संजय गुप्ता/योगेश राठौर, INDORE. इंदौर में 30 मार्च को एक मंदिर में बावड़ी की छत ढहने से बड़ा हादसा हो गया। अब तक 36 लोगों की मौत हो चुकी है। 34 शव निकाले जा चुके हैं, 2 मौतें अस्पताल में हुईं। कलेक्टर इलैयाराजा टी ने इसकी पुष्टि की है। 31 मार्च को करीब 12 बजे लापता सुनील सोलंकी का शव मिला। देर रात आर्मी ने मोर्चा संभाला। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। 18 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसमें से 2 को डिस्चार्ज कर दिया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोंत्तम मिश्रा इंदौर पहुंचकर हालात का जायजा लिया।
इतनी बड़ी घटना के बाद सस्पेंशन, मजिस्ट्रियल जांच महज खानापूर्ति तो नहीं?
मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने इंदौर में जितने भी प्राकृतिक जल स्रोत (कुएं ,बावड़ी, नदी) पर हुए अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिए हैं। प्रथम दृष्ट्या स्थानीय बिल्डिंग ऑफिसर (बीओ), बिल्डिंग इंस्पेक्टर (बीआई) सस्पेंड करने के भी आदेश दिए गए हैं। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कर लिया गया है। मजिस्ट्रियल जांच के ऑर्डर भी दिए गए हैं।
15 दिन में जांच पूरी करने के निर्देश
कलेक्टर ने इलैयाराजा टी ने मामले की जांच की जिम्मेदारी अपर कलेक्टर अभय बेडेकर को सौंपी है। जांच के बिंदु में हैं कि लोगों की किन परिस्थितियों में मृत्यु हुई? पूरी घटना का घटनाक्रम क्या था? घटनाक्रम में क्या परिस्थितियां थी, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? भविष्य में इस प्रकार की घटना की ना हो, इसके लिए सुझाव। जांच के दौरान अन्य कोई प्रकाश में आता है तो उसे भी संज्ञान में लिया जाएगा। घटना की जांच 15 दिन में पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
ऐसे हुआ हादसा
रामनवमी पर यहां पूजा की जा रही थी। 11 बजे हवन शुरू हुआ। मंदिर परिसर अंदर बावड़ी की गर्डर फर्शी से बनी छत पर 60 से ज्यादा लोग बैठे थे। तभी स्लैब भरभराकर गिर गया। सारे लोग 60 फीट गहरी बावड़ी में जा गिरे। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, मंदिर समिति ने बिना अनुमति 30 साल पहले अवैध ढंग से बावड़ी को ढंक दिया। पूजा कर रहे लोगों को भी पता ही नहीं था कि वे बावड़ी पर बैठे हैं। निगम के रिकॉर्ड में दर्ज 629 बावड़ियों की सूची में पटेल नगर की बावड़ी का कहीं जिक्र ही नहीं था। समिति ने बावड़ी पर जाली ढंक कर ऊपर से फर्श बना दिया था।
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हादसे की वजह अतिक्रमण और अवैध निर्माण
इस हादसे की वजह एक सार्वजनिक बावड़ी पर अतिक्रमण कर किया गया अवैध निर्माण है। इसके खिलाफ स्थानीय नागरिकों ने नगर निगम, जिला प्रशासन से लेकर पुलिस थाने तक में शिकायत की है। करीब 20 साल पहले शिकायत को लेकर हुए विवाद और मारपीट की एफआईआर भी जूनी थाने में दर्ज है, लेकिन क्षेत्र में एक पूर्व पार्षद के दबदबे के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई। बीजेपी के वर्तमान पार्षद मृदुल अग्रवाल ने भी बावड़ी पर अवैध निर्माण की शिकायत नगर निगम में पहले से दर्ज होने की बात कही, लेकिन उस पर कार्रवाई के सवाल पर वे भी बचते हुए कहा- मैं दुख व्यक्त कर सकता हूं। असल में मैं नया पार्षद हूं।
पार्षद से लेकर सांसद तक ने नहीं होने दी थी कार्रवाई, अब नतीजा सबके सामने
पिछले साल मई 2022 में इंदौर में बगीचों पर किए गए अतिक्रमण हटाने के लिए शुरू की गई नगर निगम की कार्रवाई से यहां भी कार्रवाई होने की उम्मीद जगी थी। लेकिन नगर निगम के अतिक्रमणविरोधी अमले की गाड़ियां यहां किए गए अवैध निर्माण के गेट पर आकर रुक गईं। उस समय यहां के स्थानीय पार्षद से लेकर विधायक और सांसद तक ने पूरा जोर लगा दिया था कि बावड़ी पर किए गए अतिक्रमण को नगर निगम का अमला हाथ भी नहीं लगाएगा। हादसे से बेहद नाराज स्थानीय नागरिकों का सवाल है कि एक पुरानी सार्वजनिक बावड़ी पर, जिससे बरसों तक स्थानीय जनता को पानी की सप्लाई की जाती रही हो, वहां पर खुलेआम दादागीरी करके इतना बड़ा अतिक्रमण और अवैध निर्माण कैसे कर लिया गया।
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