जबलपुर में जगदगुरू रामभद्राचार्य ने जातिगत आरक्षण पर दिया बयान, बोले- समरसता लाने में राजनीति बाधक, आर्थिक आधार पर हो आरक्षण

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर में जगदगुरू रामभद्राचार्य ने जातिगत आरक्षण पर दिया बयान, बोले- समरसता लाने में राजनीति बाधक, आर्थिक आधार पर हो आरक्षण

Jabalpur. जबलपुर में समरसता सेवा संगठन द्वारा आयोजित श्रीराम का समरस एवं समर्थ कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरू रामभद्राचार्य ने अनेक संवेदनशील मुद्दों पर बेबाकी से बयान दिया है। पत्रकारों से चर्चा करते हुए स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि समरसता लाना केवल एक व्यक्ति का काम नहीं है, इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने दो टूक कहा कि समरसता लाने में राजनीति और राजनेता ही बाधक बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि समरसता लाना है कि जातिगत आरक्षण बंद किया जाना चाहिए, उसके बजाय आर्थिक आधार पर आरक्षण देना होगा। वे बोले कि एक संदीप नहीं करोड़ों संदीप काम कर लें तब भी समरसता नहीं आ सकती है। 




बीजेपी नेता संदीप जैन करा रहे आयोजन



समरसता सेवा संगठन के बैनर तले यह आयोजन बीजेपी के नेता संदीप जैन करा रहे हैं। इसके पीछे विधानसभा चुनाव की दावेदारी का मनोरथ भी बताया जा रहा है। मध्यप्रदेश में जो धार्मिक लहर चल रही है, उसी लहर के एक सोपान के तहत यह आयोजन भी कराया जा रहा है। जिसमें शिरकत करने पहुंचे जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने अनेक विषयों पर अपनी बेबाक राय रखी। जिसमें समरसता के साथ-साथ वे लव जिहाद पर भी खुलकर बोले। 




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  • लव जिहाद पर भी दिया बयान



    वे बोले कि हिंदू लड़कियों को लव जिहाद समझना होगा और मुस्लिम युवकों के जाल से बचना होगा। यह लव जिहाद संस्कृति के लिए काफी खतरनाक है। 



    नेहरू और वीआईपी कल्चर पर भी बोले



    स्वामी रामभद्राचार्य ने जवाहरलाल नेहरू पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि नेहरू ने अपनी महत्वाकांक्षा में देश का विभाजन किया था। फिर भी हमने समरसता बरती। उन्होंने कहा कि भारत में रहना है रघुवीर के होकर रहो, बाबर के नहीं। इस विषय पर समरसता बरतने का ढोंग नहीं किया जा सकता। 



    धीरेंद्र शास्त्री का भी किया जिक्र



    पत्रकारों से बातचीत के दौरान स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने शिष्य पं धीरेंद्र शास्त्री का भी दो मर्तबा जिक्र किया। वीआईपी कल्चर के सवाल पर वे बोले कि मोदी जी ने वीआईपी कल्चर खत्म कर दिया लेकिन लोगों के अंदर से वीआईपी का भूत निकला नहीं है। इस वीआईपी भूत को धीरेंद्र शास्त्री भी खत्म नहीं कर पाए। दूसरी मर्तबा उन्होंने कहा कि जबलपुर आना तो नहीं चाह रहा था लेकिन विनती नहीं टाल सका। वे बोले कि सोचा था कि धीरेंद्र शास्त्री के प्रवचन से संस्कारधानी चमत्कार प्रधान हो चुकी है, तो मेरी शास्त्रीय चर्चा कौन सुनेगा? पर मेरी प्रतिभा का मूल्यांकन करने वाले लोग भी जबलपुर में होंगे, यह सोचकर चला आया। 


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