इंदौर में 26 महीने पहले सीएम कमलनाथ ने मैग्निफिसेंट एमपी में की 3 साल बिना मंजूरी उद्योग चलाने की घोषणा, अब वही सीएम चौहान ने की

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Harish Divekar
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इंदौर में 26 महीने पहले सीएम कमलनाथ ने मैग्निफिसेंट एमपी में की 3 साल बिना मंजूरी उद्योग चलाने की घोषणा, अब वही सीएम चौहान ने की

संजय गुप्ता, INDORE. उद्योग लगाइए तीन साल तक मंजूरी की जरूरत नहीं... मुख्यमंत्री। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समापन पर सीएम शिवराज सिंह चौहान की यह घोषणा अगले दिन शुक्रवार को सभी अखबारों की सुर्खियां बनी। अब आपको ठीक 26 माह पहले इंदौर में 18-19 अक्टूबर 2019 में हुई मैग्निफिसेंट एमपी जो ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का ही बदला हुआ नाम था, उसकी सुर्खियां बताते हैं। यहां भी यही घोषणा तत्कालीन सीएम कमलनाथ के नाम पर है, प्रोजेक्ट लाओ, शुरू करो, तीन साल तक मंजूरी नहीं देखेंगे। अब क्या अधिकारियों ने सीएम चौहान से पुरानी ही घोषणा फिर से करा दी, लग तो यही रहा है, क्योंकि घोषणा में कोई बदलाव नहीं है, क्योंकि सीएम चौहान ने इस घोषणा के साथ कहा कि तीन साल बाद देखेंगे नियम का पालन नहीं हुआ तो कानून अपना काम करेगा, यही बात कमलनाथ ने कही थी कि प्रोजेक्ट में नियमों का पालन नहीं हुआ तो सख्त कार्रवाई करेंगे।



अधिकारी बदल गए तो पुरानी घोषणा ध्यान ही नहीं रही



कमलनाथ सरकार के समय मुख्य सचिव एसआर मोहंती थे, तो वहीं मैग्नीफिसेंट का काम आईएएस राजेश राजौरा, संजय शुक्ला और इंदौर से आकाश त्रिपाठी संभाल रहे थे, वहीं इस समिट के दौरान सीएस इकबाल सिंह बैंस है और जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारी से लेकर इंदौर संभागायुक्त तक बदल गए हैं। ऐसे में किसी को पुरानी घोषणा की भनक ही नहीं थी।



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मैदानी समस्याएं अलग, बिना मंजूरी कागज के बैंक लोन ही नहीं देता



यह अलग बात है कि यह घोषणा अभी तक अमल में नहीं आई क्योंकि मैदान पर यह अमल में लाना संभव ही नहीं। सबसे बड़ी बात कि हर विभाग की मंजूरी की प्रक्रिया, नियम है. यदि इसका पालन नहीं किया गया तो पेनल्टी लगने से लेकर सख्त कार्रवाई तक के प्रावधान है, ऐसे में बिना मंजूरी कोई भी काम संभव ही नहीं है। सबसे बड़ी बात यदि मंजूरियों के कागज नहीं है तो बैंक लोन ही नहीं देगा, यानि काम ही शुरू नहीं हो सकता, वहीं पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड कि बना एनओसी के कोई फैक्ट्री शुरू ही नहीं हो सकती। कई नियम केंद्र के हैं जैसे ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) आदि के, जो राज्य के बाहर की बात है।



यह सारी मंजूरियां चाहिए




  • जमीन के स्वामित्व के कागज, रजिस्ट्री कराना या लीज पर लेना 


  • जिला उद्योग केंद्र में रजिस्ट्रेशन, क्योंकि इसके बिना आगे सरकारी नीति के तहत घोषित सब्सिडी मिलेगी ही नहीं

  • फिर जमीन का डेवलप प्लान टीएंडसीपी से, जिसमें यह देखना कि लैंडयूज इंडस्ट्रियल है भी कि नहीं, नक्शा आदि पास कराना

  • पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से एनओसी कि यह काम शुरू कर सकते हैं कि नहीं

  • सेफ्टी डिपार्टमेंट से एनओसी प्राप्त करना

  • फैक्ट्री लाइसेंस चाहिए तो इसके साथ यह दस्तावेज अनिवार्य है- पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की मंजूरी, लघु उद्योग ले आउट प्लान, फायर डिपार्टमेंट की एनओसी, सर्विस व मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस का फ्लो चार्ट, कर्मचारियों की संख्या व वेतन आदि 

  • जीएसटी लाइसेंस लगेगा, बिना जीएसटी आप कच्चा माल ही नहीं ले सकते हैं

  • इसके साथ ही सभी कामगारों के ईपीएफ खाते व अन्य प्रोसेस जरूरी है, जो नहीं करने पर आर्थिक दंड से लेकर जेल तक के प्रावधान है।



  • अब दूसरी घोषणा की बात करते हैं प्लग एंड प्ले



    सीएम ने एक और घोषणा की है प्लग एंड प्ले, यानि इंफ्रास्ट्रक्चर सरकार या निजी भागीदार बना देगा, छोटे उद्यमी आए और मशीन लगाकर काम शुरू करें। देखने में आया है कि ले-देकर केवल कुछ आईटी पार्क में इस सुविधा के अलावा अन्य मैन्यफैक्चरिंग सेक्टर में यह सिस्टम काफी काम नहीं आ सका, क्योंकि हर सेक्टर की अलग जरूरत होती है। यह तभी सफल हो सकता है जब उद्योग विभाग के लिए क्लस्टर बने और इसमें एक जगह अलग से प्लग एंड प्ले की रखी जाए. अभी तक मप्र में सरकार कोई क्लस्टर शुरू ही नहीं कर सकी है।



    अब शिकायत दूर करने की पोर्टल व्यवस्था  की घोषणा



    सीएम चौहान ने एक और घोषणा करते हुए कहा कि इन्वेस्ट एमपी पोर्टल रहेगा, जिसमें 26 जनवरी से सुविधा होगी कि वह निवेशक अपनी शिकायत दर्ज कर सके। पहली बात तो यह है कि यह पोर्टल साल 2016 की समिट से ही बना हुआ है, अधिकारी कितना इसे देखते हैं भगवान ही जाने, यह कोई नई बात नहीं है, यह पोर्टल सालों से हैं।



    सबसे बड़ी बात 15.42 लाख करोड़ के इन्वेस्टमेंट प्रपोजल का क्या होगा



    सबसे बड़ी बात समिट में आए 15.42 लाख करोड़ के इंटेशन टू इन्वेस्टमेंट का क्या होगा, जिसमें 29 लाख नौकरी का वादा है। क्योंकि अभी तक की सभी समिट में मिलाकर 17 लाख करोड़ के निवेश करार हुए और अमल में आए केवल 1.60 लाख करोड़ और नौकरी मिली करीब दो लाख 40 हजार को। यानि 15 साल में 2.40 लाख को नौकरी मिली तो फिर 29 लाख को नौकरी मिलने में कितने साल लगेंगे… इसकी समय सीमा तो सीएम या निवेशक ही बता सकते हैं, जो उन्होंने पूरी घोषणाओं के दौरान नहीं बताई। 



    इन्वेस्टमेंट प्रपोजल प्रदेश की स्टेट जीडीपी से भी ज्यादा



    मप्र की सालाना स्टेट जीडीपी करीब 12 लाख करोड़ है, इसे साल 2026 तक 44 लाख करोड़ यानि 550 बिलियन डालर करने की घोषणा बार-बार सीएम कर रहे हैं। यह निवेश प्रस्ताव कहीं उसी ओर जाने की जल्दबाजी तो नहीं है, क्योंकि निवेश प्रस्ताव स्टेट जीडीपी से भी ज्यादा आ गए हैं। खुद यूपी की जो फरवरी माह में समिट होने जा रही है, उसका निवेश करार लक्ष्य 17 लाख करोड़ है। राजस्थान की समिट में 10.44 लाख करोड़ के करार हुए हैं। ऐसे में यह घोषणाएं चौंकाने वाली है। कहीं सीएम ने यह तो नहीं सोचा घोषणा कर देते हैं, चुनावी साल है, कौन दो-तीन साल तक पूछने जा रहा है। जब पूछेंगे तो तब कि तब देखेंगे, बीते 15 साल में कुछ नहीं हुआ तो अब क्या होगा।


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