भूमाफिया चंपू, नीलेश, हार्डकोर क्रिमिनल, इनके अपराध हत्या-बलात्कार के बराबर, जमानत हो निरस्त, भूमाफियाओं के लिए पुलिस की रिपोर्ट

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भूमाफिया चंपू, नीलेश, हार्डकोर क्रिमिनल, इनके अपराध हत्या-बलात्कार के बराबर, जमानत हो निरस्त, भूमाफियाओं के लिए पुलिस की रिपोर्ट

संजय गुप्ता, INDORE. भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा, उसका भाई नीलेश अजमेरा, चिराग शाह यह सभी हार्डकोर क्रिमिनल होकर कुख्यात अपराधी है। इनका जमानत पर रिहा होना न्याय के हिसाब से उचित नहीं है, इसलिए जमानत निरस्त होना चाहिए। इनके किए गए अपराध हत्या, बलात्कार, डकैती के ही समतुल्य। द सूत्र को यह पुलिस की गोपनीय रिपोर्ट मिली है, जिसमें यह बातें लिखी गई है और जमानत निरस्त की मांग की गई है। पुलिस थाने से भूमाफियों को नोटिस जारी हो गए हैं। उधर जिला प्रशासन की रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी भूमाफिया ने सेटलमैंट के लिए प्रशासन को सहयोग नहीं किया है, इसलिए सभी की जमानत निरस्त कर कठोर कार्रवाई की जाना चाहिए। सभी ने साथ बैठकर हल के प्रयास नहीं किए और अपनी जिम्मेदारियां दूसरों पर डाली है। हाईकोर्ट में भूमाफियाओं की कालिंदी गोल्ड, सेटेलाइट हिल्स और फोनिक्स देवकान तीन कॉलोनियों के पीडितों के मामले में 15 मार्च (बुधवार) को सुनवाई होना है। इसके लिए प्रशासन ने रिपोर्ट पेश कर दी है और पुलिस की ओर से भी एक्शन शुरु हो गया है। 





भूमाफियाओं पर 32 एफआईआर 200 से ज्यादा चल रहे केस





द सूत्र को मिली पुलिस विभाग की एक रिपोर्ट में इन सभी भूमाफियाओं को कुख्यात अपराधी बताने के साथ ही लिखा गया है कि सभी पर 32 एफआईआर दर्ज है और विविध न्यायालयों में 200 से ज्यादा केस चल रहे हैं। कहने को निकुल कपासी, प्रवीण चौहान और महावीर जैन चेहरे हैं लेकिन इसमें चंपू , नीलेश, चिराग शाह और हैप्पी धवन ही प्रमुख हैं और इन्हीं के इशारों पर यह सभी लोग काम करते हैं। सभी अपराधों में इन चारों की ही भूमिका रही है। इनके द्वारा कपासी, चौहान और जैन के माध्यम से सुनियोजित तरीके से पीड़ितों को ठगा गया है। फर्जी दस्तावेज भी तैयार कराए गए और सुनियोजित तरीके से राशि को हड़पा गया है।







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  • क्यों होना चाहिए जमानत निरस्त, पुलिस की रिपोर्ट







    • चंपू, नीलेश और चिराग, यह सफेदपोश अपराधी उनके द्वारा हत्या, बलात्कार, डकैती समतुल्य समाज को प्रभावित करने वाले तरह के अपराध किए गए हैं।



  • अपराध की जवाबदेही वह आपस में दूसरों को डाल रहे हैं


  • चिराग, नीलेश और चंपू  सोची समझी रणनीति से अपराध करते हैं व अन्य को चेहरा बनाते हैं, इसलिए जमानत निरस्त होना चाहिए


  • इन सभी पर पुलिस थानों में 25 अपराध कायम है, कुख्यात अपराधी होकर हार्डकोर क्रिमिनल है इन पर 200 से ज्यादा केस विविध कोर्ट में।


  • कॉलोनी के नक्शे जो पास कराए गए, इसमें किसान के फर्जी अंगूठे हस्ताक्षर लगाए गए


  • जमानत इस आधार पर कि पीडितों को न्याय देंगे, लेकिन ना राशि मिली और ना भूखंड, इसलिए न्यायहित में यह जमानत निरस्त होना चाहिए


  • सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कहा था कि यदि आरोपी सहयोग नहीं करते तो जमानत निरस्त कर पुलिस को कार्रवाई की स्वतंत्रता होगी, इसलिए फिर हिरासत में लेने लिया जाए


  • कोर्ट को भ्रमित कर जमानत ली गई है, कोर्ट के सामने पूरे तथ्य नहीं रखे गए और ना ही दस्तावेज उचित तरीके से रखे गए हैं


  • पीडितों को झूठे सपने दिखाकर जीवन भर की पूंजी ले ली गई, यदि आरोपी बाहर रहे तो समाज में फिर से यह इसी तरह के अपराध करने के प्रयास करेंगे, इसलिए जमानत निरस्त हो






  • भूमाफियाओं ने केवल 39 फीसदी केस निपटाए इसमें भी कब्जे का मतलब नहीं





    सूत्रों के अनुसार द सूत्र के पास मौजूद प्रशासन द्वारा निराकृत किए गए केस की सूची अनुसार तीनों कॉलोनियों के कुल 255 केस में से केवल 100 केस का निराकरण हुआ है। यानि मात्र 39 फीसदी। इन 255 शिकायतों के अतिरिक्त भी 50 से ज्यादा शिकायतें मिली है, इन्हें भी जोड लें तो यह निराकरण 30 फीसदी से ज्यादा नहीं है, यानि भूमाफियाओं ने जमानत के पूरे मजे लिए और जिस शर्त पर जमानत मिली थी कि पीडितों को न्याय देंगे उन्हें कोई राहत नहीं दी है। 





    तीन कॉलोनियों के लिए भूमाफियाओं ने यह किया हाल







    • कालिंदी गोल्ड सिटी में कुल 96 शिकायतें हैं, जिसमें 34 रजिस्ट्री वाले और 62 रसीद वाले थे, इसमें से रजिस्ट्री वाला केवल 19 और रसीद वाले 8 केस यानि मात्र 27 केस निराकृत हुए हैं। 



  • प्रशासन ने कहा है कि 27 केस में 11 का हैप्पी धवन, 13 का चिराग शाह औऱ् चार का विकास चौकसे ने किया है। बाकी में किसी ने रूचि नहीं ली।


  • फोनिक्स डेवकान की बात करें ते योहां कुल 88 शिकायतें थी जिसमें रजिस्टर् वाले 56 और रसीद वाले 32 केस थे, जिसमें से 26 रजिस्ट्री वाले और 20 रसीद वाले यानि कुल 46 केस निराकृत हुए हैं। वह भी अधूरे क्योंकि फोनिक्स कंपनी दिवालिया होने से केवल कब्जे हैं, रजिस्ट्री नहीं हुई है।


  • प्रशासन ने कहा है कि चंपू अजमेरा ने 23 में भूखंड पर कब्जा दिया औऱ् 29 मे राशि लौटाई लेकिन कंपनी लिक्विडेशन में होने के चलते कब्जे का कोई औचित्य नहीं है। वास्तविक निराकरण चंपू और चिराग दोनों ने नहीं किया है


  • सेटेलाइट हिल्स की बात करें तो यहां कुल 71 शिकायतें हैं, जिसमें से 49 रजिस्ट्री वाले और 22 रसीद वाले, जिसमें 27 रजिस्ट्री वालों का और रसीद वाले किसी का भी निराकरण नहीं हुआ, कुल निराकरण मात्र 27 लोगों का हुआ है। 


  • प्रशासन ने कहा है कि इसमें एवलांच लियलटी के कर्ताधर्ताओं का चंपू अजमेरा पर जमीन को अवैध रूप से बेचने का आरोप है, इसलिए विवाद जारी है और कब्जे का वास्तविक उपयोग संभव नहीं है, सभी लोग आपस में मिले हुए हैं।






  • सेटेलाइट हिल्स अलग से विशेष जांच कराने का लिखा





    ​​​​​​​प्रशासन की जांच के दौरान सेटेलाइट हिल्स कॉलोनी को लेकर कई शिकायतें पहुंची। इसमें चंद्रप्रुभ होम्स के योगेश जैन द्वारा बताया गया कि उनकी जमीन भी कॉलोनी में शामिल कर गलत नक्शा पास कराया गया। इसमें डेवसपर्स डेवलपर्स नारायण अंबिका इंफ्रास्ट्र्क्चर के संचालक मालिकों द्वारा टीएंडसीपी से नक्शा पास करा लिया, बाद में विकास मंजूरी की शर्तों का भी पालन नहीं किया। शिकायत में चंपू, योगिता अजमेरा, रश्मि गर्ग पिता कैलाश चंद गर्ग, नितेश चुग पिता मोहनलाल चुघ, महेश वाधवानी पिता टेकचंद वाधवानी, कैलाश चंद गर्ग के नाम शामिल है। साथ ही संजय लुणावत के भी हस्ताक्षर होने की बात कही गई है, वहीं लुणावत प्रशासन को दस्तावेज देकर बता चुके हैं उनके हस्ताक्षर है ही नहीं, यह फर्जी और इसे लेकर उन्होंने केस भी लगाया है। इन सभी मामलों को देखते हुए जिला प्रशासन ने अलग से विशेष जांच की बात कही है, क्योंकि यदि नक्शा गलत पास हुआ तो सभी निराकरण गलत हो जाएंगे। सेटेलाइट हिल के मामले में लिखा गया है कि चंपू, मोहन चुघ, कैलाश गर्ग और विकास गुलाटी पिता ओमप्रकाश गुलाटी को बुलाकर निराकरण के प्रयास गिए गए लेकिन किसी ने भी सहयोग नहीं किया।





    किसान के अंगूठे गलत निकले





    प्रशासन के पास कुछ किसानों की भी शिकायत पहुंची है, खासकर सेटेलाइट के मामले में। पुलिस की एक रिपोर्ट में भी सामने आया है कि जिस किसान से जमीन खरीदी बताई गई और अंगूठा बताया गया वह हस्ताक्षर जांच में झूठा साबित हुआ। किसान ने जमीन बेची ही नहीं और उसके फर्जी अंगूठा हस्ताक्षर कर जमीन अपने दायरे में बताई गई है। 





    संदीप तेल के भाई प्रदीप अग्रवाल का भी आया नाम





    जांच में संदीप तेल (जिनकी हत्या हो गई थी) के भाई प्रदीप अग्रवाल का भी नाम आया और प्रशासन ने लिखा है कि 13 भूखंड इनसे लिए जाने थे लेकिन बार-बार सूचित किए जाने के बाद यह भी सामने नहीं आए और ना ही पीडितों को प्लाट की रजिस्ट्री की।



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