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Jabalpur. जबलपुर में प्रचलन से बाहर कर दिए गए करीब 1 हजार करोड़ रुपए के नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प को नष्ट करने पहले उन्हें कतरन में तब्दील किया गया, फिर उसकी लुग्दी बनाकर फिर से कागज बनाने की प्रक्रिया अपनाई गई है। कोष एवं लेखा विभाग ने 1 हजार करोड़ के स्टाम्प के विनष्टीकरण की रिपोर्ट शासन को भेज दी है। लोगों को इस बात पर ताज्जुब हो रहा है कि जिन स्टाम्प की हमेशा किल्लत बनी रही जबकि इतने ज्यादा तादाद में स्टाम्प पेपर सरकारी गोदामों में पड़े हुए थे। जिससे सरकार को आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ी। दरअसल 2020 में ई-स्टाम्प व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू हो जाने के बाद 100 रुपए या इससे ऊपर के स्टाम्प ऑनलाइन जरनेट होने लगे थे। ऐसे में स्टाम्प के इस स्टॉक को सरकारी गोदाम में कैद कर दिया गया था।
सरकार ने दी थी मोहलत, पर नहीं दिया गया ध्यान
वैसे सरकार ने ई-स्टाम्प लागू करने से पहले पूर्व में छप चुके स्टाम्प के विक्रय के लिए काफी मोहलत दी थी, लेकिन अधिकांश स्टांप स्ट्रांग रूम में ही रद्दी बनने के लिए छोड़ दिए गए। जब 100 रुपए से नीचे के स्टाम्प छोड़कर बाकी सभी स्टाम्प पेपर की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लग गई तब स्ट्रांग रूम में पड़े इस स्टाक की स्थिति सामने आ पाई। बता दें कि अकेले जबलपुर डिपो में 1 हजार करोड़ रूपए के स्टाम्प रखे हुए थे। हाल ही में इनकी लुग्दी बनवाई गई है।
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चांदी की लेयर निकालकर बेची रद्दी
भोपाल आयुक्त कोष एवं लेखा की ओर से डिपो में रखे स्टाम्प पेपर को नष्ट करवाया गया। पहले स्टाम्प को मशीन के जरिए कतरन में तब्दील किया गया। स्टाम्प में लगने वाली चांदी की पतली लेयर को निकालकर रद्दी को बेच दिया गया। रद्दी खरीदने वाले ठेकेदार ने कतरन के बदले तय राशि शासन को जमा कर दी। ठेकेदार इस कतरन को रिसाइकिल कराकर नया कागज तैयार करा लेगा।
अब ई-स्टाम्प का दौर
दरअसल शासन को 100 रुपए से ज्यादा मूल्य वाले स्टाम्प पेपर की छपाई में काफी खर्च करना पड़ता था। महाराष्ट्र में दो दशक पहले स्टाम्प का घोटाला भी हो चुका है, लिहाजा सरकार ने ई-स्टाम्प को तरजीह देने की योजना बना ली। स्टाम्प पेपर को उपलब्ध करवाने के लिए वेंडर को भी सावधानी रखनी पड़ती थी और लेखा जोखा रखना पड़ता था। इसके अलावा स्टाम्प की कालाबाजारी का भी सिलसिला चलता था। ई-स्टाम्प से इन सभी परेशानियों का हल निकल गया है।
वरिष्ठ जिला कोषालय अधिकारी विनायिका लकरा ने बताया कि शासन से मिले आदेश के तहत अप्रचलित नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर के विनष्टीकरण की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। अब केवल 100 रुपए तक के स्टाम्प पेपर का संग्रहण और वितरण का काम किया जा रहा है।