नरसिंहपुर में 4 माह से स्वसहायता समूह को पैसे नहीं ,बंद होने की कगार पर सांझा चूल्हा और मिड डे मील 

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Rajeev Upadhyay
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नरसिंहपुर में 4 माह से स्वसहायता समूह को पैसे नहीं ,बंद होने की कगार पर सांझा चूल्हा और मिड डे मील 

Narsinghpur,Brijesh Sharma. नरसिंहपुर में अधिकारी बैठक कर रहे हैं, विकास यात्रा भी निकल रही है, विकास यात्रा में जिले के आला अफसर और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं लेकिन कभी कोई माननीय अधिकारियों से यह सवाल नहीं करते कि जब स्व सहायता समूह को 4 महीने से पैसे नहीं दे रहे हैं तो आंगनवाड़ी केंद्रों और जिले के सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में मिड डे मील की व्यवस्था कैसे सुचारू संचालित हो रही होगी। जिले के करीब 2000 आंगनवाड़ी व मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों में हजारों बच्चे तथा करीब 3000 से ज्यादा सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में लाखों बच्चों को सांझा चूल्हा तथा मिड डे मील के नाम से भोजन दिया जाता है।



भोजन देने की व्यवस्था लगभग 55 सौ से ज्यादा स्व सहायता समूह संभालते हैं, जिन्हें खाद्यान्न के साथ करीब 7. 80रु प्रति छात्र की दर पर राशि उपलब्ध कराई जाती है। इस राशि से एक नाश्ता और एक समय का भोजन उपलब्ध कराया जाता है। पर इन समूहों को पिछले 4 महीने से यह राशि नहीं मिली है। आप अनुमान लगा सकते हैं कि उधार  के राशन पानी से समूह किस तरह है हजारों लाखों बच्चों को किस गुणवत्ता का नाश्ता और भोजन उपलब्ध करा रहे होंगे।



7 रु 80 पैसे की जो राशि प्रति बच्चे की दर पर समूहों को मिलती है, उसमें राशन से मिलने वाला खाद्यान्न गेहूं चावल भी शामिल होता है। शेष राशि से उन्हें भोजन की तमाम चीजें दाल, नमक, हल्दी, तेल खरीदना पड़ता है। जब इसके लिए राशि ही समय पर नहीं मिलेगी तो यह व्यवस्था कैसी चलती होगी, इस पर कोई बात नहीं होती।  कोई माननीय भी बैठक में हिस्सा लेने वाले अधिकारियों से नहीं पूछते, हालात यह हैं कि विकास यात्रा गांव गांव निकल रही है पर आंगनबाड़ी और हर गांव में उपलब्ध समूह की दुर्दशा पर इन माननीयों का ध्यान नहीं है।




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  •  4-4 महीने से उधार राशन लेकर भोजन देने की मजबूरी से व्यवस्था की कलई खुलती है कि कई समूह ने पिछड़े इलाकों के स्कूलों  व आंगनवाडी केंद्र में भोजन देना बंद कर दिया या फिर बंद कगार पर पहुंच गए हैं।




     पहचान नहीं बताएंगे वरना अधिकारी करेंगे प्रताड़ित



     स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं से जब जानकारी ली गई तो उन्होंने अपने चेहरे ढंक लिए और कहा कि अगर पहचान उजागर हो जाएगी तो अधिकारी उनका काम करना दूभर कर देंगे ,परेशान करेंगे स प्रताड़ित करेंगे और हो सकता है कि हमारा समूह बंद करा दें तो हम गरीब परेशान होंगे । इसलिए हम ना तो समूह के नाम बता रहे हैं और ना ही पहचान ।बस समस्या है कि हमें दिसंबर के आगे से खाद्यान्न और  पैसा नहीं मिला  जिससे स्थिति बिगड़ रही है। कई केंद्रों और स्कूलों में तो यह व्यवस्था बंद होने की कगार पर है ।




     विधानसभा में गूंज चुका है मामला, कलेक्टर मांगते हैं 20 टका कमीशन



     लोगों को याद होगा कि पिछले दिनों विधानसभा में यह मामला भी गूंजा था कि कई कलेक्टर स्वसहायता समूह से 20 पर्सेंट कमीशन मांगते हैं।ऐसी कई शिकायतें एक आवाज बनकर विधानसभा तक पहुंची बावजूद इसके अधिकारियों के रवैए में कोई सुधार नहीं है।



     कार्यकर्ताओं को भी मानदेय नहीं



     आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी पिछले दो-तीन महीने का मानदेय नहीं मिला है जिससे उन्हें भी आर्थिक तंगी झेलना पड़ रही है।




    प्रभारी अधिकारी ने कहा मिल रही राशि  



    आखिर झूठ कौन बोल रहा है स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं और उनका ज्ञापन या फिर अधिकारी, प्रभारी अधिकारी राधेश्याम वर्मा से जब पूछा गया कि खाद्यान्न और राशि नहीं मिल रही है तो उनका जवाब था कि खाद्यान्न मिल रहा है। जब उनसे मानदेय के बारे में पूछा गया तो कहा गया कि दिसंबर का मानदेय अभी दिया जा रहा है,जनवरी का शेष है।


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