Jabalpur. जबलपुर में एक अस्पताल पर बेहद गंभीर आरोप लगे हैं, 11 महीने के बच्चे के परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल का स्टाफ बच्चे की मौत के बाद भी उसका इलाज करता रहा। उनसे महंगी-महंगी दवाइयां बुलवाई जाती रहीं। जब परिजनों ने पैसे खत्म हो जाने की बात कही तो अस्पताल का स्टाफ बिफर गया और बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया। नाराज परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मामला जांच में लिया है, उधर अस्पताल प्रबंधन सभी आरोपों को गलत बता रहा है।
रसल चौक स्थित आयुष्मान अस्पताल का मामला
मंडला निवासी शमशीर अली अपने 11 महीने के बच्चे को लेकर इस अस्पताल पहुंचा था। इससे पहले मंडला के जिला अस्पताल में बच्चे का इलाज चला था, जहां आराम नहीं लगने पर वह उसे लेकर जबलपुर आया था। अस्पताल स्टाफ ने उन्हे बताया कि बच्चे का दिल 11 फीसदी ही काम कर रहा है। आनन-फानन में उसे रुपयों का इंतजाम करने कहा गया। पिता ने अपने रिश्तेदारों की मदद से 90 हजार रुपए खर्च कर दिए। महंगी से महंगी दवाएं लाकर अस्पताल के स्टाफ को दी। लेकिन जब उसके पैसे खत्म हो गए, तो अस्पताल स्टाफ बिफर पड़ा और बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया।
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बच्चे से मिलने भी नहीं दिया गया
बच्चे के पिता शमशीर अली का आरोप है कि रविवार शाम उसके बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी थी। डॉक्टरों से बात करने पर कहा गया कि वह ठीक हो जाएगा। पिता का कहना है कि हमने उसे मेडिकल कॉलेज रेफर करने भी कहा, लेकिन डॉक्टरों ने कमरे का दरवाजा लगा दिया। हमें बच्चे को देखने भी नहीं दिया गया। जब हम उसे मेडिकल ले जाने लगे तो देखा वह अचेत पड़ा हुआ था।
अस्पताल में हुई मारपीट और तोड़फोड़
बच्चे की मौत से गुस्साए परिजनों और उनके रिश्तेदारों ने अस्पताल के स्टाफ से मारपीट कर दी और जमकर तोड़फोड़ भी मचाई। जिसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची, समझाइश देकर परिजनों को शांत कराया गया। इधर पुलिस ने इलाज में लापरवाही की शिकायत पर मामला जांच में लिया है।
अस्पताल की ओर से दी गई सफाई
इधर अस्पताल की ओर से सीईओ प्रतीक जैन ने बताया है कि बच्चा गंभीर रूप से बीमार था, उसका दिल केवल 11 फीसदी काम कर रहा था। उसे बचाने के भरसक प्रयास किए गए लेकिन उसकी मौत हो गई। परिजनों द्वारा लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद हैं ।