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Jabalpur. जबलपुर में एमपी स्टेट बार कौंसिल के अध्यक्ष का विवाद और गहरा गया है। अध्यक्ष पद के लिए बार कौंसिल दो फाड़ हो गई है। शुक्रवार को शैलेंद्र वर्मा ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के समाप्त होते ही 12 दिसंबर 2021 के कौंसिल के निर्णय के आधार पर वे ही चेयरमैन हैं। वर्मा ने कहा कि उक्त फैसले के खिलाफ डॉ चौधरी ने याचिका दायर की थी। अंतरिम आदेश के जरिए उन्हें राहत मिल गई थी, इसलिए तब से लेकर अब तक वे चेयरमैन बने रहे। वर्मा ने बताया कि अध्यक्ष पद का प्रभार भी उन्होंने ले लिया है। इस दौरान उनके साथ स्टेट बार सदस्य अहादुल्ला उस्मानी के अलावा हाईकोर्ट बार अध्यक्ष संजय वर्मा, सचिव पारितोष त्रिवेदी, उपाध्यक्ष आशीष तिवारी और संयुक्त सचिव दीपक कुमार सिंह मौजूद रहे।
पत्रकार वार्ता में शैलेंद्र वर्मा ने हाईकोर्ट में हुई आगजनी और तोड़फोड़ के मामले को उठाते हुए कहा कि उक्त घटना के मामले में तब के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने संज्ञान नहीं लिया था। वर्मा के मुताबिक डॉ चौधरी के उदासीन और लचर रवैए के कारण बार को बेंच के सामने शर्मिंदा होना पड़ा है। यहीं नहीं उन्होंने स्टेट बार सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त शिकायत पर भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अध्यक्ष पद का कार्यभार लेने का दावा करने वाले वर्मा ने कहा है कि वे हाईकोर्ट से मांग करेंगे कि उक्त घटना से जुड़े जिन अधिवक्ताओं के चेहरे सीसीटीवी फुटेज में कैद हुए हैं, उनमें बिना किसी भेदभाव के कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए।
दूसरे पक्ष ने बताया स्वयंभू चेयरमैन
एमपी स्टेट बार कौंसिल के उपाध्यक्ष आरके सिंह सैनी ने कहा है कि शैलेंद्र वर्मा स्टेट बार के एक सदस्य मात्र हैं। वे स्वयंभू चेयरमैन बन बैठे हैं। डॉ चौधरी ने महज याचिका वापस ली है, चेयरमैन पद से इस्तीफा नहीं दिया है। उन्होंने 4 दिसंबर को सामान्य सभा की बैठक आहूत की है, जिसमें बार की दशा और दिशा तय होगी।