दमोह में सामाजिक बहिष्कार झेल रहे बुजुर्ग ने कलेक्टर से कहा-साहब समाज में मेरी वापसी करा दो, बेटों की शादी नहीं हो पा रही

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Rajeev Upadhyay
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दमोह में सामाजिक बहिष्कार झेल रहे बुजुर्ग ने कलेक्टर से कहा-साहब समाज में मेरी वापसी करा दो, बेटों की शादी नहीं हो पा रही

Damoh. सामाजिक बहिष्कार झेल रहा एक बुजुर्ग मंगलवार को दमोह कलेक्टर से समाज में अपनी वापसी की गुहार लगाने पहुंचा। बुजुर्ग ने कलेक्टर एसकृष्ण चैतन्य से कहा कि साहब मैं बहुत परेशान हूं क्योंकि मेरी समाज ने मुझे बहिष्कृत कर दिया है। 8 साल से मैं यह पीड़ा झेल रहा हूं, लेकिन अब सहा नहीं जाता, इसलिए आप मेरी मदद कीजिए। कलेक्टर से गुहार लगाने वाले नोहटा थाना के डूमर गांव निवासी 62 वर्षीय बुजुर्ग अजुद्दी आदिवासी ने कहा कि समाज ने उसे 8 साल पहले समाज से बहिष्कृत कर दिया था। तब से लेकर आज तक वो अपनी समाज से दूर है, लेकिन अब उसके बेटे बड़े हो गए हैं और उसे अपने बेटों की शादी करानी है। 



जब तक उसे समाज में वापस नहीं लिया जाएगा उसके बेटों की शादी नहीं हो सकती वह सभी जगह गुहार लगाकर थक गया है, इसलिए अब आखिरी उम्मीद कलेक्टर से ही है। बुजुर्ग ने कलेक्टर से कहा कि कैसे भी करके समाज में उसकी वापसी करा दी जाए। कलेक्टर ने यह बात सुनने के बाद अधिकारियों को उस बुजुर्ग के गांव जाकर मामले की सत्यता को जानने के लिए कहा है।



अजुद्दी आदिवासी ने बताया कि 8 साल पहले समाज के लोगों से उसका विवाद हुआ था, विवाद छोटा ही था और आमतौर पर ऐसे विवाद तो होते रहते हैं, लेकिन उसके बाद से आदिवासी समाज ने उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया है। अब वो किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकता है और न ही सार्वजनिक रूप से समाज के साथ बैठ सकता हैं। इतना ही नहीं समाज के लोग जिस कुंए पर पानी भरते हैं, उसे सबके साथ  उस कुंए पर पानी भरने नहीं मिलता। जब सब लोग भर लेते हैं उसके बाद उसे पानी भरने दिया जाता है। 




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  • उसने बताया कि गांव की अन्य जातियों से तो उसका बोलचाल है, लेकिन आदिवासी समाज में उसका बहिष्कार है। समाज में कोई भी भंडारा हो, विवाह हो या कोई भी आयोजन हो उसे और उसके बेटों को नहीं बुलाया जाता। कई बार बातचीत करने का प्रयास किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। आज तक ये समझ में नहीं आया कि समाज ने मुझे बहिष्कृत क्यों किया है। 



    पुलिस में शिकायत का नहीं हुआ असर 



    कुछ साल पहले उसने नोहटा थाने में शिकायत भी की थी, लेकिन उन लोगों ने पुलिस को पैसे देकर मामला रफा दफा कर दिया। अब उसके बेटे बड़े हो गए है और उसे उनकी शादी करनी है। जब तक समाज उसे स्वीकार नहीं करेगा उसके बेटों की शादी नहीं हो सकती। ऐसा इसलिए कि यदि कोई भी व्यक्ति गांव में उनके बेटों को देखने आएगा और समाज के बाकी लोग यह बताएंगे कि हमने अजुद्दी और उसके परिवार को समाज से बहिष्कृत कर रखा है तो उसके बेटों से कोई शादी नहीं करेगा। अब वह चाहता है कि किसी भी तरह उसे समाज में शामिल करा दिया जाए। इसलिए वह कलेक्टर के पास आया है।



    बुजुर्ग आदिवासी की समस्या सुनने के बाद कलेक्टर एसकृष्ण चेतन्य ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह गांव जाकर इस पूरे मामले की सत्यता को जाने और यदि वास्तव में बुजुर्ग को समाज से बहिष्कृत किया गया है तो उसकी पूरी पड़ताल करने के बाद कार्रवाई करें। कलेक्टर ने बुजुर्ग को भी उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।


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