Jabalpur. मध्यप्रदेश के सबसे पुराने जबलपुर नगर निगम में 1400 करोड़ के बजट सत्र के प्रति पार्षदों का उदासीन रवैया और गैरजिम्मेदारी भरी हरकतें दिखाई दीं। बीजेपी के एक युवा पार्षद जहां अपने वार्ड की समस्याओं और होने वाले विकास कार्यों की चर्चा करने के इतर मोबाइल पर गेम खेलने में मशगूल नजर आए। वहीं कई पार्षद मोबाइल पर अपना पर्सनल काम निपटाते हुए दिखाई दिए। निर्वाचित पार्षदों की बात तो एक तरफ सदन की चर्चा से नगर निगम के अधिकारी भी नदारद रहे। जो इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि शहर विकास के प्रति जिम्मेदारों का रवैया कैसा है।
नगर निगम में इन दिनों बजट सत्र पर चर्चा चल रही है, जिसमें नगर निगम द्वारा आने वाले साल में 1400 करोड़ रुपए का भारी-भरकम फंड किस तरह खर्च होगा इसकी योजना पर बहस हो रही है। पार्षद अपने-अपने क्षेत्र से जुड़े विकास कार्यों और योजनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। लेकिन इस बजट सत्र की बहस में कई पार्षदों का व्यवहार बेहद गैरजिम्मेदाराना नजर आ रहा है। सदन में कोई सदस्य शहर विकास और हित से जुड़े मुद्दे रख रहा था, तब कुछ पार्षद बोरियत महसूस करते हुए मोबाइल पर गेम खेलने में व्यस्त दिखाई पड़े। ऐसी गैरजिम्मेदारी बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के पार्षदों ने दिखाई।
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गेम में मशगूल रहे ये पार्षद
सोशल मीडिया पर बीजेपी के धनवंतरी नगर के पार्षद जीतू कटारे की तस्वीरें वायरल हुई हैं, जिसमें वे चर्चा के दौरान मोबाइल पर एक गेम खेलते दिख रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के एक पार्षद चर्चा के दौरान ही फोन पर अपने पर्सनल काम निपटाते दिखाई दिए। बजट सत्र की चर्चा के दौरान महिला पार्षद अपने सेल्फी सेशन में ही व्यस्त दिखाई दीं। अलग-अलग ढंग के पाउट में उनकी सेल्फियां चर्चा का विषय नहीं थीं पर सोशल मीडिया में उनकी इस हरकत की चर्चा जरूर रही। उधर अधिकारियों का रवैया भी गैरजिम्मेदाराना रहा। चर्चा के दौरान अनेक अधिकारी सदन से गायब रहे।
अधिकारियों की कुर्सियां रहीं खाली
नगर निगम में बजट सत्र पर चर्चा के दौरान अधिकारियों के बैठने के लिए रिजर्व कुर्सियां खाली पड़ी रहीं। पक्ष और विपक्ष के पार्षद बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते रहे। इस बीच नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल ने अधिकारियों के इस रवैए पर आपत्ति उठाई। उन्होंने कहा कि यह चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अपमान है और शहर विकास में बाधा का सबब बन रहा है। कमलेश ने कहा कि यदि कोई पार्षद बजट के प्रावधान में कोई परिवर्तन कराना चाहता है तो इस परिवर्तन को अंजाम अधिकारियों के माध्यम से ही दिया जाता है, लेकिन यदि चर्चा के दौरान अधिकारी ही मौजूद नहीं होंगे तो इसका फायदा जनता को कैसे मिलेगा।
अध्यक्ष भी कर रहे नजरअंदाज
नगर निगम सदन को सुचारू ढंग से चलाने की जिम्मेदारी सदन के अध्यक्ष की होती है, लेकिन पार्षदों के गैरजिम्मेदाराना रवैए और अधिकारियों की लापरवाही पर सदन अध्यक्ष रिंकू विज ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि उन्होंने अधिकारियों की अनुपस्थिति पर यह जरूर कहा कि आगे से इस बात का खयाल रखा जाएगा।