इंदौर में बॉबी छाबड़ा ने गुरुसिंघ सभा पर लगाए आरोप, अकाल तख्त के सामने रखे खालसा सोसाइटी के दस्तावेज, कहा- संगत को किया गुमराह

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BP Shrivastava
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इंदौर में बॉबी छाबड़ा ने गुरुसिंघ सभा पर लगाए आरोप, अकाल तख्त के सामने रखे खालसा सोसाइटी के दस्तावेज, कहा- संगत को किया गुमराह

संजय गुप्ता ,INDORE. इंदौर में गुरुसिंघ सभा के चुनाव को लेकर अकाल तख्त सदस्य परमपाल सिंह की एक बैठक में भूमाफिया बॉबी छाबड़ा के नहीं पहुंचने और रिंकू भाटिया और मोनू भाटिया के बीच विवाद की खबर द सूत्र में चलने के बाद मंगलवार, 25 अप्रैल को फिर बैठक हुई। अकाल तख्त ने बॉबी छाबड़ा को बैठक में आने के लिए कहा। इमली साहेब गुरुद्वारे पर देर शाम को यह बैठक हुई। बैठक में खालसा सोसायटी के चुनाव ना होने का मुददा ना उठने पर बॉबी छाबड़ा मुखर हो गए। उन्होंने गुरुसिंघ सभा के सचिव राजा गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आप लोग गंदी राजनीति पर उतर आए हो, इससे समाज का नुकसान हो रहा है। बॉबी ने कहा कि हमें समाचार पत्रों और मीडिया के माध्यम से पता चलता है कि संस्थाओं में अवैध दुकान बना दी गई हैं। बॉबी ने संगत से कहा कि क्या इन्हें गुरुसिंघ सभा के सचिव पद पर रहते हुए झूठी शिकायतें करना शोभा देता है। ये पद का दुरुपयोग कर समाज को नुकसान पहुंचाने में लगे हुए हैं।



गांधी ने संस्थान को राजनीति का मैदान बना दिया- बॉबी



बॉबी ने कहा कि व्यक्तिगत रंजिश निकालने के लिए गांधी ने खालसा संस्थान को टारगेट बनाया। शासन से लेकर प्रशासन तक झूठे ज्ञापन दिए। हाईकोर्ट में पिटीशन लगाई। गांधी ने समाज की सेवा के लिए बनी इस संस्थान को राजनीति का मैदान बना दिया है। खालसा सोसाइटी की झूठी शिकायतें कर इसकी दुकानें निगम के पास जमा करा दी, इससे होने वाली आय खत्म करा दी। इस वजह से संस्थान की छवि को भारी नुकसान हुआ है उसके रेवेन्यू में कमी आई है। इसका पूरा असर हमारे समाज के बच्चों को मिलने वाली बेहतर वाली शिक्षा और सुविधाओं पर आएगा। गुरुसिंघ सभा लगातार संगत को गुमराह करती रही है कि खालसा सोसायटी में भ्रष्टाचार हो रहा है, लेकिन आज तक एक सबूत या तथ्य पेश नहीं कर सके। इन्होंने संगत को गुमराह करते हुए ये भ्रम भी फैलाया कि खालसा सोसायटी पर कब्जा कर लिया है, इसके चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। भूमाफिया बॉबी छाबड़ा ने संगत के बीच कहा कि गुरुद्वारे में कहा कि यह संस्था समाज की है और समाज की ही रहेगी। आपने जो भ्रम फैलाया है इसे बंद करें। 



हाईकोर्ट की पिटीशन लहराते हुए सभा पर साधा निशाना



बॉबी छाबड़ा ने बैठक में हाईकोर्ट की पिटीशन लहराते हुए गुरुसिंघ सभा पर निशाना साधा। उन्होंने गांधी से सवाल पूछा कि आपने संस्थान के खिलाफ हाईकोर्ट में पिटीशन दायर की है क्या ये बात संगत को बताई। इस सवाल पर गांधी सहित गुरुसिंघ सभा के अन्य पदाधिकारी चुप्पी साधे रहे। बॉबी ने संस्थान में चुनाव ना कराए जाने के आरोपों के जवाब में कहा कि चुनाव पंजीयन कार्यालय के नियमों के अनुसार होते हैं, उनकी नियम प्रक्रिया होती है। कभी भी चुनाव नहीं कराए जा सकते। ये गांधी भी अच्छे से जानते हैं, लेकिन इसके बावजूद समाज में संस्थान और मेरी छवि को खराब करने के लिए इस तरह के आरोप लगाए गए। संस्था को कानूनी विवाद में लेकर आए। आप ने समाज को भ्रमित कर संस्था को बदनाम करने की कोशिश की है। 



गांधी ने क्रेडिट सोसायटी डूबो दी



बॉबी ने कहा कि खालसा क्रेडिट कॉपरेटिव सोसाइटी का संचालन गांधी और उनके इष्ट मित्रों द्वारा किया जाता था, उस संस्था का क्या हाल हुआ है किसी से छिपा नहीं है संगत के पैसे डूबो दिए आज तक संगत धक्के खा रही है। इसके बावजूद हमने कभी शिकायत इसलिए नहीं की, समाज का मामला है आप लोग शायद क्रेडिट सोसाइटी को ठीक कर लेंगे और लोगों के भरोसे को टूटने नहीं देंगे। लेकिन ऐसा नहीं कर पाए, वजह गुरुसिंघ सभा के पदाधिकारियों ने क्रेडिट संस्थान के प्रबंधन संभालने से ज्यादा समय मेरी संस्था और मेरे खिलाफ शिकायतें करने में लगाया। इन्होंने तो ये भी आरोप लगाया कि खालसा स्कूल और कॉलेज में 10वीं पास लोगों को मेंबर नहीं बनाना था, क्या अपने बच्चों को अनपढ़ वोटर बनाएं। बॉबी ने पूछा गुरुनानक पब्लिक स्कूल आप चला रहे हो, उसकी हालत क्या है और उसकी जिम्मेदारी किसकी है। पर मेरे द्वारा कभी उस पर सवाल नहीं उठाया गया। समाज की संस्था है इसे आप संभाल लेंगे, लेकिन आप लोग यहां भी पूरी तरह असफल साबित हुए। 



अकाल तख्त सदस्य बोले इंदौर में सिख राजनीति गंदी है



बैठक में गुरुसिंघ सभा के सचिव राजा गांधी और मोनू के बीच विवाद हो गया। जिसमें दोनों ने मर्यादा लांघते हुए एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए। गांधी ने कहा कि सभा के साथ खालसा के चुनाव भी साथ होने हैं ओर इसके लिए हमने आप से बात कर फार्म छपवाए थे। इस पर मोनू उखड़ गए। उन्होंने कहा मैं कौन होता हूं। मुझसे पूछने वाली कोई बात ही नहीं थी। संगत में इस तरह पदाधिकारियों की तू-तू मैं-मैं होते देख अकाल तख्त की ओर से आए पर्यवेक्षक परमपाल सिंह ने कहा कि जब मैं इंदैर आ रहा था, तभी मुझसे कहा गया था कि इंदौर में सिख राजनीति बहुत गंदी है। यहां संभलकर रहना। मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन आज बैठक में जो हो रहा है उसे देखकर लग रहा है कि वाकई इंदौर के सिख पदाधिकारी समाज कल्याण से ज्यादा एक दूसरे की शिकवे-शिकायतें करने में ज्यादा रुचि रखते हैं। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि आप लोगों ने आपसी राजनीति में मुझे भी नहीं छोड़ा, मुझ पर भी किचड़ उछालने का प्रयास किया गया। 



गुरुसिंघ के ही चुनाव कराने की गई रिपोर्ट



सूत्रों का कहना है कि बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि सिर्फ गुरुसिंघ सभा के ही चुनाव कराए जाएं। पर्यवेक्षक परमाल सिंह ने अकाल तख्त को इस पूरे मामले की रिपोर्ट बनाकर दी है और इसमें कहा गया है कि गुरुसिंघ सभा और खालसा दोनों अलग-अलग संस्थाएं हैं और फर्म एंड सोसाइटी में अलग से दर्ज हैं। उल्लेखनीय है रिंकू भाटिया ने भी अपना पक्ष रखा, उनका कहना था कि पंजाब से हमें ऐसे निर्देश मिले थे कि दोनों चुनाव साथ कराए जाएं। यदि आप चाहते हैं कि दोनों चुनाव अलग-अलग हों,  तो हमें कोई ऐतराज नहीं है। संगत ने इस पर सहमति दी। बैठक में गांधी ने सुझाव दिया कि सभा के चुनाव पर्ची डालकर करा लिए जाएं, इस पर बॉबी छाबड़ा ने कहा कि हमें कोई आपत्ति नहीं है। बॉबी ने कहा कि मेरा आप सबसे आग्रह है कि आप लोग समाज के हित में जो करना चाहते हैं एकसाथ रह कर करें, लेकिन अपनी व्यक्तिगत पसंद और नापसंद के चलते समाज को नुकसान ना पहुंचाए। उन्होंने ये भी कहा कि कुछ लोगों के कारण इंदौर के सिख समाज की छवि अकाल तख्त की नजर में धुमिल हुई है। इसे भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।



इतने साल तक चुप क्यों रहे बॉबी



भरी संगत में हाईकोर्ट की पिटीशन लहराने और खालसा सोसाइटी के खिलाफ हुई झूठी शिकायतों का खुलासा करने के बाद संगत के लोग आपस में एक-दूसरे से बात करते नजर आए कि आखिर इतने समय तक बॉबी चुप क्यों थे। सवाल ये भी उठा कि क्या किसी राजनीतिक दबाव के चलते बॉबी ने संगत को सच नहीं बताया। खालसा संस्थान का पंजीयन निरस्त होने के बाद उसे अब तक बॉबी बहाल क्यों नहीं करा पाए। दरअसल बॉबी छाबड़ा को इंदौर में भू-माफिया के नाम से जाना जाता है। उन पर जमीनों के मामलों में कई प्रकरण दर्ज हैं। विरोधियों ने राजनीतिक दबाव बनाकर बॉबी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई भी करवाई थी। ऐसे में माना जा रहा है कि उसी राजनीतिक दबाव के चलते बॉबी संस्थान के पक्ष में खुलकर सामने नहीं आ पाए।


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