धार में ASI ने मरे और बर्खास्त पुलिस वालों के खातों से उड़ाए 42 लाख, मामला खुलने के बाद से फरार दरोगा की हो रही तलाश

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Chandresh Sharma
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धार में ASI ने मरे और बर्खास्त पुलिस वालों के खातों से उड़ाए 42 लाख, मामला खुलने के बाद से फरार दरोगा की हो रही तलाश

Dhar. उज्जैन की जेल में जेल कर्मचारियों के ग्रेज्युटी फंड में घपला सामने आने के बाद अब धार में पुलिस विभाग में इसी तरह का मामला सामने आया है। आरोप है कि धार की 34वीं बटालियन में पदस्थ एक एएसआई ने मृत और बर्खास्त पुलिस कर्मियों के खातों से थोड़ा-थोड़ा करके 42 लाख रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। नटवरलाल दरोगा ने इस पैसे को अपनी अय्याशी में उड़ाया। मामले का खुलासा तब हुआ जब पुलिस विभाग ने भोपाल स्तर पर जांच शुरू करवाई। जांच के बाद एएसआई पर मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि इस नटवरलाल एएसआई का नाम दिग्विजय सिंह चौहान है।




वेतन शाखा में था लिपिक




दरअसल एएसआई दिग्विजय सिंह चौहान धार की 34वीं बटालियन में वेतन शाखा में लिपिक के पद पर पदस्थ था। वेतन शाखा में विभागीय काम देखने के दौरान ही उसने गड़बड़ी की शुरूआत की थी। उसने पूर्व पुलिस कर्मियों, मृत कर्मचारियों, सेवा से बर्खास्त पुलिस वालों और रिजाइन देने वाले कर्मचारियों के नाम यूज करके यह धोखाधड़ी की। इतना बड़ा घपला सामने आने के बाद धार पुलिस हरकत में आ चुकी है, हालांकि पूरे मामले का खुलासा आरोपी की गिरफ्तारी के बाद हो पाएगा। जानकारी के मुताबिक पूरा मामला 42 लाख 85 हजार रुपयों का है। 




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    विभागीय जांच में यह सामने आया है कि आरोपी दिग्विजय सिंह ने डीडीओ लॉगिन पासवर्ड के जरिए साल 2018 से लेकर फरवरी 2023 तक इसी प्रकार धोखाधड़ी की। आरोपी नाम बदलकर कूटरचित तरीके से शासकीय कोषालय से मृत और बर्खास्त कर्मचारियों के यूनिक आईडी का उपयोग कर उन्हें फ्री पूल से ज्वाइन कराके उनकी राशि स्वयं के और अपने परिजनों के खातों में डलवा लेता था। विभागीय जांच में आरोपी द्वारा राशि ट्रांसफर करने के लिए उपयोग में लाए गए 3 बैंक खातों की भी जानकारी दी है। 



    ऐसे की धोखाधड़ी




    विभागीय जांच के अनुसार आरोपी मृत और सेवा से बर्खास्त कर्मचारियों के नाम के आगे परिजनों और स्वयं के बैंक खातों को लिखकर ट्रांसफर करा लेता था, क्योंकि लेखा शाखा भोपाल और कार्यालय आयुक्त कोष द्वारा की गई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है। आरोपी ने पदस्थापना के बाद साल 2017 में रिजाइन करने वाले कर्मचारी भारत सिंह के नाम की राशि को सबसे पहले ट्रांसफर किया था। इसके बाद आरोपी के मुंह में खून लग गया और उसने रिकॉर्ड से ऐसे कर्मचारियों की जानकारी निकाली ताकि उनके परिवार को मिलने वाली राशि अपने खातों में डलवा ली। जांच के मुताबिक आरोपी ने करीब 10 से ज्यादा कर्मचारियों की राशि का गबन किया है। 

     


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