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संजय गुप्ता, INDORE. यहां सुमेर सेफ्रान होम्स प्रोजेक्ट के पीड़ितों के आवेदन पर यशवंत क्लब मेंबर नरेंद्र गोरानी के साथ ही सुमेर बिल्डर्स ग्रुप के रमेश शाह के खिलाफ अन्नपूर्णा थाने में धारा 420 का केस दर्ज किया गया है, जिसकी पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। इस मामले में पीडितों को इस प्रोजेक्ट में बुकिंग में लगाई गई पांच करोड़ 50 लाख की राशि लेना है, जिसके लिए गोरानी और शाह दोनों ही पीड़ितों को इधर से उधर भटका रहे हैं और कोई भी आर्बिट्रेशन का फैसला मानने को तैयार नहीं है और एक-दूसरे पर जिम्मेदार डाल रहे हैं। मूल रूप से प्रोजेक्ट 11 टॉवर बनाकर फ्लैट बेचने का था, जिसमें बुकिंग ली गई थी, लेकिन बाद में पार्टनरशिप में विवादों के चलते पूरा प्रोजेक्ट तीन टॉवर के बाद ठप कर दिया गया। इसके बाद गोरानी ने यहां पर डी आर्नेट नाम से मल्टी बनाई और बाकी जमीन पर व्हाइट फील्ड नाम से टाउनशिप भी काटी जिसमें मुनाफा कमाया, लेकिन पीड़ितों को राशि देने को तैयार नहीं है।
पीड़ित बोले- पैसे देने की नीयत ना तो गोरानी की और ना ही शाह की
विवादों के बाद आर्बिट्रेशन ने गोरानी को कहा था कि 51 करोड़ का भुगतान रमेश शाह को करें और पीड़ितों की जिम्मेदारी शाह निभाएं। दोनों इस बात पर सहमत हो गए थे, लेकिन गोरानी ने शाह को राशि नहीं दी और शाह ने पीड़ितों को नहीं दी। पीड़ितों का कहना है कि गोरानी को शाह को 51 करोड़ देना है, उनकी उपस्थिति में ही शाह, हमारी बैठक हुई और सब सहमति हो गई, शाह ने भी लिखकर दे दिया कि हमारी बकाया कितनी बनती है, लेकिन दोनों ही अब पलट रहे हैं। गोरानी चाहे तो शाह को 51 की जगह 45.50 करोड़ देने का करार कर सकता है और 5.5 करोड़ की राशि या निर्मित एरिया पीड़ितों को देकर यह मामला आसानी से सुलझा सकते हैं। पीड़ितों ने कहा कि जिस व्यक्ति का परिवार गोवा में जाकर डेस्टिनेशन वेडिंग में करोड़ों खर्च कर सकता है, उनके लिए यह राशि बड़ी नहीं है, लेकिन हमारे लिए जिंदगी भर की पूंजी है, लेकिन देने की नीयत ना तो गोरानी की है और ना ही शाह की।
दो लोग मिलकर एक फ्लैट लें, यह भी हो चुका था सौदा
पीड़ितों ने बताया यहां तक बात हो चुकी थी कि अब फ्लैट महंगा हो गया है तो दो लोग मिलकर एक फ्लैट ले लें, ऊपर की राशि जो बच रही है, वह चुका दें। इसके लिए भी कई पीड़ित तैयार हो गए थे। एक पीड़ित का कहना है कि हम तो ऊपर की राशि का चेक लेकर भी गोरानी के पास गए थे, लेकिन उन्होंने टालमटोली कर दी और फिर हम वहीं आ गए। इसके अलावा हमने जिस टॉवर वन में बुकिंग कराई थी, वहां भी फ्लैट नहीं दे रहे थे, वह पीछे के टॉवर में दे रहे थे, यह तो पहले से ही चीटिंग कर चुके हैं।
गोरानी कोर्ट में भी गए थे कि केस नहीं हो, लेकिन दाल नहीं गली
गोरानी बार-बार शिकायतों के बाद आशंकित थे कि पुलिस में केस हो जाएगा, इससे बचने के लिए वह बीते साल जिला कोर्ट में भी गए और कहा कि पीड़ितों का 5.5 करोड़ बकाया है और यह राशि शाह को चुकाना है। हमारा कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए हमारे खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होना चाहिए, लेकिन कोर्ट ने मामला खारिज कर दिया। इसके बाद पीड़ितों ने थाने में शिकायत की और आखिरकार अब पुलिस ने केस दर्ज किया है।
यशवंत क्लब की सदस्यता भी विवादों के बीच भाई के कारण मिली
यशवंत क्लब में संविधान में सदस्य के 18-25 साल की संतान को सदस्यता देने का प्रावधान है। कुछ साल पहले यहां पर मिस द बस योजना लाकर 45 साल तक की संतान को एक बार मौका देकर सदस्यता देने का प्रस्ताव ईओजीएम में आया, जिसमें बाद में उम्र का बंधन ही खत्म कर दिया गया। कोर्ट में केस चला, लेकिन जैसे ही हाल ही में स्टे हटा, एक घंटे के भीतर यशवंत क्लब की मैनेजिंग कमेटी की इमरजेंसी मीटिंग कर नरेंद्र गोरानी, जो यशवंत क्लब सचिव संजय गोरानी के ही भाई है, उन्हें और कुछ अन्य सदस्यों को सदस्यता देने को मंजूरी जारी कर दी। गोरानी इस क्लब में सबसे ज्यादा उम्र में सदस्यता पाने वाले सदस्य बन गए। इसके बाद उन्होंने अपने बच्चों को भी सदस्यता दिलवा दी, इस तरह पूरा गोरानी परिवार क्लब का सदस्य बन गया।
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