संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर शहर में खुद को मित्र महापौर कहने वाले पुष्यमित्र भार्गव अपने पहले ही बजट में खिलाड़ी भैया बनकर उभरे हैं। बिना कोई नया टैक्स लगाए ही उन्होंने निगम के खजाना भरने और आमजन पर बोझ डालने का पर्दे के पीछे खेल डाला है। इसका पता आमजन को एक साल बाद पता चलेगा जब नई दरों से उनसे संपत्ति कर वसूला जाएगा। शहर की कुल 1982 कॉलोनियों में से 531 के उन्होंने रेट जोन बदल दिए हैं। इससे इनके संपत्ति कर ढाई हजार की जगह साढ़े तीन हजार तक हो जाएंगे। निगम को अभी सालाना संपत्ति कर से 520 करोड़ रुपए मिलते हैं। नई व्यवस्था से यह मामला 700 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।
इस तरह होता है रेट जोन से संपत्ति कर निर्धारण
- रेट जोन वन में एक हजार वर्गफीट की आवासीय संपत्ति होने पर संपत्ति कर, समेकित कर, शिक्षा उपकर, जल अभिकर, जलमल और नगरीय विकास शुल्क यह सब लगकर कुल 2673 रुपए प्रति साल देय होती है। वहीं व्यावसायिक संपत्ति होने पर यही शुल्क 10609 रुपए हो जाता है।
इसलिए रेट जोन बदलने से ऐसे होगा फायदा
अगर किसी संपत्ति को रेट जोन टू से वन में कर दिया है तो एक हजार वर्गफीट की आवासीय संपत्ति पर पहले जो निगम को 2316 रुपए मिलते थे, वह अब 2673 रुपए मिलेंगे, यानि करीब 350 रुपए का फायदा और यदि संपत्ति व्यावसायिक है तो यह लाभ करीब 800 रुपए हो जाएगा। इस तरह निगम बूंद-बूंद करके अपना घड़ा भरेगा और लोगों की जेब ढीली होगी।
इस तरह बदले गए रेट जोन
वेंकटेश नगर, सुखदेवनगर जैसी जगह अब रेट जोन चार से तीन में आ गई है। जीएनटी मार्केट पांच से तीन में काछी मोहल्ला, स्नेहलतागंज चार से रेट जोन टू में आ गई है। इसी तरह बसंत बिवाह, शांति निकेतन जैसी पॉश कॉलोनी अब रेट जोन टू से वन में आएंगी। शालीमार टाउनशिप, अनुराग नगर, एचआईजी अब रेट जोन तीन से एक में होंगी।
कॉलोनी मंजूरी आदि में भी बदल दिए हैं टैक्स दरें
- नर्मदा कैपिटल फंड दोगुना से ज्यादा किया- बिल्डिंग परमीशन में सबसे ज्यादा राशि नर्मदा कैपिटल फंड की लगती है, जो अब 21 रुपए प्रति वर्गफीट की जगह 50 रुपए प्रति वर्गफीट हो गई है।