भोपाल में महिला पंच-सरपंच की जगह ट्रेनिंग में आए उनके पति, सीएम शिवराज बोले- महिला जनप्रतिनिधि 50 प्रतिशत तो नहीं दिख रहीं

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Rahul Garhwal
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भोपाल में महिला पंच-सरपंच की जगह ट्रेनिंग में आए उनके पति, सीएम शिवराज बोले- महिला जनप्रतिनिधि 50 प्रतिशत तो नहीं दिख रहीं

राहुल शर्मा, BHOPAL. मध्यप्रदेश की पंचायतों में किस कदर महिला जनप्रतिनिधियों के पति और बेटे हावी हैं। इसकी एक और बानगी भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित सरपंचों के सम्मेलन में देखने को मिली। इस सम्मेलन का आयोजन नवनिर्वाचित सरपंचों को प्रशिक्षित करना भी था। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस कार्यक्रम में पंचायत प्रतिनिधियों के मानदेय बढ़ाने सहित कई घोषणाएं कीं लेकिन सरकार जिस महिला सशक्तिकरण की बात करते नहीं थकती। वो पंचायत स्तर पर दम तोड़ते हुए दिख रही है।





कहीं ऐसा तो नहीं कि उनकी जगह पति आ गए हों- सीएम शिवराज





सम्मेलन में महिला पंच और सरपंच की जगह उनके पति और बेटे पहुंचे। कहने को प्रदेश में 11 हजार महिला सरपंच हैं लेकिन इस सम्मेलन में अधिकांश महिला प्रतिनिधियों की जगह पति और बेटे ही पहुंचे थे। स्वयं सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मंच से ये कहा कि सम्मेलन में महिला जनप्रतिनिधि 50 प्रतिशत तो नहीं दिख रही हैं, कहीं ऐसा तो नहीं कि उनकी जगह पति आ गए हों।





खुद को सरपंच पति बताने में कोई संकोच नहीं





द सूत्र ने जब सम्मेलन में मौजूद लोगों से बात की तो इस बात की पुष्टि हो गई कि महिला पंच-सरपंच की जगह उनके पति कार्यक्रम में आए हैं। बड़ी बात ये है कि ये सरपंच पति खुद भी खुलकर इसे स्वीकार रहे हैं। कोई झिझक या हिचकिचाहट नहीं। मानों ये उनका मौलिक अधिकार हो। द सूत्र ने जब यहां आए प्रतिनिधियों ने बात की तो अधिकांश महिला जनप्रतिनिधि के बेटे या पति ही निकले। सम्मेलन में कालादेही से सरपंच पति अरविंद भूरिया, डिछिया से सरपंच पति वीरेंद्र रघुवंशी, मातिबुजुर्ग से पंच पति रमेश सोलंकी, किशनपुर की सरपंच रामवतिबाई के पति पहुंचे थे।





दमोह में पति ले चुके हैं शपथ





ये पहला मामला नहीं है जब पंचायत स्तर पर पति या बेटे के हस्तक्षेप की बात सामने आई। दमोह जिले के गैसाबाद ग्राम पंचायत के शपथ ग्रहण समारोह में सचिव ने सरपंच ललिता अहिरवार और 11 महिला पंच की जगह उनके पतियों को शपथ दिला दी थी। इस शपथ ग्रहण समारोह में एक भी निर्वाचित महिला नहीं पहुंची थी। बता दें कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 570 निर्विरोध निर्वाचित हुए सरपंचों में 380 महिलाएं सरपंच ही थीं। जनभागीदारी में महिलाएं प्रतिनिधि निर्विरोध या चुनाव जीतकर निर्वाचित तो होती है लेकिन इसके बाद पूरा काम उनके पति या बेटे ही संभालते हैं।





चुनाव नजदीक इसलिए कराया सम्मेलन





सम्मेलन में आगर मालवा से पहुंचे लाल सिंह ने कार्यक्रम को लेकर कहा कि कुछ नहीं है। बस चुनाव है इसलिए कार्यक्रम हो रहा है। वहीं डिंडोरी से आए मनोहर सिंह और रामचंद्र मरावी भी सम्मेलन को लेकर कुछ नहीं बता पाए। ये स्थिति कुछ और अन्य सरपंच और पंच की भी रही, जो यही नहीं बता सके कि यह सम्मेलन क्यों आयोजित हुआ और आपने यहां क्या प्रशिक्षण प्राप्त किया।





अधिकारी लेते हैं कमीशन, कैसे हो गांव का विकास





ढ़िलोना पंचायत के सरपंच राम बिहारी सिंह ने कहा कि सागर जिले में तीन-तीन मंत्री होने के बाद भी अधिकारी रिश्वत लेने से बाज नहीं आ रहे हैं। कमीशन फिक्स है, ऐसे में सरपंच जमीन पर क्या काम करेगा। अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक सबकुछ मैनेज है, इसलिए शिकायत पर भी कुछ नहीं होता। समय-समय पर अधिकारियों के ट्रांसफर हो तब जाकर इस सब पर लगाम लगेगी, इस तरह के कार्यक्रम से कुछ खास बदलने वाला नहीं है।





जिन्हें नहीं मिला लाभ, उनके नाम पर दिखा रहा पीएम आवास





कुमड़ा पंचायत के सरपंच भगवान सिंह ने बताया कि गांव में नलजल योजना से पानी नहीं मिल रहा है। जिन लोगों को योजना का लाभ नहीं मिला उन तक को लाभार्थी बता दिया जिससे पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। खेत सड़क योजना भी करीबियों को लाभ देने के लिए ही चलाई जा रही है। इसी तरह अन्य सरपंचों ने भी सरकारी योजनाओं को लेकर कई खामियां गिनाईं।



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