संजय गुप्ता, INDORE. MPCA के प्रेसीडेंट अभिलाष खांडेकर ने निगम की कार्यशैली को लेकर मुख्य सचिव को तीखा पत्र तो लिख दिया है लेकिन एसोसिएशन ये बताने की स्थिति में नहीं है कि आखिर 13 हजार टिकट किसे और कहां पर दिए गए। एमपीसीए के सचिव संजीव राव कहते हैं कि 14 हजार टिकट ऑनलाइन बेचे गए, स्टेडियम की क्षमता तो 27 हजार है, फिर 13 हजार टिकट कहां गए। इस पर एमपीसीए के सीएओ रोहित पंडित का जवाब आता है कि बीसीसीआई, स्पांसर, क्रिकेट एसोसिएशन, पूर्व खिलाड़ियों को टिकट जाते हैं। फिर वीवीआईपी को कॉम्प्लीमेंट्री टिकट जाते हैं, मीडिया को भी जाते हैं। चलो मान भी लिया तो वे भी 5-6 हजार से ज्यादा नहीं होते हैं, यानी 20-21 हजार टिकट हो गए, फिर 6 हजार टिकट कहां गए। इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
वीडियो में सामने आया टिकट बांटने का धंधा
मंगलवार को एक वीडियो टिकट गड्डी को लेकर सामने आया है, इसमें डी नंबर गेट पर एंट्री होकर सीट नंबर 221 से लेकर 270 तक के नंबर दिख रहे हैं। ऐसी पांच बुकलेट हैं यानी 250 टिकट हैं। ये टिकट एमपीसीए ने किसे जारी किए हैं। ये नहीं पता चला है इसका जवाब एमपीसीए वाले देने की स्थिति में नहीं हैं।
पहले भी हो चुकी टिकट की धांधली
एमपीसीए में टिकट की धांधली नई नहीं है, 7 साल पहले भी टीम इंडिया के मैच अक्टूबर 2015 में साइट ओपन होने से पहले ही सारी टिकट बिक गई थीं, क्राइम ब्रांच ने इस मामले में एक जगह छापा मारा तो ढेरों टिकट मिली थीं। इस मामले में आज भी जांच जारी है।
एसोसिएशन को जाते ही नहीं है टिकट
सूत्रों के अनुसार विविध राज्य क्रिकेट एसोसिएशन और पूर्व खिलाड़ियों के नाम पर टिकट जारी जरूर होते हैं लेकिन यहां खेल हो जाता है ये सभी बड़े पदाधिकारी अपने पास रखकर अपनी मनमर्जी से उपयोग करते हैं। जब अन्य राज्यों में मैच होता है तो एमपीसीए भी यही करता है और अपने टिकट नहीं लेता है। इस तरह हर राज्य एसोसिएशन दूसरों के नाम पर टिकट जारी कर खुद ही उपयोग करता है।
टिकट छापने वालों के यहां भी मिले थे असली टिकट
दो दिन पहले विजयनगर पुलिस ने छापा मारकर दो लोगों से दर्जनभर टिकट पकड़े थे। इसमें 6 टिकट असली भी थे। ये टिकट इन्हें कहां से मिले, ये भी जांच का विषय है। इन्हीं टिकट के जरिए वे नकली टिकट छापकर बेच रहे थे।