Narsinghpur,Brajesh Sharma. जिस वक्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कलेक्टर्स और अन्य अधिकारियों की बैठक लेकर यह नसीहत दे रहे थे कि किसानों को खाद के लिए परेशान ना हो पड़े ,ना ही उन्हें लाइन में लगना पड़े, पर्याप्त मात्रा में खाद है, किसानों को आसानी से खाद उपलब्ध हो वहीं दूसरी तरफ नरसिंहपुर में उसी वक्त कई घंटे लाइन में लगे किसान परेशान हो रहे थे। सर्वर नहीं चलने से तंग किसानों को खाद नहीं मिल सकी। लगातार किसानों को खाद के लिए इसी प्रकार परेशान होना पड़ रहा है।
वितरण व्यवस्था की नहीं हो रही मॉनीटरिंग
जिले में खाद वितरण व्यवस्था के लिए ना तो मानिटरिंग हो रही है और ना ही कोई व्यवस्था काम आ रही है जिससे पिछले एक हफ्ते से किसान बहुत अधिक तंग हैं। गुरुवार को नवागत कलेक्टर रिज़ू बाफना जिले के एनआईसी कक्ष में पहली बार वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष में मौजूद रहीं, उनके साथ अनेक अधिकारी रहे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि किसानों को आसानी से खाद मिले। वितरण केंद्र के पास टेंट, बैठक व्यवस्था और पेयजल का प्रबंध रहे। उपलब्धता के बावजूद वितरण व्यवस्था की किसी कमी के कारण किसान को परेशानी नहीं आना चाहिए। किसान को लाइन न लगाना पड़े, उसका समय और ऊर्जा जाया न हो, इसके लिए कलेक्टर्स पूरी व्यवस्था पर निगरानी रखें।
वीसी में सीएम बोले कि प्रदेश में खाद की कमी नहीं है, न ही आने वाले समय में कमी रहेगी। वे नियमित रूप से केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया से सम्पर्क में हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश को सदैव आवश्यकता के अनुसार खाद उपलब्ध करवाने का कार्य किया है। इस दौरान एनआईसी कक्ष नरसिंहपुर में कलेक्टर ऋजु बाफना, अपर कलेक्टर दीपक कुमार वैद्य एवं संबंधित अधिकारी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान निवास से वीसी द्वारा खाद वितरण समस्या वाले कुछ जिलों के कलेक्टर्स से चर्चा कर रहे थे। कृषि मंत्री कमल पटेल, राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव किसान कल्याण तथा कृषि विकास अशोक वर्णवाल, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी और प्रमुख सचिव जनसम्पर्क राघवेंद्र कुमार सिंह उपस्थित रहे। इधर वीसी के उलट वितरण केंद्रों की हालत कुछ और ही है। वितरण केंद्रों में पानी की व्यवस्था नहीं है। किसान लंबी-लंबी लाइनों में घंटो खड़ा हो रहा है। वेयर हाउस से एक बोरी डीएपी के लिए सिर्फ सौ टोकन बांटे जा रहे हैं और किसानों की बैठक व्यवस्था, टेंट वगैरह तो दूर की कौड़ी है।