संजय गुप्ता, INDORE. द सूत्र के मुद्दा उठाने और आईडीए को सबसे बड़ा भूमाफिया बताने के बाद आखिरकार 22 साल से फाइलों में दबी हुई अयोध्यापुरी की एनओसी बाहर आ गई है। इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) ने नगर निगम को अयोध्यापुरी को वैध कॉलोनी घोषित करने के संबंध में ये एनओसी निगम की कॉलोनी सेल को भेज दी है।
NOC में क्या लिखा है?
NOC में कहा गया है कि आईडीए की स्कीम 77 से आयोध्यापुरी को बाहर करने के लिए 28 सितंबर 1996 में हुए हाईकोर्ट के फैसले के तहत 16 जुलाई 2001 को ही स्कीम से बाहर करने का फैसला लिया जा चुका है। इसलिए सर्वे नंबर छोटी खजरानी 386, 387, 388, 391, 392 और 393 को अलग किया जाता है। इस एनओसी से संस्था की 250 करोड़ से ज्यादा कीमत की जमीन अब आईडीए से मुक्त होगी और अयोध्यापुरी कॉलोनी को अब निगम द्वारा वैध कॉलोनी घोषित किया जा सकेगा। इससे कॉलोनी के 400 से ज्यादा प्लॉटधारकों को भवन मंजूरी मिल सकेगी और बाकी विकास काम हो सकेंगे।
पीड़ित बोले द सूत्र की वजह से मिला न्याय
अयोध्यापुरी पीड़ित संघ के सक्रिय सदस्य गौरीशंकर लखोटिया ने कहा कि 22 साल की लड़ाई के बाद अब हमें न्याय मिल रहा है। द सूत्र की टीम को बहुत धन्यवाद इन्होंने मुद्दा प्रमुखता से उठाया जिसके बाद आईडीए ने संजीदगी से हमारी बात सुनी। आईडीए चेयमरैन जयपाल सिंह चावड़ा ने खुद ये फाइल अधिकारियों से निकलवाई तो सामने आया कि बेवजह एनओसी इतने सालों से रोकी हुई है जबकि वो जारी हो चुकी है। इसके बाद भी कॉलोनी को स्कीम में शामिल बताया जाता रहा है। सांसद शंकर लालवानी और विधायक महेंद्र हार्डिया, एमआईसी सदस्य राजेश उदावत ने भी इस पूर मामले में सहयोग किया। इस पूरे काम में सोना कस्तूर, देवेंद्र जैन, अमरपुरी, प्रेम डांग, यशवंत जैन, अरुण गुप्ता, महेश आरखे, डॉक्टर अरुण शर्मा ने भी लगातार साथ दिया।
मद्दा, संघवी से मुक्त कराई थी जमीन
अयोध्यापुरी कॉलोनी आईडीए की स्कीम 77 में आ गई थी, जब पीड़ितों ने हाईकोर्ट में केस लगाया और जीत हासिल की। बाद में आईडीए ने भी संकल्प पारित कर साल 2001 में ही अयोध्यापुरी को स्कीम से बाहर करने का प्रस्ताव पास कर दिया और एनओसी जारी कर दी। लेकिन इसके बाद भी 22 साल से ये बेवजह ही आईडीए के हर पत्राचार में अयोध्यापुरी को स्कीम में बताकर वैध होने की एनओसी जारी करने से मना कर दिया गया। विवादों के बीच में अयोध्यापुरी की 4 एकड़ जमीन 2007 में सिम्पलेक्स कंपनी ने 4 करोड़ में खरीदी, लेकिन पेमेंट केवल 1.80 करोड़ ही किया। इसी कंपनी में सुरेंद्र संघवी का बेटा प्रतीक संघवी डायरेक्टर के साथ दीपक मद्दा, मुकेश खत्री, पुष्पेंद्र नीमा सभी शामिल थे। इस पर जिला प्रशासन ने भूमाफिया अभियान के दौरान सभी पर एफआईआर भी कराई थी और जमीन को भूमाफिया से मुक्त कराया था।
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अब स्कीम 171 की 13 कॉलोनियों का मुद्दा बाकी
अयोध्यापुरी को तो राहत मिल गई है, लेकिन द सूत्र का उद्देश्य आईडीए जैसे भूमाफिया की तरह व्यवहार करने वाली संस्था से स्कीम 171 के दायरे में आ रही 13 कॉलोनियों के 6 हजार पीड़ितों भी न्याय दिलाने पर रहेगा। करीब ढाई हजार करोड़ की संपत्ति पर आईडीए ने साल 2002-03 के दौरान स्कीम 132 और बाद में स्कीम 171 घोषित कर अपने दायरे में ले रखी है। पीड़ितों का ना एनओसी मिल रही है, ना ही मुआवजा और ना ही वैध कॉलोनी का दर्जा जिससे वे मकान बना सकें। इस मामले को भी कलेक्टर डॉ. इलैया राजाटी ने अपने संज्ञान में लेकर मॉनिटरिंग में लिया है।