जबलपुर के आरडीयू में हॉस्टलर्स की नहीं थम रही दबंगई, एफआईआर से नाराज होकर एग्जाम रुकवाने का किया प्रयास, हुए रेस्टीकेट

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर के आरडीयू में हॉस्टलर्स की नहीं थम रही दबंगई, एफआईआर से नाराज होकर एग्जाम रुकवाने का किया प्रयास, हुए रेस्टीकेट

Jabalpur. जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कुलसचिव को धमकाने के मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने तीनों छात्रों सोमदत्त यादव, सुरेंद्र कुशवाहा और अभिनव तिवारी को निष्कासित कर दिया है। उन्हें हॉस्टल से भी बाहर कर दिया गया है, लेकिन इस बात की झल्लाहट निकालते हुए एक छात्र सुरेंद्र कुशवाहा ने अपने साथियों के साथ मिलकर विश्वविद्यालय में चल रही एक परीक्षा को रुकवाने का प्रयास किया। अपने साथियों के साथ पहुंचकर सुरेंद्र ने छात्रों को परीक्षा न देने के लिए धमकाया। इस बात की शिकायत परीक्षा भवन में तैनात परीक्षक ने विश्वविद्यालय प्रशासन से की है। हालांकि पुलिस के आने से पहले आरोपी छात्र मौके से फरार हो गया। इससे पहले कुलसचिव को धमकाए जाने के मामले में विश्वविद्यालय के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। इधर पुलिस जब आरोपी छात्रों को पकड़ने हॉस्टल पहुंची तो हॉस्टलर्स ने हंगामा शुरू कर दिया। हालांकि विरोध के बीच पुलिस ने एक आरोपी छात्र को गिरफ्तार कर लिया है। 





प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने तीनों को पाया दोषी





इस मामले में कर्मचारियों के आक्रोश को देखते हुए कुलपति ने प्रोक्टोरियल बोर्ड की बैठक बुलाई। बैठक में पूरे घटनाक्रम पर विचार किया गया और तीनों छात्रों को विश्वविद्यालय और हॉस्टल से निष्कासित करने का निर्णय लिया गया है। जिसके बाद तीनों छात्रों का सामान हॉस्टल से हटा दिया गया है। 







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  • पिछले कुलसचिव के प्रश्रय का नतीजा





    छात्र संगठनों का आरोप है कि हॉस्टलर्स छात्रों को बढ़ावा देने के काम पिछले कुलसचिव बृजेश सिंह ने किया था। एबीवीपी के प्रमुख माखन शर्मा ने बताया कि पूर्व कुलसचिव ने ही हॉस्टलर्स को बढ़ावा देकर उनका मनोबल बढ़ाया। यहां तक कि हॉस्टल में अवैध गतिविधियों के लिए भी प्रश्रय दिया गया था। अचानक से हॉस्टलर्स को मिलने वाली छूट पर पाबंदी लग गई जिससे वे बौखला गए हैं और कुलसचिव को धमकाने की कोशिश हुई। इस घटना में एबीवीपी विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के समर्थन में है, असामाजिक तत्वों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। 





    पुलिस कार्रवाई पर भी उठे सवाल





    इस मामले में बताया जा रहा है कि पुलिस ने आरोपी छात्रों को हिरासत में तो लिया लेकिन बाद में उन्हें नोटिस देकर छोड़ दिया गया, जबकि उन पर शासकीय कार्य में बाधा की धारा लगाई गई है। कर्मचारियों में इस बात को भी लेकर रोष है। उनका कहना है कि यदि ऐसे आरोपी छात्रों पर कार्रवाई में ढील दी जाती रही तो चाहे जब कोई न कोई छात्र आकर उनके साथ अभद्रता और मारपीट करने लगेंगे। 



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