजीपी बनने के लिए जबरदस्त शॉर्टकट मारने की तैयारी में है। सेमा ने नागालैंड में डीजीपी बनने की पूरी जुगत बैठा ली है। इंटर स्टेट कॉडर पोस्टिंग के लिए नागालैंड से एनओसी भी ले आए हैं, बस अब शिवराज मामा की मंजूरी का इंतजार है। दरअसल सेमा 92 बैच के आईपीएस हैं। अभी 1987 बैच के आईपीएस सुधीर सक्सैना डीजीपी हैं, ऐसे में एमपी में डीजीपी बनने के लिए उन्हें सालों इंतजार करना होगा, उसके बाद भी गारंटी नहीं है। नागालैंड में वर्तमान डीजीपी 1991 बैच के टी जॉन लोंगकुमेर रिटायर होने वाले हैं। उनके बाद सिनियरिटी में आईपीएस सुनील आच्या आते हैं, वे अभी रॉ में डेपुटेशन पर पदस्थ हैं। उन्होंने नागालैंड आने से इंकार कर दिया है।



भारी पड़ गई अकड़



कहते हैं ना सरल सहज स्वभाव वालों का काम आसानी से बन जाता है वहीं अकड़ने वाले की हमेशा कमर टूटती ही है। तत्कालीन डीजीपी ने दो आईपीएस अफसरों की सीआर काली-पीली कर दी थी। स्वभाव से सहज रहने वाले साहब ने तो तत्कालीन डीजीपी से संपर्क कर अपनी सीआर को झकाझक सफेद करवा लिया, लेकिन दूसरे आईपीएस अपनी अकड़ में ही रह गए। नतीजा ये हुआ जिन अफसर की सीआर सुधर गई थी उनकी सीआर को सीएम ने भी अच्छा कर दिया, जिनकी बिगड़ी थी उनकी सीआर और ज्यादा काली-पीली हो गई। नतीजा पहले वाले साहब तो प्रमोट होकर डीआईजी बन गए, लेकिन दूसरे वाले साहब अकड़ में एसपी ही रह गए।



विधायक जी कलेक्टर से बनाकर चलिए



विधायक जी संभल कर रखिए, कलेक्टरों से आपकी अदावत है तो जल्दी से समझौता कर लिजिए। नहीं ​तो आपका टिकट खतरे में पड़ सकता है। अंदरखाने से आई खबर बताती है कि सीएम कलेक्टर-​कमिश्नर कांफ्रेंस के बाद कलेक्टरों से वन-टू-वन करेंगे। इस ​दौरान जिले पॉलिटिकल सिनेरियों पर चर्चा होगी। इसमें विधायकों का रिपोर्ट कार्ड भी चैक होगा, कलेक्टर के फीडबैक को टिकट के लिए बड़ा आधार माना जाएगा। इसके साथ काला-पीला करने वाले विधायकों की चुगली भी कलेक्टर कर सकते हैं, ऐसे में अभी भी समय है मामला संभाल लिजिए, बाद में कुछ मैनेज नहीं होने वाला। आपको पता है न सरकार भले ही आपकी हो, लेकिन जलवा अफसरों का ही चलता है।


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