Jabalpur. जबलपुर की गन कैरिज फैक्ट्री में स्वदेशी तकनीक से तैयार धनुष तोप सेना की ताकत को बढ़ा रही है। धनुष तोप में अब एकदम स्वदेशी इंजन लगाए जाने हैं। पुणे से इन इंजनों की खेप जीसीएफ पहुंच चुकी है। अब इंजनों की नई खेप को तोप में लगाकर इनका परीक्षण किया जा रहा है। दुश्मन के इलाके में 38 से 40 किलोमीटर की दूरी तक गोला दागने में सक्षम 155 एमएम 45 कैलीबर की धनुष तोप का उत्पादन गन कैरिज फैक्ट्री में धीमी रफ्तार से चल रहा था। इसकी एक वजह इंजन की कमी थी। कोरोना के चलते इसके उत्पादन पर असर पड़ा था। अब पुणे में बनने वाले इंजन को कंपनी ने सप्लाई करना शुरू कर दिया है।
हाल ही में इंजन का एक लॉट जबलपुर पहुंचा है। इन इंजनों को तोप में लगाकर एलपीआर खमरिया में ट्रायल किया जा रहा है। तोप में 80 हॉर्सपावर का शक्तिशाली इंजन लगने से इसकी ताकत और बढ़ गई है। पहले इसमें करीब 60 एचपी का इंजन लगता था। जिसकी सप्लाई स्वीडन की कंपनी से होती थी। उसने बोफोर्स के लिए 3 दशक तक इंजन की सप्लाई की थी। एक विदेशी कंपनी ने अपना प्लांट पुणे में लगाकर उत्पादन शुरू किया था। अब उसकी तरफ से सप्लाई नियमित रूप से की जाएगी।
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इंडियन आर्मी के पास सबसे ज्यादा दूरी तक मार करने वाली तोप में धनुष सबसे आगे है। इसे जीसीएफ में विकसित किया गया है। आर्मी के पास जो बोफोर्स तोप है, उन्हें अपग्रेड कर इसे तैयार किया गया था। इसे स्वदेशी बोफोर्स कहा जाता है। यह तकनीकी रूप से काफी ज्यादा उन्नत है। पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड तोप हर परिस्थितियों में काम करती है। सेना को बड़ी संख्या में इनकी सप्लाई जीसीएफ से हो चुकी है। इन्हे सीमा पर भी तैनात किया गया है।
जीसीएफ के महाप्रबंधक और जनसंपर्क अधिकारी राहुल चौधरी ने बताया कि 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप के लिए देश में बने इंजन की सप्लाई शुरू हो गई है। अभी कुछ अड़चन थी। उसे दूर कर लिया गया है। अब तोप का उत्पादन तीव्र गति से हो सकेगा।