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Jabalpur. मध्य प्रदेश में कई डॉक्टर्स हिंदी में प्रिस्क्रिप्शन लिख रहे हैं। वे Rx की जगह श्रीहरि लिख रहे हैं। इसके अलावा दवाओं के नाम भी हिंदी में लिख रहे हैं। जबकि नेशनल मेडिकल कमीशन और एमसीआई का प्रिस्क्रिप्शन पर तय फार्मेट है। इसके तहत ही हर डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन लिखने बाध्य है। लेकिन इसके विपरीत प्रिस्क्रिप्शन को लिखने वाले डॉक्टर्स को जबलपुर शाखा के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अमरेंद्र पांडे ने अतिभक्ति कहा। हालांकि आईएमए के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अरविन्द जैन का कहना है कि हेल्थ राज्य का विषय है। मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) अभी अस्तित्व में है। इसलिए यह भी देखा जाना चाहिए कि हिंदी में प्रिस्क्रिप्शन लिखने क्या एमसीआई ने कोई आदेश दिया है और वह क्या राजपत्र में प्रकाशित हुआ है। यदि ऐसा नहीं है तो डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन इस तरह से नहीं लिख सकते।
इस तरह शुरू हुआ सिलसिला
मध्य प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एमबीबीएस फर्स्ट इयर की हिंदी में अनुवाद की गई किताबों का विमोचन किया था। इस कार्यक्रम में मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रिस्क्रिप्शन में Rx की जगह श्रीहरि लिखने और हिंदी में प्रिस्क्रिप्शन लिखने डॉक्टर्स से अनुरोध किया था। इस मामले में सरकार से कोई आदेश नहीं आया है। मुख्य मंत्री के इस अनुरोध का आनन फानन में प्रदेश के कुछ डॉक्टर्स ने पालन भी शुरू कर दिया। इस बारे में उन्होंने यह विचार भी नहीं किया कि एनएमसी और एमसीआई में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
ये भक्तिभाव है
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जबलपुर शाखा के अध्यक्ष डॉ अमरेंद्र पांडे का कहना है कि सीएम ने कार्यक्रम में जो कहा उसे कुछ डॉक्टर्स ने सीएम को दिखाने के लिए अति भक्ति में ले लिया है। यह राजनीति है। एनएमसी की गाइडलाइन स्पष्ट है उसमें कहीं नहीं लिखा कि हिंदी में भी प्रिस्क्रिप्शन लिख सकते हैं। गाइड लाइन में यह है कि प्रिस्क्रिप्शन की शुरूआत Rx से करें।जिसका मतलब रिसेप्रियर होता है। यह लेटिन वर्ड है।जिसका मतलब होता है कि ष्इसे लीजिएष् इसकी जगह कोई धार्मिक शब्द नहीं लिख सकते। इसके बाद अंग्रेजी के बोल्ड लेटर्स में दवाओं के कम्पोजिशन लिखने कहा गया है।
इसकी जरूरत नहीं
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रांत अध्यक्ष डॉ आरके पाठक का कहना है कि इंडियन मेडिकल कमीशन की गाइड लाइन के विपरीत यह हो रहा है। कुछ दवाओं के नाम ऐसे हैं जिन्हें हिंदी में लिखने में दिक्कत जा सकती है।मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने की भी जरूरत नहीं थी। अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है।इससे बच्चों को भविष्य में दिक्कत हो सकती है। यह प्रयोग है।इसके रिजल्ट आगे आएंगे।