दमोह में आसमानी माता की प्रतिमा को चबूतरे से हटाया,समुदाय विशेष के युवक पर लगा, आक्रोशित लोगों ने घेरा थाना 

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Rajeev Upadhyay
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दमोह में आसमानी माता की प्रतिमा को चबूतरे से हटाया,समुदाय विशेष के युवक पर लगा, आक्रोशित लोगों ने घेरा थाना 

Damoh. दमोह जिले के ग्राम रनेह में आसमानी माता की प्रतिमा को रात के अंधेरे में चबूतरे से हटाकर जमीन में रखने का मामला सामने आया है। एक समुदाय विशेष के युवक और उसके परिवार पर आरोप लगा है। जिसके बाद ग्रामीण आक्रोशित हो गए और थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस का उदासीन रवैया देख पहले थाने का घेराव किया और फिर हटा पहुंचकर एसडीएम को एक ज्ञापन दिया गया। 



जमीन विवाद से जुड़ा मामला

बताया जा रहा है कई वर्षों से नवरात्रि पर्व पर आसमानी माता के चबूतरे पर देवी प्रतिमा की  स्थापना की जाती रही है। चबूतरे पर माता की कई मूर्तियां भी विराजमान थी। ग्रामीणों का कहना है कि माता के चबूतरे पर रखी मूर्तियों को गांव के हजरत खान और उसके लड़कों द्वारा हटाया गया है। शासन-प्रशासन को बिना बताए वहां पर बने चबूतरे पर अतिक्रमण कर लिया गया। मूर्तियों को रातों-रात हटाया गया। मूर्तियां हटाए जाने से जहां ग्रामीण काफी आक्रोश में हैं और थाना प्रभारी के रवैए से नाराज भी हैं।



दस्तावेजों की कराई जा रही जांच

रनेह थाना प्रभारी प्रसिता कुर्मी ने बताया की जहां आसमानी माता का चबूतरा है वहां पर कई सालों से ग्रामीण नवरात्र के समय प्रतिमा रखते आ रहे हैं पास ही समुदाय विशेष के युवक का मकान है जो भवन निर्माण कर रहा है उसका कहना है की जहां चबूतरा है वह जगह उसकी है दूसरी ओर हिंदूवादी संगठनों का कहना है की यह उनकी जगह है। इसलिए संबंधित को कागज लाने के लिए कहा गया तो वह कागज लेकर आया है और अब पटवारी को बुलाकर कागज दिखवाए जाएंगे उसके बाद ही आगे कुछ होगा।




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  • क्षेत्र में आक्रोशित हैं ग्रामवासी

    वहीं  ग्रामवासियों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है और बताया है यदि  समय रहते इस घटना पर प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया तो यहां पर कोई भी अप्रिय घटना घटित हो सकती है। ग्रामीणों  का कहना है कि जिन्होंने मूर्तियां हटाई है उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। नहीं तो यह मामला और भी बड़ा रूप ले सकता है जिससे क्षेत्र का सांप्रदायिक माहौल भी खराब हो सकता है।



    फर्जी तरीके से रजिस्ट्री के आरोप

    ग्रामीणों  का कहना है कि आज से 10 साल पहले से यहां नवरात्रि पर देवी की स्थापना की जाती रही है और कई वर्षों पहले यहां पर पक्का चबूतरा बनाया गया था।  अगर इस जमीन पर किसी का भी मालिकाना हक होता तो वह उस वक्त भी आपत्ति उठा सकता था। हजरत खान द्वारा फर्जी रजिस्ट्री करा कर रातों-रात चबूतरे को मिटाया गया और मूर्तियां हटाई गई।  यह जमीन फर्जी तरीके से महज कुछ दिन पहले ही हजरत खान ने खरीदी है जिस के दस्तावेज फर्जी हैं। जब उन्हें मालूम था कि यहां पर देवी विराजमान होती तो उन्हें जगह लेने के बाद कलेक्टर या एसडीएम के यहां आवेदन देना था कि यह जगह मेरी है और इसे खाली कराया जाए।


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